सारण: पटना उच्च न्यायालय ने जेपीयू के वर्तमान कुलपति के जारी नोटिस को निरस्त कर दिया. जेपीयू के लगभग डेढ़ सौ सामंजन कर्मियों की सेवा को नियमित कर दिया है. वहीं, राज्य सरकार को सामंजन कर्मियों को वेतन देने का निर्देश दिया है. पटना हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल कुमार त्रिपाठी की बेंच ने सामंजन कर्मियों के वाद संख्या-सीडब्लूजेसी- 20473/2016 पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.
वेतन के साथ अन्य लाभ देने का भी आदेश
उच्च न्यायालय ने केस पर सुनवाई करते हुए जेपीयू के सिंडिकेट का 11 अगस्त 2010 के निर्णय को सही माना है. राज्य सरकार से जेपीयू के छपरा, सिवान और गोपालगंज के विभिन्न काॅलेजों में प्राचार्य ने अनियमित रूप से वर्ग तीन और चार में नियुक्त कर्मियों की सेवा को नियमित करने का आदेश दिया है. वहीं, सामंजन कर्मियों को 11 अगस्त 2010 से वेतन के साथ अन्य लाभ देने का भी आदेश दिया है.
परिवार की स्थिति होने लगी खराब
राजेन्द्र कॉलेज के सामांजन कर्मी गणेश राम ने कहा की जेपीयू ने जब निकाल दिया था तो कुछ दिन घर पर बैठे रहे. लेकिन जब परिवार की स्थिति खराब होने लगी तो भाड़े पर रिक्शा लेकर चलाने लगे. जिससे वह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. उन्होंने कहा कि अब मुझे न्याय मिला है.
लंबे संघर्ष के बाद मिला न्याय
सामांजन कर्मी महमूद आलम ने कहा कि देर आए लेकिन दुरुस्त आए वाली कहावत सत्य साबित हुई है. इतने लंबे संघर्ष के बाद न्याय मिला हैं. काफी दिनों तक घूम-घूम कर फूल बेंचने का काम कर अपने परिवार के साथ किसी तरह रोटी का जुगाड़ कर पा रहे थे. उन्होंने कहा कि अब मेरे बच्चे पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बनेंगे.
कॉलेज में जाने से भी रोका
सामांजन कर्मी ममता कुमारी ने भी बताया कि कॉलेज में मेरे पति दैनिक मजदूर के रूप में काम करते थे. लेकिन बाद के दिनों में लंबी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी. उनके स्थान पर मुझे बहाल किया गया था. लेकिन जेपीयू के कुलपति ने नोटिस जारी कर हटा दिया गया था और कॉलेज में जाने से भी रोक दिया गया था.