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बैठक करते रहे डॉक्टर, उधर ऑक्सीजन की कमी से तड़प-तड़पकर मर गया मरीज

छपरा के सदर अस्पताल से डॉक्टरों की एक बड़ी लापरवाही (Negligence Of Doctors) सामने आई है. डॉक्टरों की लापरवाही से एक मरीज को अपनी जान तक गंवानी पड़ गई. वहीं एक मरीज को किसी और बीमारी का हवाला देकर रेफर कर दिया गया. देखें रिपोर्ट.

मरीज
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Published : Jul 20, 2021, 10:19 AM IST

Updated : Jul 20, 2021, 10:24 AM IST

छपरा: धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर इन दिनों अपने नियमों को ताक पर रख मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं. बिहार के छपरा (Chapra) जिले से कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. जिले के सदर अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही का खामियाजा एक मरीज को भुगतना पड़ रहा है. साथ ही एक मरीज को अपनी जान तक गंवानी पड़ गई.

इसे भी पढ़ें: लखीसराय: मरीज की मौत पर परिजनों ने लगाया डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप

घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि छोटा ब्रह्मपुर के रहने वाले बबन राय को रविवार रात को सांप ने काट लिया था. जिसके बाद बबन राय को छपरा सदर अस्पताल (Chhapra Sadar Hospital) में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने एंटीवेनम की डोज दे दी. लेकिन इससे बबन राय की तबीयत और बिगड़ने लगी. परिजनों ने बताया कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पंकज और डॉक्टर राजन में से किसी ने ध्यान नहीं दिया. एंटीवेनम की डोज बढ़ाते चले गए.

देखें रिपोर्ट.

अगले दिन सुबह जब डॉक्टर आए तो मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए पटना रेफर कर दिया. जिसके बाद मरीज के परिजन भड़क गए. परिजनों का कहना है कि जब रात में ही मरीज की स्थिति खराब थी तो डॉक्टरों ने उसी समय पटना रेफर क्यों नहीं किया. अगले दिन सुबह जब दूसरे डॉक्टर आए तो उन्होंने कहा की मरीज को ब्रेन हेमरेज हो गया है.

ये भी पढ़ें: बेतिया: GMCH में तड़पता रहा मरीज, डॉक्टर ने नहीं ली सुध, हो गई मौत

परिजनों ने सदर अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही (Negligence Of Sadar Hospital Doctor) का गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे. जिसके बाद उपाधीक्षक चेम्बर में डॉक्टरों की आपातकालीन बैठक बुलाई गई. जिसमें अस्पताल के उपाधीक्षक समेत सभी डॉक्टर उपस्थित थे. बैठक के दौरान दोनों डॉक्टर पंकज और राजन भी उपस्थित थे.

बैठक चलने के दौरान ही रिविलगंज निवासी उमेश प्रसाद भी अपना इलाज कराने पहुंचे. उमेश प्रसाद को लिवर की बीमारी और सांस लेने में परेशानी हो रही थी. लेकिन सदर अस्पताल में एक घण्टे से अधिक समय तक डॉक्टरों की बैठक चलने से इमरजेंसी वार्ड खाली था. इसी बीच इलाज और ऑक्सीजन के अभाव में उमेश प्रसाद की मौत हो गई.

'मरीज के परिजन तो कहेंगे ही कि मन लगाकर इलाज नहीं किया गया. यदि डॉक्टर की लापरवाही की बात सामने आती है तो उसकी जांच की जाएगी.' -राम एकबाल प्रसाद, अस्पताल उपाधीक्षक

मृत मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि कोई भी डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड में तैनात नहीं थे. जिससे मरीज की मौत हो गई. बहरहाल इन दोनों घटनाओं में छपरा सदर अस्पताल के तीन डाक्टरों की लापरवाही सामने आई है. आगे देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है. जिससे कि ऐसा खामियाजा किसी मरीज और मरीज को न भुगतना पड़े.

छपरा: धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर इन दिनों अपने नियमों को ताक पर रख मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं. बिहार के छपरा (Chapra) जिले से कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. जिले के सदर अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही का खामियाजा एक मरीज को भुगतना पड़ रहा है. साथ ही एक मरीज को अपनी जान तक गंवानी पड़ गई.

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घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि छोटा ब्रह्मपुर के रहने वाले बबन राय को रविवार रात को सांप ने काट लिया था. जिसके बाद बबन राय को छपरा सदर अस्पताल (Chhapra Sadar Hospital) में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने एंटीवेनम की डोज दे दी. लेकिन इससे बबन राय की तबीयत और बिगड़ने लगी. परिजनों ने बताया कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पंकज और डॉक्टर राजन में से किसी ने ध्यान नहीं दिया. एंटीवेनम की डोज बढ़ाते चले गए.

देखें रिपोर्ट.

अगले दिन सुबह जब डॉक्टर आए तो मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए पटना रेफर कर दिया. जिसके बाद मरीज के परिजन भड़क गए. परिजनों का कहना है कि जब रात में ही मरीज की स्थिति खराब थी तो डॉक्टरों ने उसी समय पटना रेफर क्यों नहीं किया. अगले दिन सुबह जब दूसरे डॉक्टर आए तो उन्होंने कहा की मरीज को ब्रेन हेमरेज हो गया है.

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परिजनों ने सदर अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही (Negligence Of Sadar Hospital Doctor) का गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे. जिसके बाद उपाधीक्षक चेम्बर में डॉक्टरों की आपातकालीन बैठक बुलाई गई. जिसमें अस्पताल के उपाधीक्षक समेत सभी डॉक्टर उपस्थित थे. बैठक के दौरान दोनों डॉक्टर पंकज और राजन भी उपस्थित थे.

बैठक चलने के दौरान ही रिविलगंज निवासी उमेश प्रसाद भी अपना इलाज कराने पहुंचे. उमेश प्रसाद को लिवर की बीमारी और सांस लेने में परेशानी हो रही थी. लेकिन सदर अस्पताल में एक घण्टे से अधिक समय तक डॉक्टरों की बैठक चलने से इमरजेंसी वार्ड खाली था. इसी बीच इलाज और ऑक्सीजन के अभाव में उमेश प्रसाद की मौत हो गई.

'मरीज के परिजन तो कहेंगे ही कि मन लगाकर इलाज नहीं किया गया. यदि डॉक्टर की लापरवाही की बात सामने आती है तो उसकी जांच की जाएगी.' -राम एकबाल प्रसाद, अस्पताल उपाधीक्षक

मृत मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि कोई भी डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड में तैनात नहीं थे. जिससे मरीज की मौत हो गई. बहरहाल इन दोनों घटनाओं में छपरा सदर अस्पताल के तीन डाक्टरों की लापरवाही सामने आई है. आगे देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है. जिससे कि ऐसा खामियाजा किसी मरीज और मरीज को न भुगतना पड़े.

Last Updated : Jul 20, 2021, 10:24 AM IST
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