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ये हैं बिहार की जाबांज बेटियां: इन लड़कियों का मुक्का लगा तो उठोगे नहीं, उठ जाओगे!

छपरा के युवाओं में बॉक्सिंग का पैशन (passion of Boxing in youth of Chhapra) ऐसा है कि इसके लिए वो दिन रात मेहनत करते हैं. बॉक्सर बनने के लिए यहां बच्चे से लेकर महिलाएं तक अपना पसीना बहाती हैं.

छपरा में तैयार होती है मुक्केबाजी की टीम
छपरा में तैयार होती है मुक्केबाजी की टीम
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Published : Nov 14, 2022, 2:16 PM IST

Updated : Nov 14, 2022, 3:05 PM IST

छपराः बिहार के छपरा के दिघवारा में एक ऐसा स्कूल है, जो बॉक्सर तैयार (Boxing team is prepared in Chhapra) करता है. यहां के अनेक छात्र छात्राएं बिहार और देश में अपना नाम कमा चुके हैं. इस स्कूल की कई छात्राएं पूरे देश में मुक्केबाजी में अपना परचम लहरा चुकी हैं. जिले के दिघवारा प्रखंड के राम जंगल सिंह कॉलेज के कैंपस में ही राम जंगल सिंह बॉक्सिंग क्लब (Ram Jungle Singh Boxing Club) चलता है, जहां सुबह शाम कई लड़के और लड़कियां और बच्चे बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेते हैं. यहां की कई बॉक्सर जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग प्रतियोगिताओं में गोल्ड, ब्राउंज और सिल्वर मेडल जीत चुके हैं.


ये भी पढे़ंः सारण की बेटी बनी उड़ीसा मिस रनर अप, तनिया के ननिहाल पहुंचने पर हुआ जमकर स्वागत

प्रशिक्षकों ने की है कड़ी मेहनत : छपरा के दिघवारा जैसी जगह में जो एक काफी छोटी जगह है, इसमें इस तरह प्रतिभाओं को निखारने का काम अशोक सिंह, प्रशिक्षक रोशन कुमार और धीरज कांत जैसे लोग करते हैं. इन लोगों ने यहां पर काफी मेहनत किया है. उसके बाद यहां के लड़के और लड़कियां बॉक्सिंग रिंग में उतरे है. गंवई परिवेश में शलवार कुर्ता पहने वाली लड़कियों को ट्रैक सूट पहनाने में इन प्रशिक्षकों को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी है. यहां के खिलाड़ियों का कहना है कि दिघवारा जैसी जगह पर अगर हम लोग को बेहतर बॉक्सिंग रिंग और खेल की सुविधा मिली है तो इन्हीं दोनों लोगों के कारण मिली है.

"यहां पर काफी मेहनत किया है हमलोगों ने, उसके बाद यहां के लड़के और लड़कियां बॉक्सिंग रिंग में उतरे है. गंवई परिवेश में शलवार कुर्ता पहने वाली लड़कियों को ट्रैक सूट में लाना काफी मुश्किल था. फिर भी हमने कोशिश की. आज यहां के युवाओं में बॉक्सिंग को लेकर काफी क्रेज है. संख्या बढ़ रही है. हमारे बच्चे प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं. मैं अब सेना में नैकरी करता हूं, जब भी आता हूं इनको ट्रेनिंग देता हूं"- रोशन कुमार, प्रशिक्षक

बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेते खिलाड़ी
बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेते खिलाड़ी

लगातार बढ़ रही है खिलाड़ियों की संख्याः दिघवारा जैसे छोटी सी जगह में इस तरह का ट्रेनिंग सेंटर चलाना अपने आप पर काफी मायने रखता है. लेकिन लोगों की खेलने का हौसला और जज्बा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यहां पर प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके बाद भी यहां की खिलाड़ियों को इस बात का काफी अफसोस है कि खिलाड़ियों को जो डाइट मिलनी चाहिए वह डाइट नहीं मिल रही है, क्योंकि सरकार द्वारा यहां पर कोई भी अनुदान नहीं दिया जा रहा है. यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि खिलाड़ियों को जो निर्धारित मात्रा में डाइट दी जाती है उस पर काफी खर्च आता है लेकिन इस संस्था या क्लब को इस तरह की सुविधा अभी तक नहीं मिली है.

"मैं अभी मणिपुर गई थी खेलने के लिए काफी अच्छा रहा वहां पर, मैं गांव में अपनी दीदी लोगों को खेलते देखती थी, वहीं से मोटीवेशन मिला फिर यहां आई तो रोशन सर और अशोक सिंह सर ने काफी अच्छी ट्रेनिंग दी. हमलोगों ने आज जो कुछ भी अपने जिले के लिए किया है, इन्हीं की बदौलत किया है. यहां बॉक्सिंग की काफी अच्छी ट्रेनिंग दी जाती है"- पल्लवी राज, खिलाड़ी

बॉक्सिंग सीखते बच्चे
बॉक्सिंग सीखते बच्चे

"मैं शुरू से ही खेल से जुड़ा हुआ था. छात्र जीवन में फुटबाल खेला और कई प्रतियोगिता जीती, खेल से काफी लगाव रहा. बाद के दिनों में मैंने देखा कि देहाती क्षेत्रों में प्रतिभा काफी है, सिर्फ इन्हें निखारने की जरूरत है. इसी क्रम में रोशन सिंह और धिरज कांत सिंह ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि हमलोग बच्चों को ट्रेनिंग देना चाहते हैं, फिर राम जंगल सिंह कॉलेज में ये सिलसिला शुरू हुआ और उपलब्धि मिलना भी शुरू हो गई"- अशोक कुमार सिंह, फाउंडर सदस्य

खिलाड़ियों ने जीते हैं कई मेडलः यहां की खिलाड़ी प्रियंका ने सिल्वर, वर्षा रानी ने दो कान्स पदक और एक रजत पदक जीता है. इसके साथ ही पल्लवी, बाबुल कुमार सिंह और परी ने भी कई नेशनल स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. जबकि अमन ने नेशनल गेम में भाग लिया है और पंकज ने ब्रॉन्ज जीता है. यहां रोजाना खिलाड़ी सुबह और शाम प्रैक्टिस करते हैं और यहां के प्रशिक्षक लगातार इन खिलाड़ियों के साथ मेहनत करते हैं ताकि आने वाले समय में वे प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकें. यहां के खिलाड़ियों का कहना है कि अगर हमें सरकारी सहायता और सुविधाएं मिले तो हम अपने खेल में और निखार ला सकते हैं.

छपराः बिहार के छपरा के दिघवारा में एक ऐसा स्कूल है, जो बॉक्सर तैयार (Boxing team is prepared in Chhapra) करता है. यहां के अनेक छात्र छात्राएं बिहार और देश में अपना नाम कमा चुके हैं. इस स्कूल की कई छात्राएं पूरे देश में मुक्केबाजी में अपना परचम लहरा चुकी हैं. जिले के दिघवारा प्रखंड के राम जंगल सिंह कॉलेज के कैंपस में ही राम जंगल सिंह बॉक्सिंग क्लब (Ram Jungle Singh Boxing Club) चलता है, जहां सुबह शाम कई लड़के और लड़कियां और बच्चे बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेते हैं. यहां की कई बॉक्सर जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग प्रतियोगिताओं में गोल्ड, ब्राउंज और सिल्वर मेडल जीत चुके हैं.


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प्रशिक्षकों ने की है कड़ी मेहनत : छपरा के दिघवारा जैसी जगह में जो एक काफी छोटी जगह है, इसमें इस तरह प्रतिभाओं को निखारने का काम अशोक सिंह, प्रशिक्षक रोशन कुमार और धीरज कांत जैसे लोग करते हैं. इन लोगों ने यहां पर काफी मेहनत किया है. उसके बाद यहां के लड़के और लड़कियां बॉक्सिंग रिंग में उतरे है. गंवई परिवेश में शलवार कुर्ता पहने वाली लड़कियों को ट्रैक सूट पहनाने में इन प्रशिक्षकों को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी है. यहां के खिलाड़ियों का कहना है कि दिघवारा जैसी जगह पर अगर हम लोग को बेहतर बॉक्सिंग रिंग और खेल की सुविधा मिली है तो इन्हीं दोनों लोगों के कारण मिली है.

"यहां पर काफी मेहनत किया है हमलोगों ने, उसके बाद यहां के लड़के और लड़कियां बॉक्सिंग रिंग में उतरे है. गंवई परिवेश में शलवार कुर्ता पहने वाली लड़कियों को ट्रैक सूट में लाना काफी मुश्किल था. फिर भी हमने कोशिश की. आज यहां के युवाओं में बॉक्सिंग को लेकर काफी क्रेज है. संख्या बढ़ रही है. हमारे बच्चे प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं. मैं अब सेना में नैकरी करता हूं, जब भी आता हूं इनको ट्रेनिंग देता हूं"- रोशन कुमार, प्रशिक्षक

बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेते खिलाड़ी
बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेते खिलाड़ी

लगातार बढ़ रही है खिलाड़ियों की संख्याः दिघवारा जैसे छोटी सी जगह में इस तरह का ट्रेनिंग सेंटर चलाना अपने आप पर काफी मायने रखता है. लेकिन लोगों की खेलने का हौसला और जज्बा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यहां पर प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके बाद भी यहां की खिलाड़ियों को इस बात का काफी अफसोस है कि खिलाड़ियों को जो डाइट मिलनी चाहिए वह डाइट नहीं मिल रही है, क्योंकि सरकार द्वारा यहां पर कोई भी अनुदान नहीं दिया जा रहा है. यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि खिलाड़ियों को जो निर्धारित मात्रा में डाइट दी जाती है उस पर काफी खर्च आता है लेकिन इस संस्था या क्लब को इस तरह की सुविधा अभी तक नहीं मिली है.

"मैं अभी मणिपुर गई थी खेलने के लिए काफी अच्छा रहा वहां पर, मैं गांव में अपनी दीदी लोगों को खेलते देखती थी, वहीं से मोटीवेशन मिला फिर यहां आई तो रोशन सर और अशोक सिंह सर ने काफी अच्छी ट्रेनिंग दी. हमलोगों ने आज जो कुछ भी अपने जिले के लिए किया है, इन्हीं की बदौलत किया है. यहां बॉक्सिंग की काफी अच्छी ट्रेनिंग दी जाती है"- पल्लवी राज, खिलाड़ी

बॉक्सिंग सीखते बच्चे
बॉक्सिंग सीखते बच्चे

"मैं शुरू से ही खेल से जुड़ा हुआ था. छात्र जीवन में फुटबाल खेला और कई प्रतियोगिता जीती, खेल से काफी लगाव रहा. बाद के दिनों में मैंने देखा कि देहाती क्षेत्रों में प्रतिभा काफी है, सिर्फ इन्हें निखारने की जरूरत है. इसी क्रम में रोशन सिंह और धिरज कांत सिंह ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि हमलोग बच्चों को ट्रेनिंग देना चाहते हैं, फिर राम जंगल सिंह कॉलेज में ये सिलसिला शुरू हुआ और उपलब्धि मिलना भी शुरू हो गई"- अशोक कुमार सिंह, फाउंडर सदस्य

खिलाड़ियों ने जीते हैं कई मेडलः यहां की खिलाड़ी प्रियंका ने सिल्वर, वर्षा रानी ने दो कान्स पदक और एक रजत पदक जीता है. इसके साथ ही पल्लवी, बाबुल कुमार सिंह और परी ने भी कई नेशनल स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. जबकि अमन ने नेशनल गेम में भाग लिया है और पंकज ने ब्रॉन्ज जीता है. यहां रोजाना खिलाड़ी सुबह और शाम प्रैक्टिस करते हैं और यहां के प्रशिक्षक लगातार इन खिलाड़ियों के साथ मेहनत करते हैं ताकि आने वाले समय में वे प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकें. यहां के खिलाड़ियों का कहना है कि अगर हमें सरकारी सहायता और सुविधाएं मिले तो हम अपने खेल में और निखार ला सकते हैं.

Last Updated : Nov 14, 2022, 3:05 PM IST
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