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GANDAMAN TRAGEDY: नम आंखों से गांव ने अपने 23 लाडलों को किया याद, नहीं पहुंचे कोई अधिकारी

सारण जिले के गंडामन गांव में आज ही के दिन आठ साल पहले एक हृदय-विदारक घटना घटी थी, जिसमें 23 मासूम बच्चों की जान चली गई थी. इस घटना की आठवीं बरसी पर एक बार फिर सभी गांव के लोग एकत्रित हुए. फूल-माला चढ़ाकर अब कभी नहीं लौटने वाले अपने लाडलों को प्यार-दुलार देकर श्रद्धांजलि दी. लेकिन श्रद्धांजलि सभा में कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचे.

श्रद्धांजलि
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Published : Jul 16, 2021, 5:31 PM IST

सारण: मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के निवाले से जान गंवाने वाले नवसृजित विद्यालय के 23 बच्चों की बरसी 16 जुलाई को मनाई गई. आठ साल पहले 16 जुलाई 2013 को मशरक प्रखंड के धरमासती बाजार के पास गंडामन गांव (Gandaman Village) के सामुदायिक भवन में प्राथमिक विद्यालय (Primary School) चल रहा था. यहां मध्याह्न भोजन खाने (मिड डे मील) से 23 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी. जब यह घटना घटी थी तो लोगों ने आस लगा लिया था कि उनसे मिलने सीएम, मंत्री, नेता या कोई अधिकारी आएंगे, लेकिन कोई नहीं पहुंचा. पिछले साल तक तो बरसी में सरकारी अधिकारी शामिल होते थे. लेकिन इस बार आठवीं बरसी में कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचा.

यह भी पढ़ें- बड़ा सवाल: जब भी होती है बड़ी घटनाएं, CM नीतीश क्यों बना लेते हैं दूरी?

बच्चों की याद में गांव में स्मारक स्थल का निर्माण कराया गया है. आंगनबाड़ी केन्द्र में एक सुंदर सा पार्क भी बना है. प्रत्येक वर्ष 16 जुलाई को जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी आते थे. लेकिन इस बार कोई भी वरीय पदाधिकारी यहां नहीं पहुंचे. क्योंकि आज ही जिले के प्रभारी मंत्री सुमित सिंह का कार्यक्रम आयोजित है. श्रद्धाजंलि सभा में भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा, पूर्व विधायक अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी, भाजपा नेता उपेंद्र सिंह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और पुष्पा सिंह जिला पार्षद उपस्थित थीं.

बता दें कि 16 जुलाई 2013 को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे मासूम बच्चे खाना मिलने का इंतजार कर रहे थे. रसोइया ने एक बच्चे को स्कूल की प्रधान शिक्षिका मीना देवी के घर से सरसों तेल लाने को भेजा. सरसों तेल के डिब्बे के पास ही छिड़काव के लिए तैयार कीटनाशक रखा था. बच्चे ने तेल के बदले कीटनाशक का घोल लाकर दे दिया, जो बिल्कुल सरसों तेल जैसा ही था. रसोइया जब सोयाबीन तलने लगी तो उसमें से झाग निकलने लगा. उसने इसकी शिकायत एचएम मीना देवी से की. मीना देवी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. उसके बाद जब खाना बनकर तैयार हो गया और बच्चों को दिया गया तो बच्चों ने खाने का स्वाद खराब होने की शिकायत की थी.

जानकारी के मुताबिक बच्चों की शिकायत को नजरअंदाज करते हुए मीना देवी ने डांटकर भगा दिया था. कुछ देर बाद ही बच्चों को उल्टी और दस्त शुरू हो गई. इसके बाद देखते ही देखते 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया. विद्यालय की रसोइया और 25 बच्चे पीएमसीएच में कठिन इलाज के बाद वापस गांव आ पाये थे.

देखें पूरी रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- '...पीड़ितों से मुलाकात ना कर आलीशान बंगले में छुप जाना नीतीश की पुरानी डरपोक आदत रही है'

23 बच्चों की मौत को लेकर मशरक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. उसमें प्रधान शिक्षिका मीना देवी समेत उनके पति अर्जुन राय को भी आरोपित किया गया. मीना देवी को एसआइटी में शामिल महिला थानाध्यक्ष अमिता सिंह ने 23 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया. बाद में कोर्ट ने पति अर्जुन राय को बरी कर दिया था, लेकिन प्रधान शिक्षिका को दोषी मानते हुए दो सजा सुनाई गई. पहली 10 वर्ष की सश्रम कैद एवं ढाई लाख जुर्माना, दूसरी सात वर्ष सश्रम कैद एवं 1.25 लाख रुपये अर्थदंड की सजा थी. कोर्ट ने कहा था कि दोनों सजा अलग-अलग चलेगी. पहले 10 वर्ष की सजा और बाद में 7 वर्ष की सजा काटनी होगी.

बच्चों की मौत के बाद सरकार ने गंडामन गांव को गोद ले लिया था. इसके बाद गांव के विकास को पंख लग गए, जिस स्कूल में घटना हुई उसका नयी बिल्डिंग बनी और उसे अपग्रेड किया गया. मृत बच्चों की याद में करोड़ों की लागत से स्मारक, इंटर कॉलेज की स्थापना, स्वास्थ्य उपकेंद्र, जल मीनार बनी. गांव की अधिकांश सड़कों को चकाचक कर दिया गया. पूरे गांव में बिजली की व्यवस्था, पीड़ित परिवारों सहित गांव के अन्य लोगों को भी पक्का आवास, पेंशन योजना, परिसर में पोखरे का उन्नयन आदि अनेक विकास योजनाओं को साकार कर दिया गया. हालांकि कई योजनाएं पूरी हुई पर कुछ योजनाएं अब भी अधूरी हैं. बता दें कि अब तो स्मारक भी जर्जर हो गया है.

गंडामन गांव में जिन घरों के चिराग बुझ गए, उनके घर एक बार फिर मातम का दौर है. इस हृदय-विदारक घटना की यादें ताजा होते ही गांव के हर लोगों की आंखें नम हो जा रही हैं. करीब-करीब हर दूसरे घर के बच्चे को इस घटना ने लील लिया. शुक्रवार को इस घटना की आठवीं बरसी पर बच्चों के स्मारक पर एक बार फिर सभी एकत्रित हुए और फूल-माला चढ़ा कर अब कभी नहीं लौटने वाले अपने लाडले को प्यार-दुलार देकर श्रद्धांजलि दी.

यह भी पढ़ें- गंडामन कांड की सातवीं बरसी पर दी गई श्रद्धांजलि, 23 मासूमों की गई थी जान

सारण: मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के निवाले से जान गंवाने वाले नवसृजित विद्यालय के 23 बच्चों की बरसी 16 जुलाई को मनाई गई. आठ साल पहले 16 जुलाई 2013 को मशरक प्रखंड के धरमासती बाजार के पास गंडामन गांव (Gandaman Village) के सामुदायिक भवन में प्राथमिक विद्यालय (Primary School) चल रहा था. यहां मध्याह्न भोजन खाने (मिड डे मील) से 23 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी. जब यह घटना घटी थी तो लोगों ने आस लगा लिया था कि उनसे मिलने सीएम, मंत्री, नेता या कोई अधिकारी आएंगे, लेकिन कोई नहीं पहुंचा. पिछले साल तक तो बरसी में सरकारी अधिकारी शामिल होते थे. लेकिन इस बार आठवीं बरसी में कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचा.

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बच्चों की याद में गांव में स्मारक स्थल का निर्माण कराया गया है. आंगनबाड़ी केन्द्र में एक सुंदर सा पार्क भी बना है. प्रत्येक वर्ष 16 जुलाई को जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी आते थे. लेकिन इस बार कोई भी वरीय पदाधिकारी यहां नहीं पहुंचे. क्योंकि आज ही जिले के प्रभारी मंत्री सुमित सिंह का कार्यक्रम आयोजित है. श्रद्धाजंलि सभा में भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा, पूर्व विधायक अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी, भाजपा नेता उपेंद्र सिंह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और पुष्पा सिंह जिला पार्षद उपस्थित थीं.

बता दें कि 16 जुलाई 2013 को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे मासूम बच्चे खाना मिलने का इंतजार कर रहे थे. रसोइया ने एक बच्चे को स्कूल की प्रधान शिक्षिका मीना देवी के घर से सरसों तेल लाने को भेजा. सरसों तेल के डिब्बे के पास ही छिड़काव के लिए तैयार कीटनाशक रखा था. बच्चे ने तेल के बदले कीटनाशक का घोल लाकर दे दिया, जो बिल्कुल सरसों तेल जैसा ही था. रसोइया जब सोयाबीन तलने लगी तो उसमें से झाग निकलने लगा. उसने इसकी शिकायत एचएम मीना देवी से की. मीना देवी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. उसके बाद जब खाना बनकर तैयार हो गया और बच्चों को दिया गया तो बच्चों ने खाने का स्वाद खराब होने की शिकायत की थी.

जानकारी के मुताबिक बच्चों की शिकायत को नजरअंदाज करते हुए मीना देवी ने डांटकर भगा दिया था. कुछ देर बाद ही बच्चों को उल्टी और दस्त शुरू हो गई. इसके बाद देखते ही देखते 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया. विद्यालय की रसोइया और 25 बच्चे पीएमसीएच में कठिन इलाज के बाद वापस गांव आ पाये थे.

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23 बच्चों की मौत को लेकर मशरक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. उसमें प्रधान शिक्षिका मीना देवी समेत उनके पति अर्जुन राय को भी आरोपित किया गया. मीना देवी को एसआइटी में शामिल महिला थानाध्यक्ष अमिता सिंह ने 23 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया. बाद में कोर्ट ने पति अर्जुन राय को बरी कर दिया था, लेकिन प्रधान शिक्षिका को दोषी मानते हुए दो सजा सुनाई गई. पहली 10 वर्ष की सश्रम कैद एवं ढाई लाख जुर्माना, दूसरी सात वर्ष सश्रम कैद एवं 1.25 लाख रुपये अर्थदंड की सजा थी. कोर्ट ने कहा था कि दोनों सजा अलग-अलग चलेगी. पहले 10 वर्ष की सजा और बाद में 7 वर्ष की सजा काटनी होगी.

बच्चों की मौत के बाद सरकार ने गंडामन गांव को गोद ले लिया था. इसके बाद गांव के विकास को पंख लग गए, जिस स्कूल में घटना हुई उसका नयी बिल्डिंग बनी और उसे अपग्रेड किया गया. मृत बच्चों की याद में करोड़ों की लागत से स्मारक, इंटर कॉलेज की स्थापना, स्वास्थ्य उपकेंद्र, जल मीनार बनी. गांव की अधिकांश सड़कों को चकाचक कर दिया गया. पूरे गांव में बिजली की व्यवस्था, पीड़ित परिवारों सहित गांव के अन्य लोगों को भी पक्का आवास, पेंशन योजना, परिसर में पोखरे का उन्नयन आदि अनेक विकास योजनाओं को साकार कर दिया गया. हालांकि कई योजनाएं पूरी हुई पर कुछ योजनाएं अब भी अधूरी हैं. बता दें कि अब तो स्मारक भी जर्जर हो गया है.

गंडामन गांव में जिन घरों के चिराग बुझ गए, उनके घर एक बार फिर मातम का दौर है. इस हृदय-विदारक घटना की यादें ताजा होते ही गांव के हर लोगों की आंखें नम हो जा रही हैं. करीब-करीब हर दूसरे घर के बच्चे को इस घटना ने लील लिया. शुक्रवार को इस घटना की आठवीं बरसी पर बच्चों के स्मारक पर एक बार फिर सभी एकत्रित हुए और फूल-माला चढ़ा कर अब कभी नहीं लौटने वाले अपने लाडले को प्यार-दुलार देकर श्रद्धांजलि दी.

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