छपरा: बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के आह्वान पर सभी चिकित्सा कर्मचारी सोमवार से सांकेतिक हड़ताल पर चले जाएंगे. इस वजह से जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक सभी स्वास्थ्य केंद्र में कामकाज पूरी तरह से बाधित हो जाएगा. इस दौरान आगामी 21 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना लगभग तय हो गया है, क्योंकि सरकार ने संघ की मांगों को खारिज कर दिया है.
13 जुलाई को काला बिल्ला लगाकर जताया था विरोध
संविदा कर्मचारियों की हड़ताल पर चले जाने के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम का काम पूरी तरह से चौपट हो जाएगा. सैंपल कनेक्शन तथा जांच का अधिकार पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों की देखभाल भी नहीं हो पा रही है. इन लोगों ने पहले भी 13 जुलाई को काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रदर्शन किया था.
16 सूत्रीय मांगों को लेकर होगा आंदोलन
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अफरोज अनवर तथा सचिव ललन कुमार सिंह ने बताया कि 24 जून 2020 को राज्य सरकार के द्वारा संघ के साथ वार्ता करने का लिखित पत्र दिया गया था, लेकिन सरकार की ओर से संघ की मांगों पर निर्णय लेने के लिए वार्ता नहीं की गई. अब संघ के द्वारा पूर्व में ही अल्टीमेटम दे दिया गया है. उन्होंने बताया कि 16 सूत्रीय मांगों को लेकर संघ की ओर से जोरदार आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया है.
20 जुलाई को शुरू किया गया सांकेतिक हड़ताल
16 सूत्रीय मांगों में मुख्य रुप से प्रबंधन से जुड़े सभी कर्मियों का 1 माह का मानदेय समतुल्य प्रोत्साहन राशि देने, पब्लिक हेल्थ मैनजमेंट कैडर लागू करने, उसमें समायोजन करने का सेवानिवृत्त नियमित करने, भुगतान का पुनः निरीक्षण करने एवं पुण्य निरीक्षण वेतनमान देने, फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा को लागू करने, पहले से कार्यरत कर्मियों को उम्र सीमा 15 वर्ष की छूट देने, प्रति वर्ष 15% वार्षिक वेतन वृद्धि करने, सेवा नियमित करने तथा सेवाकाल के दौरान आकस्मिक मृत्यु होने पर आश्रितों को 25 लाक रुपये क्षतिपूर्ति एवं परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग शामिल है. सरकार इस पर समय रहते कार्रवाई नहीं करेगी तो 21 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सभी कर्मचारी चले जाएंगे. इसके पहले आज 20 जुलाई को एकदिवसीय सांकेतिक हड़ताल शुरू किया गया है.