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शिक्षक दिवस: राज्यसभा उपसभापति के गुरू बोले- इतना भी डिजीटल न बनें कि छात्र किताबों से ही दूर हो जाएं - सिताब दियारा में स्थित जयप्रकाश इंटर कॉलेज

सुरेश कुमार गिरि ने शिक्षा में डिजटलीकरण का समर्थन किया.वहीं, किताबों से दूरी पर चिंता प्रकट की. वहीं, हरिवंश प्रसाद अपने गुरू से लगातार मुलाकात करते हैं. राज्य सभा के उप सभापति बनने के बाद भी गुरू से मिलने पहुंचे थे.

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Published : Sep 5, 2019, 8:54 AM IST

छपराः आज पूरा देश पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को शिक्षक दिवस के अवसर पर याद कर रहा है. शिक्षक दिवस के इस मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण के गुरू सुरेश कुमार गिरि ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. शिक्षा पद्धति में हो रहे बदलाव का समर्थन किया. हालांकि डिजटलीकरण के दौर में किताबों को नजरअंदाज करने पर चिंता प्रकट की.

जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर पर स्थित है रिविलगंज प्रखंड. जहां राज्यसभा उपसभापति हरिवंश प्रसाद के गुरू 80 वर्षीय शिक्षक सुरेश कुमार गिरि रहते हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर बीते हुए लम्हों को याद करते हुए ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव को साझा कर भावुक हो गए. गिरी 70 के दशक में बतौर गणित शिक्षक के रूप में अपना योगदान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा में स्थित जयप्रकाश इंटर कॉलेज में दिया. कठिन संघर्ष के साथ अपने छात्रों को तरक्की की राह दिखायी. उनके एक शिष्यों में राज्यसभा उपसभापति हरिवंश प्रसाद भी हैं.

suresh giri
अपने निवास पर हरिवंश प्रसाद के गुरू सुरेश गिरी

गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन कर रहे हरिवंश प्रसाद
उपसभापति बनने के बाद हरिवंश गुरु-शिष्य की परंपरा का निर्वहन करते हुए उनसे मिलने रिविलगंज पहुंचे थे. उस समय उनका सीना गर्व से और ज्यादा चौड़ा हो गया.हालांकि हरिवंश प्रसाद लगातार अपने गुरु से अक्सर मिलने के लिए पहुंचते हैं. वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए कहा कि यह समय की मांग है. आज पठन-पाठन में वह पुरातन परम्परा नहीं दिखती लेकिन उम्मीदें अभी भी कायम हैं. संस्कार पितृ पक्ष है और संस्कृति मातृपक्ष. इन दोनों को आधार मानकर आज के छात्रों को आगे बढ़ना चाहिए.

suresh giri
सुरेश गिरी

शिक्षक रेल इंजन की होनी चाहिए
शिक्षक रेल के इंजन जैसा होना चाहिए, जो अपने रेल के बॉगी यानी छात्र को सही रास्ता दिखाए. अन्यथा पटरी पर से बॉगी उतर जाएगी. तब उसे ट्रैक पर लाना मुश्किल हो जाएगा.

किताबी दुनिया से दूर हो रहे छात्र
सुरेश कुमार गिरी ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहते हैं कि वर्तमान समय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पढ़ाई हो रही हैं. जबकि पांच दशक पूर्व कॉपी-किताब के जरिए पढ़ाई होती थी. डिजिटल इंडिया के युग में स्मार्ट क्लास में बच्चें पढ़ रहे हैं. लेकिन बच्चे किताबी दुनिया से दूर हो रहे हैं. कॉपी की जगह स्मार्ट फोन का प्रयोग किया जा रहा हैं जो शैक्षणिक माहौल के लिए सही नहीं है. शिक्षा में परिवर्तन जरूरी हैं लेकिन ऐसा नहीं हो कि किताबों से छात्रों को विमुख कर दिया जाए.

ईटीवी भारत संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

हरिवंश प्रसाद ने सुरेश गिरी के सानिध्य में किया था टॉप
शिक्षक सुरेश कुमार गिरी को 1968 में नौकरी मिली. गणित में मेधावी होने के कारण सिताबदियारा के बच्चों में इनसे गणित पढ़ने की ललक बहुत ज्यादा थी. शायद यहीं इनकी एक विशेष पहचान थी. अपने होनहार शिष्य और वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की चर्चा करते हुए आंखे उत्साह से चमक उठी. हिरंवश प्रसाद के बारें बताते हैं कि वो उनके मेधावी शिष्यों में से एक हैं. उनके सानिध्य में हरिवंश नारायण सिंह ने 10 वीं कक्षा में टॉप किया था.

  • पटना: सरकारी आदेश को नहीं मान रहे शिक्षक, लाखों की संख्या में करेंगे प्रदर्शन
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पाश्चात्य संस्कृति से शिक्षा में भारी गिरावट
शिक्षक सुरेश कुमार गिरी ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति अपनाने के कारण शिक्षा में भारी गिरावट आई हैं. सामाजिक परिवर्तन भी हुआ है. शैक्षणिक माहौल में काफी बदलाव हुआ है. पहले के छात्र अपने गुरुजनों के गले का हार हुआ करते थे. लेकिन अब वैसे कोई शिक्षक नहीं हैं और न ही कोई छात्र, जिसे गले का हार बनाया जाए.

छपराः आज पूरा देश पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को शिक्षक दिवस के अवसर पर याद कर रहा है. शिक्षक दिवस के इस मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण के गुरू सुरेश कुमार गिरि ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. शिक्षा पद्धति में हो रहे बदलाव का समर्थन किया. हालांकि डिजटलीकरण के दौर में किताबों को नजरअंदाज करने पर चिंता प्रकट की.

जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर पर स्थित है रिविलगंज प्रखंड. जहां राज्यसभा उपसभापति हरिवंश प्रसाद के गुरू 80 वर्षीय शिक्षक सुरेश कुमार गिरि रहते हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर बीते हुए लम्हों को याद करते हुए ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव को साझा कर भावुक हो गए. गिरी 70 के दशक में बतौर गणित शिक्षक के रूप में अपना योगदान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा में स्थित जयप्रकाश इंटर कॉलेज में दिया. कठिन संघर्ष के साथ अपने छात्रों को तरक्की की राह दिखायी. उनके एक शिष्यों में राज्यसभा उपसभापति हरिवंश प्रसाद भी हैं.

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अपने निवास पर हरिवंश प्रसाद के गुरू सुरेश गिरी

गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन कर रहे हरिवंश प्रसाद
उपसभापति बनने के बाद हरिवंश गुरु-शिष्य की परंपरा का निर्वहन करते हुए उनसे मिलने रिविलगंज पहुंचे थे. उस समय उनका सीना गर्व से और ज्यादा चौड़ा हो गया.हालांकि हरिवंश प्रसाद लगातार अपने गुरु से अक्सर मिलने के लिए पहुंचते हैं. वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए कहा कि यह समय की मांग है. आज पठन-पाठन में वह पुरातन परम्परा नहीं दिखती लेकिन उम्मीदें अभी भी कायम हैं. संस्कार पितृ पक्ष है और संस्कृति मातृपक्ष. इन दोनों को आधार मानकर आज के छात्रों को आगे बढ़ना चाहिए.

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सुरेश गिरी

शिक्षक रेल इंजन की होनी चाहिए
शिक्षक रेल के इंजन जैसा होना चाहिए, जो अपने रेल के बॉगी यानी छात्र को सही रास्ता दिखाए. अन्यथा पटरी पर से बॉगी उतर जाएगी. तब उसे ट्रैक पर लाना मुश्किल हो जाएगा.

किताबी दुनिया से दूर हो रहे छात्र
सुरेश कुमार गिरी ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहते हैं कि वर्तमान समय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पढ़ाई हो रही हैं. जबकि पांच दशक पूर्व कॉपी-किताब के जरिए पढ़ाई होती थी. डिजिटल इंडिया के युग में स्मार्ट क्लास में बच्चें पढ़ रहे हैं. लेकिन बच्चे किताबी दुनिया से दूर हो रहे हैं. कॉपी की जगह स्मार्ट फोन का प्रयोग किया जा रहा हैं जो शैक्षणिक माहौल के लिए सही नहीं है. शिक्षा में परिवर्तन जरूरी हैं लेकिन ऐसा नहीं हो कि किताबों से छात्रों को विमुख कर दिया जाए.

ईटीवी भारत संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

हरिवंश प्रसाद ने सुरेश गिरी के सानिध्य में किया था टॉप
शिक्षक सुरेश कुमार गिरी को 1968 में नौकरी मिली. गणित में मेधावी होने के कारण सिताबदियारा के बच्चों में इनसे गणित पढ़ने की ललक बहुत ज्यादा थी. शायद यहीं इनकी एक विशेष पहचान थी. अपने होनहार शिष्य और वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की चर्चा करते हुए आंखे उत्साह से चमक उठी. हिरंवश प्रसाद के बारें बताते हैं कि वो उनके मेधावी शिष्यों में से एक हैं. उनके सानिध्य में हरिवंश नारायण सिंह ने 10 वीं कक्षा में टॉप किया था.

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पाश्चात्य संस्कृति से शिक्षा में भारी गिरावट
शिक्षक सुरेश कुमार गिरी ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति अपनाने के कारण शिक्षा में भारी गिरावट आई हैं. सामाजिक परिवर्तन भी हुआ है. शैक्षणिक माहौल में काफी बदलाव हुआ है. पहले के छात्र अपने गुरुजनों के गले का हार हुआ करते थे. लेकिन अब वैसे कोई शिक्षक नहीं हैं और न ही कोई छात्र, जिसे गले का हार बनाया जाए.

Intro:डे प्लान वाली ख़बर हैं
SLUG:-BUJURG SHIKSHAK SE BATCHIT
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR

Anchor:-शिक्षक रेल के इंजन जैसा होना चाहिए जो अपने रेल के बॉगी मतलब छात्र को सही रास्ता दिखाए नही तो पटरी पर से बॉगी उतर जाएगी तो फिर लाईन पर चढ़ाना मुश्किल हो जाएगा, उक्त बातें पांच दशक पूर्व से गणितज्ञ रहे 80 वर्षीय बुजुर्ग शिक्षक सुरेश कुमार गिरी ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान कही.

वर्तमान समय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पढ़ाई हो रही हैं जबकि पांच दशक पूर्व में किताब से पढ़ाई की जाती थी और कॉपी पर लिखने को कहा जाता था लेकिन डिजिटल इंडिया के इस युग में स्मार्ट क्लास के माध्यम से छात्रों को शिक्षा दी जा रही हैं जिससे किताबी दुनियां से अलग रखा जा रहा हैं साथ ही लिखने के लिए कॉपी की जगह स्मार्ट फोन का प्रयोग किया जा रहा हैं जो शैक्षणिक माहौल के लिए सुविधा जनक नही है. डिजिटल इंडिया बनाने के लिए शिक्षा में परिवर्तन जरूरी हैं लेकिन उतना भी नही होना चाहिए कि क़िताबों से ही छात्रों को बिमुख कर दिया जाए.



Body:सारण जिला मुख्यालय से दश किलोमीटर दूर रिविलगंज प्रखंड निवासी 75 वर्षीय शिक्षक सुरेश कुमार गिरि ने शिक्षक दिवस के अवसर पर अतीत की यादों को ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभवों को याद कर भावुक हो जाते हैं. सम्पूर्ण क्रांति के नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा के यूपी वाले हिस्से में स्थित जयप्रकाश इंटर कॉलेज में 70 के दशक में बतौर गणित शिक्षक के रूप में योगदान करने व कठिन संघर्ष के साथ अपने छात्रों को तरक्की की राह दिखायी थी.


शिक्षक सुरेश कुमार गिरी को जब 1968 में नौकरी मिली तो वहीं रहकर बच्चों को पढ़ाया करते थे व गणित में मेधावी होने के कारण सिताबदियारा के बच्चों में इनसे गणित पढ़ने की ललक बहुत ज्यादा थी शायद यही उनकी एक विशेष पहचान बनी. अपने होन हार शिष्य व वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की चर्चा करते हुए आंखे उत्साह से चमक उठती हैं. वह बताते हैं कि हरिवंश नारायण उनके पढाये मेधावी शिष्यों में से एक हैं. उनके सानिध्य में हरिवंश नारायण सिंह ने 10 वीं कक्षा में टॉप किया था.


Byte:-वॉक थ्रू
सुरेश कुमार गिरी
धर्मेन्द्र कुमार रस्तोगी
Conclusion:उपसभापति बनने के बाद हरिवंश जी गुरु शिष्य परंपरा
का निर्वहन करते हुए उनसे मिलने रिविलगंज आये थे तब उनका सीना गर्व से और चौड़ा हो गया था लेकिन वे पहले भी अपने गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए आते रहते थे. वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए बताते हैं कि यह समय की मांग है. आज पठन-पाठन में वह पुरातन परम्परा तो नही दिखती लेकिन उम्मीदें अभी भी कायम हैं. वह कहते हैं कि संस्कार पितृ पक्ष है औऱ संस्कृति मातृपक्ष. इन दोनों को आधार मानकर आज के छात्रों को आगे बढ़ना चाहिए.


पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के कारण ही शिक्षा में भारी गिरावट आई हैं साथ ही सामाजिक परिवर्तन भी हुआ है जिस कारण शैक्षणिक माहौल में काफ़ी बदलाव हुआ है, पहले के छात्र अपने गुरुजनों के गले का हार हुआ करते थे लेकिन अब वैसा कोई शिक्षक नही है और न ही कोई छात्र जिसे गले का हार बनाया जाए.


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