छपरा: करगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई प्रयास कर रहे हैं. लगातार कोशिश की जा रही है कि इन जवानों के त्याग को नाम और पहचान दी जा सके.
26 जुलाई को करगिल शहीद दिवस के अवसर पर युद्ध में शहीद वीर जवानों की याद में बने स्मारकों पर पुष्प अर्पित किए जाएंगे. लेकिन, जिनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले हैं उनका परिवार आज किस हाल में है, क्या सरकार का इससे कोई सरोकार नहीं है? जो वादे सरकार ने इनके परिवार वालों से किए क्या वह पूरे हो पाएं?
सारण के वीर ने गंवाई थी जान
साल 1999 में पाकिस्तान के साथ जो करगिल युद्ध हुआ था, उसमें सारण के भी एक वीर सपूत थे. इनका नाम विष्णु राय उर्फ विशुनी राय था. इन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और युद्ध स्थल पर शहीद हुए. इनका योगदान पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है.
स्कूल प्रिंसिपल ने किया योगदान
शहीद विष्णु राय सारण जिले के मकेर प्रखंड स्थित बथुई गांव के निवासी थे. इस वीर के लिए बिहार सरकार और जनप्रतिनिधि आजतक एक स्मारक नहीं बनवा सके. ऐसे में इनसे शहादत की क्या उम्मीद की जाए. गौरतलब है कि जिले में जो विष्णु राय की मूर्ति देखने को मिलती है. वह भी उनके स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक अम्बिका प्रसाद यादव ने बनवाई है. जिसमें यहां के स्थानीय लोगों का सहयोग है. लेकिन, किसी नेता या जनप्रतिनिधियों का कोई हाथ नहीं है. बता दें कि स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से कहा कि शहीद के मूर्ति के पास एक शेड बनवा दिया जाए. लेकिन, यह भी नहीं हो पाया है. जिससे स्थानीय लोगों और शहीद के परिवार में काफी रोष है.
फाइलों में दबकर रह घई योजना
करगिल के शहीद विष्णु राय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मकेर प्रखंड मुख्यालय स्थित देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर स्थापित राजेंद्र विद्या मंदिर में की. उन्होंने साल 1975 से लेकर 1981 तक इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की. जहां के शिक्षकों ने जनसहयोग से स्कूल परिसर में उनकी प्रतिमा बनवाई है. बता दें कि सरकार के अधिकारियों ने भी स्मारक बनाने की घोषणा की थी. लेकिन, योजना फाइलों में दब कर रह गई.
नम आंखों से बोले शहीद के भाई
शहीद के बड़े भाई महेश राय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि साल 1999 के वाक्यों को याद कर आंसू आते हैं. उन्होंने नम आंखों से बताया कि जब मेरे भाई का शव आया था तो उस समय न जानें कितने नेता व अधिकारी आये हुए थे. वह आए और कई तरह की घोषणाएं कर चले गए. लेकिन, आज तक उसको उन घोषणाओं को पूरा करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया गया. फिलहाल, शहीद विष्णु का परिवार पटना में रहता है. उनका बेटा पुणे में नौकरी करता है और बेटी पटना में अपनी मां के साथ रहकर पढ़ाई कर रही है.
क्या-क्या हुई थी घोषणाएं?
⦁ शहीद विष्णु राय को शहादत देने पहुंचे नेताओं ने कहा था कि पटना में शहीद के परिवार को जमीन मुहैया कराई जाएगी.
⦁ बथुई गांव को शहीद विष्णु राय के नाम पर किया जाएगा.
⦁ गांव की सड़क को पक्का कर उसका नाम शहीद विष्णु राय पथ रखा जाएगा.
⦁ गांव में बिजली के विस्तार होगा.
⦁ मकेर के महावीर चौक पर शहीद की प्रतिमा लगाई जाएगी और चौक का नाम करगिल चौक रखा जाएगा.
लेकिन, यह तमाम घोषणाएं केवल घोषणाएं ही बनकर रह गईं. इन्हें धरातल भी नहीं लाया गया.