सारण: पवित्र गंगा नदी और गंडक के संगम पर स्थित सोनपुर एक ऐतिहासिक और पौराणिक क्षेत्र है. जहां कभी गज और ग्राह (मगरमच्छ) की लंबी लड़ाई हुई थी और यह लड़ाई तीनपहर चली थी. जब गज यानी कि हाथी पानी पीने के लिए नदी किनारे गए थे, तो उस समय मगरमच्छ ने हमला कर दिया था. मगरमच्छ हाथी को पानी में खिंचता ले गया. वहीं, जब हाथी डूबने की स्थिति में आ गया तो उसने भगवान विष्णु को याद किया. भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से ग्राह (मगरमच्छ) का बध किया और हाथी की जान बचाई. तभी से यहां पर गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम (Gajendra Moksha Devasthanam In Saran) की स्थापना कर दी गई.
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बिहार का प्रसिद्ध देव स्थल बाबा हरिहर नाथ की नगरी सोनपुर आने पर आपको ऐसा एहसास होगा कि आप दक्षिण भारत में आ गए हैं. जी हां यहां का नौलखा मंदिर (Naulakha Temple In Saran) सोनपुर के अंदर दक्षिण भारत में होने का एहसास दिलाता है. यह मंदिर स्थानीय भाषा में नौलखा मंदिर कहा जाता है. लेकिन यह नौलखा मंदिर नहीं, बल्किगजेंद्र मोक्ष देवस्थानम है. इस मंदिर की वास्तुकला पूरी तरह से दक्षिण भारतीय मंदिरों की तरह ही दिखती है.
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यह देवस्थानम अपने आप में ही अद्वितीय मंदिर है. पवित्र पावनी गंगा और गंडक के संगम पर स्थित यह मंदिर अपने आप में अनूठा है. मंदिर गंडक नदी के किनारे पर बना हुआ है, जिसका परिसर काफी बड़ा है. यहां दूर-दूर से आये तीर्थ यात्रियों के लिए ठहरने की भी व्यवस्था की गई है.
इस मंदिर का निर्माण परम पूज्य स्वामी त्रिदंडी जी महाराज के आशीर्वाद से वर्ष 1993 में प्रारंभ हुआ था. वहीं, 31 जनवरी 1999 को इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया. इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 108 उत्तर भारत के पुजारी और 108 दक्षिण भारत के पुजारियों ने भाग लिया था.
यह स्थान गजेंद्र मुक्त या गजेंद्र मोक्ष देवस्थान के नाम से प्रसिद्ध है. परम पिता परमात्मा श्री हरि ने गजेंद्र को यहां ग्राह के चंगुल से मुक्त कराया था. इसीलिए इस स्थान का नाम गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम पड़ा. इस पूरे क्षेत्र को हरिहर क्षेत्र कहा जाता है. यहां का इतिहास रहा है कि यहां पर सभी जगह से हार थक के आने वाले व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है. चाहे वह कर्ज से मुक्ति हो या रोग से मुक्ति.
ऐसी मान्यता है गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का नियमित पाठ करने से कर्ज की समस्या से निजात मिलती है. वहीं गजेंद्र मोक्ष का चित्र घर में लगाने से आने वाली बाधा दूर होती है. इस स्तोत्र का सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद प्रतिदिन करना चाहिए.
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो.
जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल रुचि-रुचि-भोग लगायो.
दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
पैठ पाताल काली नाग नाथ्यो, फन पर नृत्य करायो.
गिरि गोवर्द्धन कर पर धार्यो नन्द का लाल कहायो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
असुर बकासुर मार्यो दावानल पान करायो.
खम्भ फाड़ हिरनाकुश मार्यो नरसिंह नाम धरायो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी चीर बढ़ायो.
पय पान करत पूतना मारी कुब्जा रूप बनायो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
कौर व पाण्डव युद्ध रचायो कौरव मार हटायो.
दुर्योधन का मन घटायो मोहि भरोसा आयो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
सब सखियां मिल बन्धन बान्धियो रेशम गांठ बंधायो.
छूटे नाहिं राधा का संग, कैसे गोवर्धन उठायो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.
योगी जाको ध्यान धरत हैं ध्यान से भजि आयो.
सूर श्याम तुम्हरे मिलन को यशुदा धेनु चरायो.
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ.