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कोहरे में ट्रेनों के लिए वरदान साबित हो रहा फॉग सेफ डिवाइस, लोको पायलट ने बताया महत्व - फॉग सेफ डिवाइस

Train Fog safe device: कोहरे के कारण ट्रेनों की रफ्तार पर अब ब्रेक नहीं लगेगा. रेलवे ने फॉग सेफ डिवाइस लाया है, जो लोको पायलट के लिए वरदान साबित हो रहा है. छपरा के लोको पायलट ने बताया कि कैसे यह डिवाइस ट्रेन चलाने में काफी मददगार साबित हो रहा है. पढ़ें पूरी खबर.

फॉग सेफ डिवाइस
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 19, 2024, 12:26 PM IST

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छपरा: कोहरे का असर ट्रेनों की रफ्तार पर अक्सर देखने को मिलता है. कोहरे के कारण ट्रेनें विलंब से चलती है. सिग्नल दिखाई नहीं देने से हादसे का खतरा भी बना रहता है. इसी को देखते हुए रेलवे ने ट्रेनों को फॉग सेफ डिवाइस के साथ दौड़ाना शुरू कर दिया है. ये डिवाइस जीपीएस से कनेक्ट है, जिसकी मदद से 500 मीटर तक सिग्नल की जानकारी पायलट को मिल जाती है.

कोहरे की वजह से ट्रेन लेट: देखा जाए तो घने कोहरे के कारण राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेन अपने नियत समय से लगभग 12 से 15 घंटे लेट चलती है. क्योंकि रेलवे इस कठिन परिस्थिति के लिए अपने लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को कोहरे में ट्रेन धीमी गति से चलाने के लिए विशेष निर्देश जारी करता है. जिससे कि दुर्घटना से बचा जा सके. इसी कारण ट्रेनों की रफ्तार पर कोहरे के कारण ब्रेक लग जाता है.

रेल मंत्रालय ने जारी किया निर्देश: ठंड को लेकर रेल मंत्रालय द्वारा ड्राइवर को यह निर्देश दिया जाता है कि वह अपने विवेक से ट्रेन चलाए और अगर नहीं दिखाई पड़ रहा है तो ट्रेन को खड़ा कर दें. इस मौसम में लोको पायलट के ऊपर विलंब से ट्रेन चलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती है. क्योंकि यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लोको पायलट की होती है.

फॉग सेफ डिवाइस का फायदा: हालांकि विज्ञान के आधुनिक युग में कोहरे के समय भी सुरक्षित गति से ट्रेनों को चलाने के लिए फोग सेफ डिवाइस का प्रयोग किया जाता है. पूर्वोत्तर रेलवे के द्वारा सभी इंजनों में इस फॉग डिवाइस को लगा दिया गया है. जिससे कि लोको पायलट को ट्रेन चलाने में काफी सहूलियत होती है. क्योंकि इससे सिग्नल पोस्ट कितना आगे है इसकी जानकारी मिलती है. फिर ड्राइवर पूरी सतर्कता और ध्यान से ट्रेनों का परिचालन करते हैं.

"इस फॉग डिवाइस से बहुत सहायता मिलती है. फॉग सेफ डिवाइस से सिग्नल की दूरी की जानकारी समय से मिल जाती है. जिससे घने कोहरे में भी ट्रेनों का सुरक्षित गति से परिचालन करते हैं."- संतोष कुमार, लोको पायलट

कैसे काम करता है डिवाइस?: फॉग सेफ डिवाइस जीपीएस आधारित नेविगेशन डिवाइस हैं. इस यंत्र में एक वायर वाला एंटीना होता है जिसे इंजन के बाहरी हिस्से में फिक्स कर दिया जाता है. यह एंटीना इस डिवाइस में सिग्नल रिसीव करने के लिए लगाया जाता है. इसमें एक मेमोरी चिप लगी होती है, जिसमें रेलवे का रूट फिक्स होता है. जिससे आने वाले लेवल क्रॉसिंग, जनरल क्रॉसिंग सिग्नल, रेलवे स्टेशन की जानकारी पहले से ही हो जाती है.

पढ़ें: कोहरे के कारण तेजस एक्सप्रेस 13 तो संपूर्ण क्रांति 9 घंटे लेट, देरी से चल रही हैं कई ट्रेनें

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छपरा: कोहरे का असर ट्रेनों की रफ्तार पर अक्सर देखने को मिलता है. कोहरे के कारण ट्रेनें विलंब से चलती है. सिग्नल दिखाई नहीं देने से हादसे का खतरा भी बना रहता है. इसी को देखते हुए रेलवे ने ट्रेनों को फॉग सेफ डिवाइस के साथ दौड़ाना शुरू कर दिया है. ये डिवाइस जीपीएस से कनेक्ट है, जिसकी मदद से 500 मीटर तक सिग्नल की जानकारी पायलट को मिल जाती है.

कोहरे की वजह से ट्रेन लेट: देखा जाए तो घने कोहरे के कारण राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेन अपने नियत समय से लगभग 12 से 15 घंटे लेट चलती है. क्योंकि रेलवे इस कठिन परिस्थिति के लिए अपने लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को कोहरे में ट्रेन धीमी गति से चलाने के लिए विशेष निर्देश जारी करता है. जिससे कि दुर्घटना से बचा जा सके. इसी कारण ट्रेनों की रफ्तार पर कोहरे के कारण ब्रेक लग जाता है.

रेल मंत्रालय ने जारी किया निर्देश: ठंड को लेकर रेल मंत्रालय द्वारा ड्राइवर को यह निर्देश दिया जाता है कि वह अपने विवेक से ट्रेन चलाए और अगर नहीं दिखाई पड़ रहा है तो ट्रेन को खड़ा कर दें. इस मौसम में लोको पायलट के ऊपर विलंब से ट्रेन चलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती है. क्योंकि यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लोको पायलट की होती है.

फॉग सेफ डिवाइस का फायदा: हालांकि विज्ञान के आधुनिक युग में कोहरे के समय भी सुरक्षित गति से ट्रेनों को चलाने के लिए फोग सेफ डिवाइस का प्रयोग किया जाता है. पूर्वोत्तर रेलवे के द्वारा सभी इंजनों में इस फॉग डिवाइस को लगा दिया गया है. जिससे कि लोको पायलट को ट्रेन चलाने में काफी सहूलियत होती है. क्योंकि इससे सिग्नल पोस्ट कितना आगे है इसकी जानकारी मिलती है. फिर ड्राइवर पूरी सतर्कता और ध्यान से ट्रेनों का परिचालन करते हैं.

"इस फॉग डिवाइस से बहुत सहायता मिलती है. फॉग सेफ डिवाइस से सिग्नल की दूरी की जानकारी समय से मिल जाती है. जिससे घने कोहरे में भी ट्रेनों का सुरक्षित गति से परिचालन करते हैं."- संतोष कुमार, लोको पायलट

कैसे काम करता है डिवाइस?: फॉग सेफ डिवाइस जीपीएस आधारित नेविगेशन डिवाइस हैं. इस यंत्र में एक वायर वाला एंटीना होता है जिसे इंजन के बाहरी हिस्से में फिक्स कर दिया जाता है. यह एंटीना इस डिवाइस में सिग्नल रिसीव करने के लिए लगाया जाता है. इसमें एक मेमोरी चिप लगी होती है, जिसमें रेलवे का रूट फिक्स होता है. जिससे आने वाले लेवल क्रॉसिंग, जनरल क्रॉसिंग सिग्नल, रेलवे स्टेशन की जानकारी पहले से ही हो जाती है.

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