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सारण: बाढ़ के पानी से घिरे कई गांव, सरकारी सुविधायें सिर्फ कागजों पर

ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार सिर्फ अनाउंसमेंट करके चली जाती है. सही से व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि उन्हें न तो खाने का सामान और न ही रहने के लिए टेंट मुहैया कराया गया है.

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Published : Jul 21, 2020, 8:00 PM IST

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सारण(छपरा): नेपाल की तरफ से वाल्मीकि बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. जिससे जिले के मकेर प्रखंड के बघा कोला पंचायत के अंतर्गत कुल 4 गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं. जिसमें पोखरी लगुनिया, फैजलपुर नौकढा गांव पानी से घिर चुका है. सरकार इन इलाकों पर लगातार नजर बनाए हुए है. लेकिन ग्रामीणों ने सही व्यवस्था नहीं होने का आरोप लगाया है.

नहीं है नाविक की व्यवस्था
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने दो नावों की व्यवस्था कराई है लेकिन नाविक नहीं है. जिससे लोगों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि एक गांव में लगभग 50 से 60 घर हैं. पानी का स्तर बढ़ने से ऊंचे स्थानों पर जाना पड़ेगा. ऐसे में दो नाव से क्या होगा?

देखें रिपोर्ट

सामान चोरी होने का डर
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ अनाउंसमेंट करके चला जाता है. लेकिन सही से व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि उन्हें न तो खाने का सामान और न ही रहने के लिए टेंट मुहैया कराया गया है. लोगों ने बताया कि घर छोड़कर जाने पर सामान चोरी होने का डर भी बना रहता है.

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बाढ़ के पानी से घिरा गांव

चारे का इंतजाम करने में हो रही परेशानी
बाढ़ का पानी आने की वजह से ग्रामीणों को मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम करने में भी समस्या उत्पन्न हो रही है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक देखने नहीं आया है. नेता सिर्फ वोट के समय ही आते हैं. उन्होंने बताया कि वे लोग नाव से किसी तरह बाजार जाकर राशन ला रहे हैं. साथ ही सांप और जहरीले कीड़े मकोड़ों के डर से वे लोग जग कर रात काटते हैं.

सारण(छपरा): नेपाल की तरफ से वाल्मीकि बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. जिससे जिले के मकेर प्रखंड के बघा कोला पंचायत के अंतर्गत कुल 4 गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं. जिसमें पोखरी लगुनिया, फैजलपुर नौकढा गांव पानी से घिर चुका है. सरकार इन इलाकों पर लगातार नजर बनाए हुए है. लेकिन ग्रामीणों ने सही व्यवस्था नहीं होने का आरोप लगाया है.

नहीं है नाविक की व्यवस्था
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने दो नावों की व्यवस्था कराई है लेकिन नाविक नहीं है. जिससे लोगों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि एक गांव में लगभग 50 से 60 घर हैं. पानी का स्तर बढ़ने से ऊंचे स्थानों पर जाना पड़ेगा. ऐसे में दो नाव से क्या होगा?

देखें रिपोर्ट

सामान चोरी होने का डर
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ अनाउंसमेंट करके चला जाता है. लेकिन सही से व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि उन्हें न तो खाने का सामान और न ही रहने के लिए टेंट मुहैया कराया गया है. लोगों ने बताया कि घर छोड़कर जाने पर सामान चोरी होने का डर भी बना रहता है.

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बाढ़ के पानी से घिरा गांव

चारे का इंतजाम करने में हो रही परेशानी
बाढ़ का पानी आने की वजह से ग्रामीणों को मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम करने में भी समस्या उत्पन्न हो रही है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक देखने नहीं आया है. नेता सिर्फ वोट के समय ही आते हैं. उन्होंने बताया कि वे लोग नाव से किसी तरह बाजार जाकर राशन ला रहे हैं. साथ ही सांप और जहरीले कीड़े मकोड़ों के डर से वे लोग जग कर रात काटते हैं.

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