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ग्राउंड रिपोर्टः दूसरों को भोजन देने वाला अन्नदाता आज खुद दाने-दाने को हुआ मोहताज - flood in saran

बाढ़ के समय राज्य के अन्नदाताओं को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है. खेतों में लगे फसल बाढ़ के पानी में बह गए जिससे किसानों की पूंजी डूब गई.

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Published : Aug 16, 2020, 5:15 PM IST

सारणः ईटीवी भारत लगातार बाढ़ की स्थिति पर ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. जिले के 10 प्रखंड तरैया, मढौरा, अमनौर, मकेर, परसा, गरखा, पानापुर, दरियापुर और इसुआपुर बाढ़ की चपेट में है. यहां के लोग ऊंचे स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हैं. हमारे संवादादाता जब परसा प्रखंड पहुंचे तो वहां के किसानों का दर्द छलक उठा.

किसानों को आर्थिक नुकसान
बाढ़ के पानी की वजह से किसानों की धान और सब्जी की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. परसा प्रखंड के हरपुर, बभनगावा, परशुरामपुर, शोभेपरसा, चेतन, मिर्जापुर, फतेहपुर, भगवानपुर गांव के अधिकांश लोगों का घर खेती से ही चलता है. फसल डूबने से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है, बाढ़ ने उनकी कमर तोड़ दी है.

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बाढ़ का पानी

कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़
परशुरामपुर गांव के किसानों में सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. किसानों का कहना है कि हर साल कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की वजह से उनकी फसल बर्बाद हो जाती है. उन्होंने बताया कि कई लोगों ने कर्ज लेकर धान और सब्जी की फसल लगाई थी, लेकिन सब बाढ़ में बह गया. जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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आक्रोशित किसान

बर्बाद हो जाती है फसल
किसान राकेश सिंह ने बताया कि बाढ़ की इस आपदा में हम लोग बेघर हो गए हैं. उन्होंने बताया कि जो पैसा था सब खेती में लग गया. खेतों में पानी भर जाने से धान और सब्जी की फसल सड़ रही है. राकेश सिंह ने कहा कि किसानों के सामने गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है. हर साल उनकी फसल बर्बाद हो जाती है.

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मवेशियों के चारे की समस्या

नहीं मिली कोई मदद
राकेश सिंह ने बताया कि किसानों की हालत बदतर होती जा रही है. परिवार के भरण पोषण में भी समस्याएं आ रही है. साथ ही मवेशियों तक को खिलाने के लिए चारा उपलब्ध नही है. किसानों ने बताया कि सरकार की तरफ से कोई आला अधिकारी अब तक उनका हाल चाल तक लेने नहीं आया है. उन्होंने बताया कि बीडियो सीओ को आवेदन भी दिया गया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.

देखें रिपोर्ट

अधिकारियों की लापरवाही
परशुरामपुर गांव के किसानों ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें मुआवजा दे नहीं तो मजबूरन वे लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. बता दें कि इन दिनों बिहार के 14 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. मुख्यमंत्री ने बाढ़ से पहले बैठक करके सभी विभागों को तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है.

सारणः ईटीवी भारत लगातार बाढ़ की स्थिति पर ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. जिले के 10 प्रखंड तरैया, मढौरा, अमनौर, मकेर, परसा, गरखा, पानापुर, दरियापुर और इसुआपुर बाढ़ की चपेट में है. यहां के लोग ऊंचे स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हैं. हमारे संवादादाता जब परसा प्रखंड पहुंचे तो वहां के किसानों का दर्द छलक उठा.

किसानों को आर्थिक नुकसान
बाढ़ के पानी की वजह से किसानों की धान और सब्जी की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. परसा प्रखंड के हरपुर, बभनगावा, परशुरामपुर, शोभेपरसा, चेतन, मिर्जापुर, फतेहपुर, भगवानपुर गांव के अधिकांश लोगों का घर खेती से ही चलता है. फसल डूबने से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है, बाढ़ ने उनकी कमर तोड़ दी है.

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बाढ़ का पानी

कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़
परशुरामपुर गांव के किसानों में सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. किसानों का कहना है कि हर साल कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की वजह से उनकी फसल बर्बाद हो जाती है. उन्होंने बताया कि कई लोगों ने कर्ज लेकर धान और सब्जी की फसल लगाई थी, लेकिन सब बाढ़ में बह गया. जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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आक्रोशित किसान

बर्बाद हो जाती है फसल
किसान राकेश सिंह ने बताया कि बाढ़ की इस आपदा में हम लोग बेघर हो गए हैं. उन्होंने बताया कि जो पैसा था सब खेती में लग गया. खेतों में पानी भर जाने से धान और सब्जी की फसल सड़ रही है. राकेश सिंह ने कहा कि किसानों के सामने गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है. हर साल उनकी फसल बर्बाद हो जाती है.

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मवेशियों के चारे की समस्या

नहीं मिली कोई मदद
राकेश सिंह ने बताया कि किसानों की हालत बदतर होती जा रही है. परिवार के भरण पोषण में भी समस्याएं आ रही है. साथ ही मवेशियों तक को खिलाने के लिए चारा उपलब्ध नही है. किसानों ने बताया कि सरकार की तरफ से कोई आला अधिकारी अब तक उनका हाल चाल तक लेने नहीं आया है. उन्होंने बताया कि बीडियो सीओ को आवेदन भी दिया गया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.

देखें रिपोर्ट

अधिकारियों की लापरवाही
परशुरामपुर गांव के किसानों ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें मुआवजा दे नहीं तो मजबूरन वे लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. बता दें कि इन दिनों बिहार के 14 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. मुख्यमंत्री ने बाढ़ से पहले बैठक करके सभी विभागों को तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है.

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