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फूल की खेती पर लगी कोरोना की नजर, किसानों को झेलना पड़ रहा भारी नुकसान - सरकार से मदद की आस

किसानों ने बताया कि फूल की खेती में कम लागत में अधिक फायदा होता है. उन्होंने बताया कि उनके परिवार की माली हालत पहले से ही ठीक नहीं थी. लेकिन कोरोना की वजह से वे कर्ज में डूब चुके हैं.

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Published : Jun 30, 2020, 10:38 PM IST

सारण(छपरा): कोरोना का कहर पूरे देश में देखने को मिल रहा है. इसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन में कई लोगों का रोजगार छिन गया. साथ ही कोरोना ने कई व्यवसायों के चौपट कर दिया. जिले में फूल की खेती करने वाले किसानों की कोरोना ने कमर तोड़ दी है.

झेलना पड़ा नुकसान
परसा सैदपुर में फूलों की खेती करने वाले किसान संजय भगत भी करोना की मार झेल रहे हैं. तैयार फूल लॉकडाउन के कारण मंडी में नहीं पहुंच पाया. जिससे उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा.

देखें रिपोर्ट

बर्बाद हो गए तैयार फूल
किसान संजय भगत ने बताया कि फूल पूरी तरह से खेत मे में सूख गए थे. लेकिन कोई शादी समारोह या अन्य समारोह नहीं होने की वजह से कोई ऑडर भी नहीं मिला. साथ ही लॉकडाउन के कारण बाजार भी बंद थे. जिससे सारे फूल बर्बाद हो गए.

20 सालों से कर रहे खेती
संजय भगत ने बताया कि फूल बर्बाद होने से उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. जिससे परिवार के भरण पोषण में काफी दिक्कतें आ रही हैं. उन्होंने बताया कि पहले वे धान ओर गेहूं की खेती करते थे. लेकिन उसमें मुनाफा नहीं होने के कारण वे पिछले 20 सालों से फूल की खेती कर रहे हैं.

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फूल की खेती

कर्ज में डूबे किसान
किसान ने बताया कि फूल की खेती में कम लागत में अधिक फायदा होता है. उन्होंने बताया कि उनके परिवार की माली हालत पहले से ही ठीक नहीं थी. लेकिन कोरोना की वजह से वे कर्ज में डूब चुके हैं.

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मायूस किसान

उधार देने को भी नहीं है कोई तैयार
संजय भगत ने बताया कि हालात ऐसे हो गए हैं कि खेत को जोतने या बीज लेने के लिए भी पैसे नहीं हैं. साथ ही कर्जदारों के कर्ज इतने अधिक बढ़ गए हैं कि अब कोई उधार देने को भी तैयार नहीं है.

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किसान संजय भगत

ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन
प्रखंड विकास पदाधिकारी रजत किशोर सिंह ने बताया कि फूलों के खेती करने वाले किसानों को क्षति होने पर सरकार की तरफ से अनुदान की राशि दी जाती है. साथ ही जो लोग फूल की खेती करना चाहते हैं उन्हें भी मदद दी जाती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होता है.

सरकार से मदद की आस
किसान संजय के घर में कुल 8 लोग का परिवार है. जिनका पेट फूल की खेती से ही पलता है. ऐसे में अब उन्हें सरकार से ही मदद की आस है. बता दें कि कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों के साथ किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है.

सारण(छपरा): कोरोना का कहर पूरे देश में देखने को मिल रहा है. इसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन में कई लोगों का रोजगार छिन गया. साथ ही कोरोना ने कई व्यवसायों के चौपट कर दिया. जिले में फूल की खेती करने वाले किसानों की कोरोना ने कमर तोड़ दी है.

झेलना पड़ा नुकसान
परसा सैदपुर में फूलों की खेती करने वाले किसान संजय भगत भी करोना की मार झेल रहे हैं. तैयार फूल लॉकडाउन के कारण मंडी में नहीं पहुंच पाया. जिससे उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा.

देखें रिपोर्ट

बर्बाद हो गए तैयार फूल
किसान संजय भगत ने बताया कि फूल पूरी तरह से खेत मे में सूख गए थे. लेकिन कोई शादी समारोह या अन्य समारोह नहीं होने की वजह से कोई ऑडर भी नहीं मिला. साथ ही लॉकडाउन के कारण बाजार भी बंद थे. जिससे सारे फूल बर्बाद हो गए.

20 सालों से कर रहे खेती
संजय भगत ने बताया कि फूल बर्बाद होने से उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. जिससे परिवार के भरण पोषण में काफी दिक्कतें आ रही हैं. उन्होंने बताया कि पहले वे धान ओर गेहूं की खेती करते थे. लेकिन उसमें मुनाफा नहीं होने के कारण वे पिछले 20 सालों से फूल की खेती कर रहे हैं.

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फूल की खेती

कर्ज में डूबे किसान
किसान ने बताया कि फूल की खेती में कम लागत में अधिक फायदा होता है. उन्होंने बताया कि उनके परिवार की माली हालत पहले से ही ठीक नहीं थी. लेकिन कोरोना की वजह से वे कर्ज में डूब चुके हैं.

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मायूस किसान

उधार देने को भी नहीं है कोई तैयार
संजय भगत ने बताया कि हालात ऐसे हो गए हैं कि खेत को जोतने या बीज लेने के लिए भी पैसे नहीं हैं. साथ ही कर्जदारों के कर्ज इतने अधिक बढ़ गए हैं कि अब कोई उधार देने को भी तैयार नहीं है.

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किसान संजय भगत

ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन
प्रखंड विकास पदाधिकारी रजत किशोर सिंह ने बताया कि फूलों के खेती करने वाले किसानों को क्षति होने पर सरकार की तरफ से अनुदान की राशि दी जाती है. साथ ही जो लोग फूल की खेती करना चाहते हैं उन्हें भी मदद दी जाती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होता है.

सरकार से मदद की आस
किसान संजय के घर में कुल 8 लोग का परिवार है. जिनका पेट फूल की खेती से ही पलता है. ऐसे में अब उन्हें सरकार से ही मदद की आस है. बता दें कि कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों के साथ किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है.

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