ETV Bharat / state

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई तो बना दिए गए नक्सली, अब सरकारी स्कूल में बच्चों को दे रहे शिक्षा

कभी नक्सली कहे जाने वाले दिव्यांग वीरेंद्र सरकारी स्कूल में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. नक्सली करार दिए जाने से लेकर उनके शिक्षक बनने का समय बहुत ही संघर्षों से भरा रहा लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. पढ़ें वीरेंद्र की पूरी कहानी...

दिव्यांग वीरेंद्र
दिव्यांग वीरेंद्र
author img

By

Published : Dec 6, 2021, 7:37 AM IST

सारण (छपरा): बिहार के सारण जिले में कभी नक्सली करार दिए जाने वाले दिव्यांग वीरेंद्र (Divyang Teacher Virendra Story) अब बच्चों की जिंदगी सवार रहे हैं. इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है. उन्होंने पहले खुद पर से नक्सली होने का धब्बा हटाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी और फिर आरटीआई (Teacher Justice Through RTI) के माध्यम से सरकारी स्कूल में शिक्षक फर्जीवाड़े की पोल खोल दी. इसके बाद सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक उनकी नियुक्ति हुई.

इसे भी पढ़ें: Omicron In Bihar: पटना के निजी स्कूलों को निर्देश- तैयार रखें ऑनलाइन विकल्प.. पढ़ें पूरी गाइडलाइन

यह मामला सारण के पीर मकेर पंचायत का है. पीर पंचायत में शिक्षक पद पर वीरेंद्र और उनकी बहन आरती कुमारी की काउंसलिंग हुई थी. 4 अक्टूबर 2006 को तत्कालीन पंचायत समूह सचिव के समक्ष काउंसलिंग हुई थी. प्रथम पैनल में नाम भी आया था लेकिन पंचायत इकाई की ओर से रिश्वत की मांग की गई. वहीं रिश्वत नहीं देने पर फाइनल सूची से नाम हटा दिया गया और फर्जी तरीके से शिक्षकों की बहाली कर दी गई. इसके बाद दिव्यांग वीरेंद्र ने प्रखंड से लेकर प्रमंडल, राज्य और देश के 21 अधिकारियों और 13 मंत्री समेत सांसदों के पास फरियाद लगाई लेकिन न्याय नहीं मिला.

इसे भी पढ़ें: बड़ी लापरवाही : गोपालगंज में 15 दिन पहले मिले थे 5 कोरोना पॉजिटिव, जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए अब भेजे सैंपल

इंसाफ नहीं मिलने पर वीरेंद्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दायर याचिका सी डब्ल्यू जेसी संख्या 85888 /2007 में कोर्ट ने नियोजन प्राधिकार वाद से रिपोर्ट तलब की. नियोजन इकाई से इंसाफ नहीं मिलने पर दिव्यांग वीरेंद्र ने दोबारा हाईकोर्ट में दस्तक दी. 13 मार्च 2012 को हाईकोर्ट ने फिर से नियोजन इकाई को 3 महीने के अंदर नियोजन देने का आदेश दिया. इसके बावजूद जब नियोजन इकाई ने नियोजन नहीं किया, तो आरटीआई के तहत शिक्षक बहाली से संबंधित जानकारी मांगी. वहीं, जवाब मिलने के बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया.

इस मामले में तत्कालीन डीएम ने संज्ञान लेते हुए नियोजन इकाई पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. आरटीआई से भी इंसाफ मिला साथ ही वीरेंद्र और उसकी बहन को नौकरी मिल गई. बता दें कि कभी दिव्यांग वीरेंद्र को आरटीआई का इस्तेमाल करना महंगा पड़ गया था. 19 अगस्त 2007 को तत्कालीन मकेर प्रखंड प्रमुख गुड्डू शर्मा के अंगरक्षक की नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके घर को भी डायनामाइट से उड़ा दिया था.

इस मामले में वीरेंद्र को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था. नक्सली बनने के बाद भी वीरेंद्र ने लड़ाई नहीं छोड़ी और हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगाई. तत्कालीन मंत्री प्रवीण अमानुल्लाह की मदद से उन्हें इस मामले में इंसाफ मिला. अब सरकारी स्कूल में बच्चों की जिंदगी सवार रहे हैं. वीरेंद्र वर्तमान समय में मधुबन मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं. वह आज बच्चों के वर्क के अलावा ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं. इसके साथ ही जिन लोगों को दबाने की कोशिश की जाती है, ऐसे लोगों की मदद करते हैं. ब्लॉक और अंचल में कर्मियों और अफसरों की भ्रष्टाचार आरटीआई के सहारे खुलासा करते हैं. बता दें कि कानूनी लड़ाई के दौरान मजबूर होकर वीरेंद्र ने सुसाइड करने की भी कोशिश की थी.

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

सारण (छपरा): बिहार के सारण जिले में कभी नक्सली करार दिए जाने वाले दिव्यांग वीरेंद्र (Divyang Teacher Virendra Story) अब बच्चों की जिंदगी सवार रहे हैं. इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है. उन्होंने पहले खुद पर से नक्सली होने का धब्बा हटाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी और फिर आरटीआई (Teacher Justice Through RTI) के माध्यम से सरकारी स्कूल में शिक्षक फर्जीवाड़े की पोल खोल दी. इसके बाद सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक उनकी नियुक्ति हुई.

इसे भी पढ़ें: Omicron In Bihar: पटना के निजी स्कूलों को निर्देश- तैयार रखें ऑनलाइन विकल्प.. पढ़ें पूरी गाइडलाइन

यह मामला सारण के पीर मकेर पंचायत का है. पीर पंचायत में शिक्षक पद पर वीरेंद्र और उनकी बहन आरती कुमारी की काउंसलिंग हुई थी. 4 अक्टूबर 2006 को तत्कालीन पंचायत समूह सचिव के समक्ष काउंसलिंग हुई थी. प्रथम पैनल में नाम भी आया था लेकिन पंचायत इकाई की ओर से रिश्वत की मांग की गई. वहीं रिश्वत नहीं देने पर फाइनल सूची से नाम हटा दिया गया और फर्जी तरीके से शिक्षकों की बहाली कर दी गई. इसके बाद दिव्यांग वीरेंद्र ने प्रखंड से लेकर प्रमंडल, राज्य और देश के 21 अधिकारियों और 13 मंत्री समेत सांसदों के पास फरियाद लगाई लेकिन न्याय नहीं मिला.

इसे भी पढ़ें: बड़ी लापरवाही : गोपालगंज में 15 दिन पहले मिले थे 5 कोरोना पॉजिटिव, जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए अब भेजे सैंपल

इंसाफ नहीं मिलने पर वीरेंद्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दायर याचिका सी डब्ल्यू जेसी संख्या 85888 /2007 में कोर्ट ने नियोजन प्राधिकार वाद से रिपोर्ट तलब की. नियोजन इकाई से इंसाफ नहीं मिलने पर दिव्यांग वीरेंद्र ने दोबारा हाईकोर्ट में दस्तक दी. 13 मार्च 2012 को हाईकोर्ट ने फिर से नियोजन इकाई को 3 महीने के अंदर नियोजन देने का आदेश दिया. इसके बावजूद जब नियोजन इकाई ने नियोजन नहीं किया, तो आरटीआई के तहत शिक्षक बहाली से संबंधित जानकारी मांगी. वहीं, जवाब मिलने के बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया.

इस मामले में तत्कालीन डीएम ने संज्ञान लेते हुए नियोजन इकाई पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. आरटीआई से भी इंसाफ मिला साथ ही वीरेंद्र और उसकी बहन को नौकरी मिल गई. बता दें कि कभी दिव्यांग वीरेंद्र को आरटीआई का इस्तेमाल करना महंगा पड़ गया था. 19 अगस्त 2007 को तत्कालीन मकेर प्रखंड प्रमुख गुड्डू शर्मा के अंगरक्षक की नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके घर को भी डायनामाइट से उड़ा दिया था.

इस मामले में वीरेंद्र को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था. नक्सली बनने के बाद भी वीरेंद्र ने लड़ाई नहीं छोड़ी और हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगाई. तत्कालीन मंत्री प्रवीण अमानुल्लाह की मदद से उन्हें इस मामले में इंसाफ मिला. अब सरकारी स्कूल में बच्चों की जिंदगी सवार रहे हैं. वीरेंद्र वर्तमान समय में मधुबन मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं. वह आज बच्चों के वर्क के अलावा ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं. इसके साथ ही जिन लोगों को दबाने की कोशिश की जाती है, ऐसे लोगों की मदद करते हैं. ब्लॉक और अंचल में कर्मियों और अफसरों की भ्रष्टाचार आरटीआई के सहारे खुलासा करते हैं. बता दें कि कानूनी लड़ाई के दौरान मजबूर होकर वीरेंद्र ने सुसाइड करने की भी कोशिश की थी.

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.