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छपरा: दक्षिणेश्वर महाकाली मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, सभी मुरादें होतीं हैं पूरी - दक्षिणेश्वर महाकाली मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़

जिले में स्थित दक्षिणेश्वर महाकाली की महिमा निराली है. प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के महीने में हाजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. इस मंदिर में मां काली के ठीक सामने कुछ ही दूरी पर भोलेनाथ का शिवलिंग भी है, जो तंत्र साधना का उत्तम स्थान है.

crowd of devotees at dakshineswar mahakali temple
दक्षिणेश्वर महाकाली मंदिर में विराजमान मां
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Published : Oct 22, 2020, 9:45 AM IST

छपरा: जिले के सोनपुर अनुमंडल में स्थित बिहार के प्रसिद्ध मंदिर हरिहरनाथ के नारायणी तट पर अवस्थित दक्षिणेश्वर महाकाली की महिमा निराली है. इस मंदिर में हजारों महिला-पुरुष श्रद्धालु सुबह और संध्या बेला में दुर्गा का पाठ करने पहुंचते हैं. मां दक्षिणेश्वर काली 10 महाविद्याओं में प्रथम हैं.


दक्षिणेश्वर महाकाली उपासना का केंद्र
इनका संबंध रात्रि के मध्यकाल से माना जाता है. संसार जब तक शक्तिमान रहता है तभी तक वह शिव है. शक्ति निकल जाने के बाद वह शव माना जाता है. वैसे तो इस मंदिर में भक्त साल भर माता की उपासना करते हैं, लेकिन नवरात्र के इन 10 दिनों में यह मंदिर उपासना का मुख्य केंद्र बन जाता है. इस मंदिर में देवी मां कालरात्रि की मूर्ति विराजमान है. मां काली के ठीक सामने कुछ ही दूरी पर भोलेनाथ का शिवलिंग भी है, जो तंत्र साधना का उत्तम स्थान है.


सभी मुरादें होतीं हैं पूरी
कालीघाट नारायणी नदी के तट पर एकांत शांत स्थान पर अवस्थित इस मंदिर में विभिन्न क्षेत्रों से तंत्र साधक यहां पहुंचकर तंत्र साधना करते हैं. मां काली के सामने नतमस्तक होकर सच्चे मन से मानी गई मुरादें जरूर पूरी होतीं हैं. वैसे तो यहां प्रतिदिन श्रद्धा के साथ मां की पूजा-अर्चना होती है, लेकिन नवरात्रि में इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

छपरा: जिले के सोनपुर अनुमंडल में स्थित बिहार के प्रसिद्ध मंदिर हरिहरनाथ के नारायणी तट पर अवस्थित दक्षिणेश्वर महाकाली की महिमा निराली है. इस मंदिर में हजारों महिला-पुरुष श्रद्धालु सुबह और संध्या बेला में दुर्गा का पाठ करने पहुंचते हैं. मां दक्षिणेश्वर काली 10 महाविद्याओं में प्रथम हैं.


दक्षिणेश्वर महाकाली उपासना का केंद्र
इनका संबंध रात्रि के मध्यकाल से माना जाता है. संसार जब तक शक्तिमान रहता है तभी तक वह शिव है. शक्ति निकल जाने के बाद वह शव माना जाता है. वैसे तो इस मंदिर में भक्त साल भर माता की उपासना करते हैं, लेकिन नवरात्र के इन 10 दिनों में यह मंदिर उपासना का मुख्य केंद्र बन जाता है. इस मंदिर में देवी मां कालरात्रि की मूर्ति विराजमान है. मां काली के ठीक सामने कुछ ही दूरी पर भोलेनाथ का शिवलिंग भी है, जो तंत्र साधना का उत्तम स्थान है.


सभी मुरादें होतीं हैं पूरी
कालीघाट नारायणी नदी के तट पर एकांत शांत स्थान पर अवस्थित इस मंदिर में विभिन्न क्षेत्रों से तंत्र साधक यहां पहुंचकर तंत्र साधना करते हैं. मां काली के सामने नतमस्तक होकर सच्चे मन से मानी गई मुरादें जरूर पूरी होतीं हैं. वैसे तो यहां प्रतिदिन श्रद्धा के साथ मां की पूजा-अर्चना होती है, लेकिन नवरात्रि में इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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