सारण: जिले में अक्षय नवमी के अवसर पर युवा ब्राह्मण चेतना मंच की तरफ से भारतेश्वरी मारवाड़ी संस्कृत महाविद्यालय परिसर में पूजा अर्चना की गई. जिसके बाद महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर खाना बनाया. ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे खाना बनाने से संतान की प्राप्ति होती है. वहीं, इस पर्व को जिले में पूरे हर्षोल्लास के साथ मानाया गया.
दीपावली के 8 दिन बाद मनाते हैं पर्व
बता दें कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाई जाती है. जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है. यह पर्व दीपावली के 8 दिन बाद मनाया जाता है. अक्षय नवमी के दिन व्रती महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे ओम धात्र्यै नमो मंत्र का जाप करती हैं. इसके साथ ही कुष्मांड फल के अंदर रूपये या सोना-चांदी रखकर ब्राह्मणों को दान करती हैं, ताकि इसका फल पितरों को मिल सके.
'सदियों से चली आ रही परंपरा'
आचार्य हरेराम शास्त्री ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना अक्षय नवमी के दिन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
संतान प्राप्ति के लिए की जाती है पूजा
अक्षय नवमी के दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति और उसकी रक्षा के लिए पूजा-अर्चना करती हैं. कई जगह इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने की भी प्रथा है. ऐसा कहा जाता है कि अक्षय नवमी के दिन मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु और शिव की पूजा आंवले के रूप में की थी.