सारणः जिले में दो दिवसीय भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव का आयोजन किया गया. इस मौके पर लोक गायन शैली को जागृत करने का प्रयास किया गया. इसमें लोक गायक डॉ. मन्नू यादव ने भी शिरकत किया. बता दें कि लोक गायन शैली बिरहा को भारतीय संस्कृति के विविध आयामों में विशिष्ट माना गया है. वर्तमान परिवेश में लोक गायक डॉ. मन्नू यादव अपने गीत से गंवई मिट्टी की खुशबू बिखेरने का काम कर रहे हैं.
भोजपुरी संगीत को जीवित रखने की कवायद
लोक गायक डॉ. मन्नू यादव ने बताया कि पूर्वांचल सहित भोजपुरी वाले क्षेत्रों में पारंपरिक बिरहा,लोरकी, चंदैनी, आल्हा, कजरी, चैता जैसी लोक कला सदियों से चली आ रही है. उन्होंने कहा कि आज के युग में इस तरह के गीत को कम लोग सुन रहे है. क्योंकि आजकल भोजपुरी गीत-संगीत सुनने लायक तैयार ही नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई कलाकार साथियों के साथ मिलकर भोजपुरी संगीत को जीवित रखने की कवायद की जा रही हैं.
विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके है मन्नू यादव
लोक गायन शैली को जीवंत रखने वाले उत्तर प्रदेश के निवासी डॉ. मन्नू यादव पेशे से शिक्षक है. इन्हें संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली की ओर से उस्ताद बिस्मिल्लाह खान राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से बिलासा कला सम्मान, मोरिशस के तकनीकी विश्वविद्यालय की ओर से लोक भूषण सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं.