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भिखारी ठाकुर का गांव आज भी झेल रहा बदहाली की मार, सुविधाओं के अभाव में जिंदगी काट रहे हैं लोग

भिखारी ठाकुर के नाम से जाना जाने वाला गांव बदहाली की मार झेल रहा है. यहां लोग मुलभूत सुविधाओं के अभाव में अपना जीवनयापन कर रहे हैं.

मुलभूत सुविधाओं के अभाव में अपना जीवनयापन कर रहे लोग
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Published : May 3, 2019, 11:35 PM IST

सारण: भिखारी ठाकुर के नाम पर राजनीति शुरू से होती आ रही है. हर पार्टी या दल के लोग इनके नाम पर जनता से वोट मांगते है. भोजपुरी के सेक्शपियर को अपना बताते हैं. लेकिन भिखारी ठाकुर के गांव की ओर किसी ने नजर उठा कर नहीं देखी. यही वजह है कि यह गांव विकास से कोसों पीछे है.

मुलभूत सुविधाओं का अभाव
भिखारी ठाकुर के गांव के लिए विकास की बात करना भी बेमानी है. यहां तो मुलभुत सुविधाओं के लिए भी लोग जूझ रहे हैं. सड़क, बिजली और पानी भी गांव के लोगों को उपल्बध नहीं है. जिनका नाम विदेशों में भी लोग लेते हैं, जिनकी रचनाओं पर आज भी नाटक किया जाता है, उस भिखारी ठाकुर के गांव का विकास करना जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता में नहीं है.

बारिश के दिनों में होती है परेशानी
लोगों की मानें तो यहां किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके अनुसार सड़क नहीं होने के कारण बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है.

मुलभूत सुविधाओं के अभाव में अपना जीवनयापन कर रहे लोग

शौचालय की नहीं है व्यवस्था
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में शौचालय नहीं होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि इस गांव में शिक्षा की बेहतर व्यवस्था नहीं है. बिजली नहीं होने के कारण उन्हें अंधेरे में रहना पड़ता है.

सारण: भिखारी ठाकुर के नाम पर राजनीति शुरू से होती आ रही है. हर पार्टी या दल के लोग इनके नाम पर जनता से वोट मांगते है. भोजपुरी के सेक्शपियर को अपना बताते हैं. लेकिन भिखारी ठाकुर के गांव की ओर किसी ने नजर उठा कर नहीं देखी. यही वजह है कि यह गांव विकास से कोसों पीछे है.

मुलभूत सुविधाओं का अभाव
भिखारी ठाकुर के गांव के लिए विकास की बात करना भी बेमानी है. यहां तो मुलभुत सुविधाओं के लिए भी लोग जूझ रहे हैं. सड़क, बिजली और पानी भी गांव के लोगों को उपल्बध नहीं है. जिनका नाम विदेशों में भी लोग लेते हैं, जिनकी रचनाओं पर आज भी नाटक किया जाता है, उस भिखारी ठाकुर के गांव का विकास करना जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता में नहीं है.

बारिश के दिनों में होती है परेशानी
लोगों की मानें तो यहां किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके अनुसार सड़क नहीं होने के कारण बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है.

मुलभूत सुविधाओं के अभाव में अपना जीवनयापन कर रहे लोग

शौचालय की नहीं है व्यवस्था
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में शौचालय नहीं होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि इस गांव में शिक्षा की बेहतर व्यवस्था नहीं है. बिजली नहीं होने के कारण उन्हें अंधेरे में रहना पड़ता है.

Intro:MOJO KIT NUMBER:-577
SLUG:-NAM KE ANUSAR VIKAS NAHI
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR

Anchor:-जिसके नाम के सहारे गांव से लेकर राज्य, देश या विदेशों में राजनीति की रोटी सेंकने वाले नेता व अधिकारियों की नज़र इस बेजुबान गांव तक अभी तक पहुंच नही पाई हैं जबकि इस गांव को लेकर राज्य के कई पूर्व मुख्यमंत्री, निवर्तमान मुख्यमंत्री या वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हो या सांसद विधायक हो इन सभी ने इस भोजपुरिया मिट्टी के लाल लोककवि भिखारी ठाकुर को भूल गए है।


Body:सारण जिले का कुतुबपुर दियरा गांव कहने को तो सदर प्रखंड अंतर्गत आता हैं लेकिन विकास की बात किया जाये तो खोजने के बावजूद नही दिखेगा।

शायद यही कारण हैं कि गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, हर घर नल का जल हो या खुले में शौच से मुक्ति की बात हो या फिर गली गली सड़क की दुर्दशा देखने से तो ऐसा ही लगता हैं।

इसी सब मुद्दों को लेकर हमारें ईटीवी भारत के संवाददाता धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी ने बातचीत की हैं।

one to one:-धर्मेन्द्र कुमार रस्तोगी


Conclusion:ज्ञात हो कि लोककवि भिखारी ठाकुर का जन्म एक नाई परिवार में 18 दिसम्बर 1887 को भिखारी ठाकुर का जन्म हुआ था इनके पिता जी का नाम दल सिंगार ठाकुर था जबकि माता का नाम शिवकली देवी था और इन्होंने इनका निधन 84 वर्ष की आयु में 10 जुलाई 1971 में हो गया था।

इनके द्वारा लोकनाटक के तहत बिदेशिया, भाई-बिरोध, बेटी-बियोग, बेटी बेचवा, कलयुग प्रेम, गबर घिचोर, गंगा स्नान, बिधवा-बिलाप, शिव विवाह, भजन कीर्तन, रामलीला, कृष्ण भक्ति जैसे कई महान कृतियों के माध्यम से समाज पर प्रहार करते हुए कुरीतियों को दर्शया हैं।

नीतीश कुमार इन्ही से प्रेरित होकर बिहार में शराबबंदी हो या दहेज प्रथा को लागू किया हैं क्योंकि भिखारी ठाकुर अनपढ़ होते हुए भी अपने नाट्य के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करते हुए प्रकाश डालने का काम कर चुके है। लेकिन आज तक इनके नाम पर राजनीति के अलावे कुछ भी नही हुआ है।
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