छपरा: आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले नौनिहालों का शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित हो, इसके लिए केंद्रों को प्ले-स्कूल की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है. इसी कड़ी में मांझी प्रखंड के कौरू-धौरू पंचायत के गुर्दाहा खुर्द गांव में करीब 8 लाख रुपये की लागत से मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया गया है. निजी प्ले-स्कूल की तर्ज पर यहां भी लाभार्थी परिवार के बच्चों को रोचक ढंग से खुशनुमा माहौल में शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी. भवन की दीवारों पर जहां सुंदर चित्र बनाये गये हैं. वहीं, साथ ही केंद्रों में स्वच्छ पेयजल, शौचालय और बागवानी आदि की भी समुचित व्यवस्था की गयी है.
केंद्रों में शिक्षा की बुनियाद सिर्फ संसाधनों की उपलब्धता से मजबूत नहीं होती है. लेकिन, बात यदि बच्चों की शिक्षा की हो तो शिक्षण संस्थान में बाल सुलभ सुविधाओं की मौजूदगी बच्चों में आकर्षण पैदा करता है, जो बाद में उनकी शिक्षा की नींव तैयार करती है. आधुनिक स्कूलों के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान ने आंगनबाड़ी केंद्र जैसे सरकारी इकाईयों के सामने चुनौतियां पेश की है. लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों के आदर्श बनने की राह ने फिर से आंगनबाड़ी केन्द्रों की महत्ता एवं उपयोगिता को जीवंत किया है.
खेलने के लिए बनाया गया आकर्षक पार्क
आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया इस मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले बच्चों को खेलने के लिए आकर्षक पार्क का निर्माण किया गया है. करीब ढाई कठ्ठा जमीन पर इस पार्क का निर्माण किया गया. पार्क में बैठने और खेलने के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है. बैठने के लिए बेंच व खेलने के झूला लगाया गया है. साथ ही पार्क को फूल पौधों से सजाया गया है. इसके साथ ही पार्क के चारों तरफ दिवारों को आकर्षक पेंटिंग भी की गयी है. जहां पर स्वच्छता का संदेश, कोरोना से बचाव का संदेश, पोषण के बारे में जानकारी व अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में वालपेंटिंग के माध्यम से बताया गया.
कलाकृतियों से नन्हें बच्चों को हो रहा अक्षर बोध
आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका मेहरून निशा ने कहा इस मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को बुनियादी शिक्षा की व्यवस्था की गई है. इसके लिए नवीन आधुनिक पद्धतियों को अपनाकर बच्चों को सरलतम तरीके से शिक्षा देने की पहल की गयी है. बच्चों को उनकी स्थानीय बोली और भाषा में कविता, कहानी और गीतों के माध्यम से भी सिखाया जा रहा है. आंगनबाड़ी भवन की दीवार, छत, फर्श और बाहरी स्थलों में बनाए गए कलाकृतियों से नन्हें बच्चों को अक्षर बोध, रंगों को पहचानना, चित्रों के माध्यम से जानवरों के नाम को जानना, प्रारंभिक स्तर पर अंकों का ज्ञान के साथ छोटी-छोटी जानकारी बोलने, समझने में मदद मिलती है. आंगनबाड़ी की छत पर सौर मंडल, फर्श पर अक्षर और अंक, दीवारों पर अंग्रेजी और हिन्दी के अक्षरों के साथ जानवरों के चित्र बच्चों को खूब लुभाते हैं. नवीनतम तकनीक के इस प्रयोग से इस क्षेत्र शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिल रही है.
मिलेंगी ये सुविधाएं:
- बच्चों को बैठने व खेलने के सभी सुविधाएं
- बेहतर महौल में शिक्षा
- शौचालय व पेयजल की सुविधा
- पोषण वाटिका
- गर्भवती महिलाओं के समुचित जांच की सुविधा
- लाइट व पंखा
- बेंच व कुर्सी टेबल
- बच्चों के टीकाकरण