सारण: 'हर दुख सहेंगे लेकिन, अपने घर जाएंगे.. क्योंकि क्वारंटीन सेंटर में दिल नहीं लगता' ये शब्द हैं उन नेपाली मजदूरों के जो मौजूदा समय में लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं. दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉकडाउन के कारण कई लोग दूसरे राज्यों में जहां-तहां फंस गए. ऐसे में घर परिवार से दूर उन्हें महीनों बीत चुके हैं. कुछ ऐसा ही हाल सारण मढ़ौरा के तेजपुरवा मिडिल स्कूल में बने क्वारंटीन केंद्र में फंसे नेपाली मजदूरों का है.
नेपाली मजदूरों की मानें तो पिछले करीब एक महीने से ज्यादा से वे फंसे हुए हैं. अब उनके सब्र का बांध टूटने लगा है. ऐसे में वे प्रशासन से आस छोड़कर पैदल ही मढ़ौरा से नेपाल के लिए निकल पड़े. जब इस बात की सूचना केंद्र पर तैनात पुलिस अधिकारी ने एसडीओ और डीएसपी को दी, तब वे तत्काल मौके पर पहुंचे. उन्होंने नेपाली मजदूरों को समझाया और उन्हें जल्द नेपाल भेजने का आश्वासन देकर उन्हें रोका.
घर की यादों को साझा कर दुखी हो रहे नेपाली
रोजगार की तलाश में घर से बिहार आए प्रवासी इन दिनों काफी दुखी हैं. सभी 53 नेपाली मजदूर अपना-अपना सामान लेकर पैदल ही नेपाल जाने के लिए तेजपुरवा मध्य विद्यालय हिंदी क्वांरटीन सेंटर से निकलकर रेलवे ट्रैक पर आ गए. जानकारी मिलने पर पुलिस प्रशासन के अधिकारी पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित में किया.
क्वांरटीन केंद्र में 40 दिनों से रह रहे नेपाली मजदूर
नेपाली मजदूर प्रशांत गुरुंग का कहना है कि वे लोग सरकार की ओर से निर्धारित क्वारंटीन अवधि से अधिक समय तक यहां रह चुके हैं. उनकी खून जांच रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई है. ऐसे में उनका सवाल है कि प्रशासन ने किस आधार पर उन्हें जबरन मढ़ौरा सेंटर पर रखा है.