समस्तीपुरः बिहार में कई जिले इन दिनों बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं. राज्य के 14 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. जिले में गंडक नदी के किनारे बसे सैंकड़ों परिवारों के घर बाढ़ में बह गए. जिससे यहां के लोग तटबंध पर खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर हैं. बाढ़ प्रभावित लोगों के पास न तो खाने के लिए राशन है और न रहने के लिए छत, लेकिन इनकी सुध लेने के लिए अब तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है.
दाने दाने को मोहताज
गंडक नदी के किनारे करीब छह सौ से अधिक परिवारों का कच्चा व पक्का मकान था, जिसे बाढ़ का पानी अपने साथ बहा ले गया. लोग एक सप्ताह से तटबंध पर शरण लेकर रह रहे हैं. स्थानीय लेगों ने बताया कि उनका जो भी सामान और राशन था वह बाढ़ के पानी में डूब गया. जिससे अब वे दाने दाने को मोहताज हो गए हैं.
नहीं मिल रही मदद
मगरदही घाट से लेकर बहादुरपुर घाट तक के लोग तटबंध पर शरण लिए हुए हैं. इन विस्थापित लोगों को उम्मीद थी कि जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि इनकी सुध लेंगे. मौसम की बेरुखी के बीच किसी तरह फटे पुराने कपड़े के तंबू में ये परिवार जिंदगी बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन इन्हें अभी तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है.
अधिकारियों की लापरवाही
बता दें कि बाढ़ से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी विभागों के साथ बैठक की थी. इस दौरान सीएम ने अधिकारियों को तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए थे. भले ही सरकार के मंत्री बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचने का दावा कर रहे हो, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से लोगों की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है.