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जमीन पर पौधारोपण, कागजों में सिंचाई, सूखते पौधों से उठ रहे सवाल

समस्तीपुर में हरियाली को लेकर गजब की लापरवाही बरती जा रही है. ऐसा नजारा सिर्फ एक शहर का नहीं है, सूरत सभी शहरों की एक ही है. शहर से लेकर गांव तक लगे लाखों पौधे में बहुत से पेड़ उदासीनता के चलते सूख गए. यहां सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार धरातल पर ऐसे ही हरियाली लाएगी?

jal jeevan hariyali yojna in samastipur
jal jeevan hariyali yojna in samastipur
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Published : Mar 18, 2021, 7:21 PM IST

समस्तीपुर: सूबे में जल जीवन हरियाली योजना के तहत 2.51 करोड़ पौधरोपण हुए. जिले में भी करीब 10 लाख पौधे लगाए गए हैं. वैसे लक्ष्य प्राप्ति में बेहतर कामों को लेकर जिले के प्रयास को जरूर सराहा गया. गांव से लेकर शहर तक लाखों पौधे लगाए गए. हजारों पौधे दम तोड़ चुके हैं. सूखते पौधों से सैकड़ों सवाल भी उठ रहे हैं.

jal jeevan hariyali yojna in samastipur
जल जीवन हरियाली योजना के तहत किए गए थे 2.51 करोड़ पौधरोपण

यह भी पढ़ें- पटना विश्वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता क्यों हो रही खराब, क्या है इसकी वजह?

सरकारी विभागों और संस्थाओं ने किया पौधारोपण
दरअसल मनरेगा, जीविका हो या फिर अन्य विभाग के तरफ से लगाए गए पौधे, इन सभी पौधों को बचाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर थी. लेकिन सुदूर इलाके की कौन कहे, जिला मुख्यालय में ही, जिन विभागों ने पौधे लगाए उसी दफ्तर के सामने पौधे सूखने लगे हैं. देखरेख के अभाव में पौधे दम तोड़ रहे हैं.

jal jeevan hariyali yojna in samastipur
विभागीय उदासीनता के चलते सूखे पेड़

कागजी नियमों का हवाला
वैसे इस मामले पर जिला वन एवं पर्यावरण विभाग के वरीय अधिकारी कागजी नियमों का हवाला दे रहे हैं. डीएफओ कहते हैं कि पौधे लगाने वाली सभी संस्थानों से उन्हें बचाने का सर्टिफिकेट लिया गया है. इसको लेकर लगातार मॉनिटरिंग भी किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- बगहा नगर परिषद खुले में फेंक रहा कचरा, सड़ांध से स्थानीय लोग परेशान

सवाल तो उठेंगे
फिर सवाल ये उठ रहा है कि, अगर वन विभाग मॉनिटरिंग कर रहा है तो पौधे सूख कैसे रहे हैं? क्या पौधे की गुणवत्ता खराब है? या देखरेख में कोई कमी रह गई ? इन सवालों के जवाब वन विभाग को भी देना होगा.

ये है पौधारोपण की हकीकत
वन विभाग के दावों को विभागों के सामने लगे सूखते पौधे ही खोल रहे हैं. शहर के अंदर, दफ्तर के सामने ही पौधे दम तोड़ते दिख जाएंगे. इन पौधों को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनको कागजों पर कितना पानी पिलाया गया होगा ! जो बच गए उन्हें जानवर चर गए.

यह भी पढ़ें- अदालतगंज तालाब का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का काम लगभग पूरा, अगले हफ्ते उद्घाटन संभव

'हरियाली के लिए जागरूकता जरूरी है'
वैसे इस मामले पर जिला परिषद की अध्यक्ष का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर पहले लोगों में जागरूकता जरूरी है. कमोवेश पर्यावरण संरक्षण की यह मुहिम सिर्फ और सिर्फ सरकारी प्रयासों से सफल होने वाला नहीं है. इसको लेकर हमसभी को एकसाथ आगे आना होगा. जरूरी यह भी है कि सम्बन्धित सरकारी विभाग और जनप्रतिनिधि सिर्फ फाइलों से मॉनिटरिंग न करें, धरातल पर पहुंचकर भी जायजा लें.

समस्तीपुर: सूबे में जल जीवन हरियाली योजना के तहत 2.51 करोड़ पौधरोपण हुए. जिले में भी करीब 10 लाख पौधे लगाए गए हैं. वैसे लक्ष्य प्राप्ति में बेहतर कामों को लेकर जिले के प्रयास को जरूर सराहा गया. गांव से लेकर शहर तक लाखों पौधे लगाए गए. हजारों पौधे दम तोड़ चुके हैं. सूखते पौधों से सैकड़ों सवाल भी उठ रहे हैं.

jal jeevan hariyali yojna in samastipur
जल जीवन हरियाली योजना के तहत किए गए थे 2.51 करोड़ पौधरोपण

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सरकारी विभागों और संस्थाओं ने किया पौधारोपण
दरअसल मनरेगा, जीविका हो या फिर अन्य विभाग के तरफ से लगाए गए पौधे, इन सभी पौधों को बचाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर थी. लेकिन सुदूर इलाके की कौन कहे, जिला मुख्यालय में ही, जिन विभागों ने पौधे लगाए उसी दफ्तर के सामने पौधे सूखने लगे हैं. देखरेख के अभाव में पौधे दम तोड़ रहे हैं.

jal jeevan hariyali yojna in samastipur
विभागीय उदासीनता के चलते सूखे पेड़

कागजी नियमों का हवाला
वैसे इस मामले पर जिला वन एवं पर्यावरण विभाग के वरीय अधिकारी कागजी नियमों का हवाला दे रहे हैं. डीएफओ कहते हैं कि पौधे लगाने वाली सभी संस्थानों से उन्हें बचाने का सर्टिफिकेट लिया गया है. इसको लेकर लगातार मॉनिटरिंग भी किया जा रहा है.

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सवाल तो उठेंगे
फिर सवाल ये उठ रहा है कि, अगर वन विभाग मॉनिटरिंग कर रहा है तो पौधे सूख कैसे रहे हैं? क्या पौधे की गुणवत्ता खराब है? या देखरेख में कोई कमी रह गई ? इन सवालों के जवाब वन विभाग को भी देना होगा.

ये है पौधारोपण की हकीकत
वन विभाग के दावों को विभागों के सामने लगे सूखते पौधे ही खोल रहे हैं. शहर के अंदर, दफ्तर के सामने ही पौधे दम तोड़ते दिख जाएंगे. इन पौधों को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनको कागजों पर कितना पानी पिलाया गया होगा ! जो बच गए उन्हें जानवर चर गए.

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'हरियाली के लिए जागरूकता जरूरी है'
वैसे इस मामले पर जिला परिषद की अध्यक्ष का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर पहले लोगों में जागरूकता जरूरी है. कमोवेश पर्यावरण संरक्षण की यह मुहिम सिर्फ और सिर्फ सरकारी प्रयासों से सफल होने वाला नहीं है. इसको लेकर हमसभी को एकसाथ आगे आना होगा. जरूरी यह भी है कि सम्बन्धित सरकारी विभाग और जनप्रतिनिधि सिर्फ फाइलों से मॉनिटरिंग न करें, धरातल पर पहुंचकर भी जायजा लें.

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