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समस्तीपुर: आस्था पर हावी दिख रही मंहगाई, छोटी मूर्तियों को तरजीह दे रहे ग्राहक - Large statues cost more

मूर्तिकारों का कहना है कि सरस्वती पूजा को लेकर हर साल काफी संख्या में आर्डर आते थे. लेकिन, बीते कुछ सालों से मांग कम होती चली जा रही है.

सरस्वती माता की प्रतिमा
सरस्वती माता की प्रतिमा
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Published : Jan 29, 2020, 10:08 PM IST

समस्तीपुर: जिले में सरस्वती पूजा की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं. बाजार छोटी-बड़ी रंग-बिरंगी मूर्तियों से पटा नजर आ रहा है. लेकिन, इस बार आस्था पर मंहगाई की मार पड़ती दिख रही है. दरअसल, मंहगाई के कारण लोग छोटी मूर्तियों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. बड़ी मूर्तियों की कीमत ज्यादा है इस कारण उनकी बिक्री मंदी है.

ऐसे में मूर्तिकारों के सामने ये सवाल है कि वे अपने पुस्तैनी कारोबार को कैसे आगे बढ़ाएं और जीवन यापन करें. मूर्तिकारों का कहना है कि सरस्वती पूजा को लेकर हर साल काफी संख्या में आर्डर आते थे. लेकिन, बीते कुछ सालों से मांग कम होती चली जा रही है. अमूमन पहले जहां हजार की कीमत वाली मूर्तियां बिकती थी अब अधिकतर लोग छोटे और कम कीमत की मूर्तियां बनवाते हैं.

samastipur
सरस्वती माता की प्रतिमा

ये भी पढ़ें: बौद्ध महोत्सव की शुरुआत कर बोले CM नीतीश- बोधगया के विकास लिए हर संभव काम किया जाएगा

पुस्तैनी कारोबार से मुंह मोड़ रहे हैं मूर्तिकार
मूर्तिकार के अनुसार अब वे मूर्ति बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते हैं. पहले ही सीजन आने पर बिक्री होती थी. लेकिन, मंहगाई के कारण अब वह भी दिनों दिन कम होती जा रही है. ऐसे में उनका कहना है कि जिस तरह अब इस कारोबार का हाल है शायद अब यह कला उनके रोजगार का जरिया नहीं रहने वाली है.

समस्तीपुर: जिले में सरस्वती पूजा की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं. बाजार छोटी-बड़ी रंग-बिरंगी मूर्तियों से पटा नजर आ रहा है. लेकिन, इस बार आस्था पर मंहगाई की मार पड़ती दिख रही है. दरअसल, मंहगाई के कारण लोग छोटी मूर्तियों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. बड़ी मूर्तियों की कीमत ज्यादा है इस कारण उनकी बिक्री मंदी है.

ऐसे में मूर्तिकारों के सामने ये सवाल है कि वे अपने पुस्तैनी कारोबार को कैसे आगे बढ़ाएं और जीवन यापन करें. मूर्तिकारों का कहना है कि सरस्वती पूजा को लेकर हर साल काफी संख्या में आर्डर आते थे. लेकिन, बीते कुछ सालों से मांग कम होती चली जा रही है. अमूमन पहले जहां हजार की कीमत वाली मूर्तियां बिकती थी अब अधिकतर लोग छोटे और कम कीमत की मूर्तियां बनवाते हैं.

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सरस्वती माता की प्रतिमा

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पुस्तैनी कारोबार से मुंह मोड़ रहे हैं मूर्तिकार
मूर्तिकार के अनुसार अब वे मूर्ति बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते हैं. पहले ही सीजन आने पर बिक्री होती थी. लेकिन, मंहगाई के कारण अब वह भी दिनों दिन कम होती जा रही है. ऐसे में उनका कहना है कि जिस तरह अब इस कारोबार का हाल है शायद अब यह कला उनके रोजगार का जरिया नहीं रहने वाली है.

Intro:आस्था पर पड़ी मंहगाई की मार , मूर्ति बनाने से जुड़े मूर्तिकारों के सामने अब यही सवाल , कैसे बढ़ाएं आगे व अपने पुस्तैनी कामो को । दरअसल लगातार जंहा कम होते जा रहे खरीदार , वंही वक्त के साथ और भी कमते जा रहे मूर्तियों के मूल्य ।


Body:दरअसल इस सरस्वती पूजा जिले के प्रमुख मूर्तिकारों के आने वाले आर्डर आधे से भी कम आये है । यही नही अमूमन पहले जंहा बड़ी बड़ी कई हजार के मूर्तियों के खरीदार पंहुचते थे । अब अधिकतर लोग छोटे व कम मूल्य की मूर्तियां बनवा रहे । बहरहाल इसका असर जिले के प्रमुख मूर्तिकारों के दिख भी रहा । आस्था पर हावी इस मंहगाई ने इससे जुड़े लोगों के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है । मूर्तिकार के अनुसार , अपने इसी पुस्तैनी कामो से वे अपने परिवार का भरण पोषण करते है , लेकिन जिस तरह अब इस कारोबार का हाल है , शायद अब यह कला उनके रोजगार का जरिया नही रहने वाला ।

बाईट - लक्ष्मण पंडित , अजय पंडित - मूर्तिकार ।


Conclusion:बहरहाल , बदलते वक्त के साथ पहले ही एक बड़ी आबादी अपनी पुस्तैनी कामों को छोड़ मजदूरी करने को विवश है । वंही आस्था पर बढ़ते इस मंहगाई के वजह से यैसे मूर्तिकारों का भी कुछ यैसा ही हस्र होने वाला ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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