समस्तीपुर: पूरे जिले में एईएस का कहर जारी है. बच्चों की मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे है. ताजा मामला समस्तीपुर जिले के रोसरा प्रखंड के दौलतपुर गांव का है जहां चमकी ने एक मासूम को अपनी आगोश में ले लिया.
सरकारी दावे की खुली पोल
बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने को लेकर सरकार लाख दावे करती है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जरा सुनिए एक बदकिस्मत पिता की आपबीती. इनके जिगर के टुकड़े को जहां इस बेदर्द एईएस ने लील लिया वहीं सरकारी सिस्टम ने भी कुछ कम दर्द नहीं दिए. समस्तीपुर सदर अस्पताल से लेकर डीएमसीएच तक, सरकारी दावों की हर एक सच्चाई इस बेबस पिता के सामने तार-तार हुई.
AES से बच्चे की मौत
रोसरा प्रखंड के दौलतपुर गांव के रहने वाले महेश दास के लगभग ढाई साल के इकलौते बेटे मुन्ना को एईएस ने अपनी चपेट में ले लिया. बेसुध बच्चे को जिले के सदर अस्पताल ले जाया गया. वहां बच्चे का प्राथमिक उपचार किया गया. डॉक्टर ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए दरभंगा के डीएमसीएच रेफर कर दिया.
अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
डीएमसीएच में भी बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी और वो मौत की नींद सो गया. लेकिन इस सिस्टम ने पीड़ित पिता के साथ इतना भद्दा मजाक किया है कि उसका दर्द आज भी उसकी आंखों में झलकता है. इस पीड़ित पिता के अनुसार डीएमसीएच में इलाज के दौरान पूरी लापरवाही बरती गई. बच्चे के मौत हो जाने के बाद भी इनसे दवा की मांग की जाती रही. इतना ही नहीं, शव ले जाने को लेकर जो इन्हें एंबुलेंस दिया गया उसके लिए इनसे पैसे लिए गए.
विपक्ष के घेरे में सरकार
इस घटना के बाद विपक्ष को सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया है. कांग्रेस नेता नंदकिशोर चौधरी ने कहा कि इस बीमारी ने अब भयावह रूप ले लिया है. जिले के कई प्रखंडों में एईएस अपना पैर पसार चुका है फिर भी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. उन्होनें स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया.
सरकार से सवाल
मासूम की मौत से घर में चीख की गूंज सुनाई दे रही है. मां का रो-रो कर बुरा हाल है. ऐसे में इस बेबस पिता का दर्द सिस्टम के अधिकारियों तक कब पहुंचेगा ये तो पता नहीं. लेकिन इस तरह की घटना सिस्टम पर सवाल जरूर खड़ा करता है. सरकार जो दावे करती है क्या उसकी हकीकत यही है? आम जनता से लेकर विपक्ष का सरकार से इसतरह के कई सवाल हैं.