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बेटे की मौत के बाद चीखती रही मां, पिता बोला- मरने के बाद भी दवा मंगाते रहे अस्पतालकर्मी

बच्चे की मौत के बाद पूरे घर में मातम पसरा है. मां का रो-रो कर बुरा हाल है. वहीं पिता ने अस्पताल पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.

बेटे की मौत के बाद चीखती रही मां
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Published : Jun 27, 2019, 5:38 PM IST

Updated : Jun 27, 2019, 8:54 PM IST

समस्तीपुर: पूरे जिले में एईएस का कहर जारी है. बच्चों की मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे है. ताजा मामला समस्तीपुर जिले के रोसरा प्रखंड के दौलतपुर गांव का है जहां चमकी ने एक मासूम को अपनी आगोश में ले लिया.

सरकारी दावे की खुली पोल
बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने को लेकर सरकार लाख दावे करती है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जरा सुनिए एक बदकिस्मत पिता की आपबीती. इनके जिगर के टुकड़े को जहां इस बेदर्द एईएस ने लील लिया वहीं सरकारी सिस्टम ने भी कुछ कम दर्द नहीं दिए. समस्तीपुर सदर अस्पताल से लेकर डीएमसीएच तक, सरकारी दावों की हर एक सच्चाई इस बेबस पिता के सामने तार-तार हुई.

पेश है रिपोर्ट

AES से बच्चे की मौत
रोसरा प्रखंड के दौलतपुर गांव के रहने वाले महेश दास के लगभग ढाई साल के इकलौते बेटे मुन्ना को एईएस ने अपनी चपेट में ले लिया. बेसुध बच्चे को जिले के सदर अस्पताल ले जाया गया. वहां बच्चे का प्राथमिक उपचार किया गया. डॉक्टर ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए दरभंगा के डीएमसीएच रेफर कर दिया.

अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
डीएमसीएच में भी बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी और वो मौत की नींद सो गया. लेकिन इस सिस्टम ने पीड़ित पिता के साथ इतना भद्दा मजाक किया है कि उसका दर्द आज भी उसकी आंखों में झलकता है. इस पीड़ित पिता के अनुसार डीएमसीएच में इलाज के दौरान पूरी लापरवाही बरती गई. बच्चे के मौत हो जाने के बाद भी इनसे दवा की मांग की जाती रही. इतना ही नहीं, शव ले जाने को लेकर जो इन्हें एंबुलेंस दिया गया उसके लिए इनसे पैसे लिए गए.

samastipur
नंदकिशोर चौधरी, कांग्रेस नेता

विपक्ष के घेरे में सरकार
इस घटना के बाद विपक्ष को सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया है. कांग्रेस नेता नंदकिशोर चौधरी ने कहा कि इस बीमारी ने अब भयावह रूप ले लिया है. जिले के कई प्रखंडों में एईएस अपना पैर पसार चुका है फिर भी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. उन्होनें स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया.

सरकार से सवाल
मासूम की मौत से घर में चीख की गूंज सुनाई दे रही है. मां का रो-रो कर बुरा हाल है. ऐसे में इस बेबस पिता का दर्द सिस्टम के अधिकारियों तक कब पहुंचेगा ये तो पता नहीं. लेकिन इस तरह की घटना सिस्टम पर सवाल जरूर खड़ा करता है. सरकार जो दावे करती है क्या उसकी हकीकत यही है? आम जनता से लेकर विपक्ष का सरकार से इसतरह के कई सवाल हैं.

समस्तीपुर: पूरे जिले में एईएस का कहर जारी है. बच्चों की मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे है. ताजा मामला समस्तीपुर जिले के रोसरा प्रखंड के दौलतपुर गांव का है जहां चमकी ने एक मासूम को अपनी आगोश में ले लिया.

सरकारी दावे की खुली पोल
बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने को लेकर सरकार लाख दावे करती है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जरा सुनिए एक बदकिस्मत पिता की आपबीती. इनके जिगर के टुकड़े को जहां इस बेदर्द एईएस ने लील लिया वहीं सरकारी सिस्टम ने भी कुछ कम दर्द नहीं दिए. समस्तीपुर सदर अस्पताल से लेकर डीएमसीएच तक, सरकारी दावों की हर एक सच्चाई इस बेबस पिता के सामने तार-तार हुई.

पेश है रिपोर्ट

AES से बच्चे की मौत
रोसरा प्रखंड के दौलतपुर गांव के रहने वाले महेश दास के लगभग ढाई साल के इकलौते बेटे मुन्ना को एईएस ने अपनी चपेट में ले लिया. बेसुध बच्चे को जिले के सदर अस्पताल ले जाया गया. वहां बच्चे का प्राथमिक उपचार किया गया. डॉक्टर ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए दरभंगा के डीएमसीएच रेफर कर दिया.

अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
डीएमसीएच में भी बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी और वो मौत की नींद सो गया. लेकिन इस सिस्टम ने पीड़ित पिता के साथ इतना भद्दा मजाक किया है कि उसका दर्द आज भी उसकी आंखों में झलकता है. इस पीड़ित पिता के अनुसार डीएमसीएच में इलाज के दौरान पूरी लापरवाही बरती गई. बच्चे के मौत हो जाने के बाद भी इनसे दवा की मांग की जाती रही. इतना ही नहीं, शव ले जाने को लेकर जो इन्हें एंबुलेंस दिया गया उसके लिए इनसे पैसे लिए गए.

samastipur
नंदकिशोर चौधरी, कांग्रेस नेता

विपक्ष के घेरे में सरकार
इस घटना के बाद विपक्ष को सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया है. कांग्रेस नेता नंदकिशोर चौधरी ने कहा कि इस बीमारी ने अब भयावह रूप ले लिया है. जिले के कई प्रखंडों में एईएस अपना पैर पसार चुका है फिर भी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. उन्होनें स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया.

सरकार से सवाल
मासूम की मौत से घर में चीख की गूंज सुनाई दे रही है. मां का रो-रो कर बुरा हाल है. ऐसे में इस बेबस पिता का दर्द सिस्टम के अधिकारियों तक कब पहुंचेगा ये तो पता नहीं. लेकिन इस तरह की घटना सिस्टम पर सवाल जरूर खड़ा करता है. सरकार जो दावे करती है क्या उसकी हकीकत यही है? आम जनता से लेकर विपक्ष का सरकार से इसतरह के कई सवाल हैं.

Intro:एईएस जैसे जानलेवा बीमारी से पीड़ित बच्चों के इलाज से जुड़ी सरकारी दावों के बीच सुनिए एक बदकिस्मत बाप की आपबीती। जिसके जिगर के टुकड़े को जहां इस बेदर्द एईएस ने लील लिया। वहीं सरकारी सिस्टम ने भी कुछ कम दर्द नहीं दिए। समस्तीपुर सदर अस्पताल से लेकर डीएमसीएच तक, सरकारी दावों की हर एक सच्चाई इस बेबस पिता के सामने तार-तार हुई। यही नहीं जब इसका मासूम मौत के आगोश में सो गया। इसके बाद भी दवा व एंबुलेंस के नाम पर सरकारी दावे वह मानवता की बोली लगती रही।


Body:जिले के रोसरा प्रखंड के दौलतपुर ग्राम में रहने वाले महेश दास, सूबे में मासूमों पर कहर बरपा रहे एईएस ने इनके लगभग ढाई वर्ष के इकलौते बेटे मुन्ना को अपने आगोश में ले लिया। वेसुध बच्चे को लेकर या जिले के सदर अस्पताल इलाज को पहुंचे। वैसे वहां जांच के बाद हालात को क्रिटिकल देखते बच्चे को दरभंगा के डीएमसीएच रेफर कर दिया गया। वैसे वहां भी बच्चों की जान नहीं बच पाई, मासूम मौत के नींद सो गया, लेकिन उस पीड़ित पिता के साथ इस सिस्टम ने इतना भद्दा मजाक किया है की, उसका दर्द आज भी उसकी आंखों में झलकता है। साथ ही सरकारी दावों की बेशर्म हकीकत भी उजागर होता है। इस पीड़ित पिता के अनुसार, डीएमसीएच में इलाज के दौरान पूरी लापरवाही बरती गई, यही नहीं सभी जरूरी दवाई हैं जहां खरीदकर लाना पड़ा, वही बच्चे के मौत हो जाने के बाद भी इनसे दवा की मांग की जाती रही। यही नहीं अपने मृतक लाडले का शव लाने को लेकर भी इनसे एंबुलेंस को लेकर पैसे लिए गए।


बाईट- महेश दास ,पीड़ित


वीओ- इस घर के आंगन में मासूम के मौत पर चित्कार वहीं इस बेबस पिता का दर्द सिस्टम के गाल पर तमाचा है। सवाल सुबह के मुखिया से लेकर बड़े हुक्मरानों का इस बीमारी को लेकर दावे की सच्चाई यही है। और क्या इसी लचर व्यवस्था के वजहों से सैकड़ों बच्चों की जान गई। वैसे इस को लेकर सवाल उठा रहे विपक्ष ने इस मामले पर सरकार के ऊपर हमला करने का एक मौका जरूर दिया है।

बाईट- नंदकिशोर चौधरी , नेता ,कांग्रेश।


Conclusion:गौरतलब है की इस बीमारी के बेहतर इलाज को लेकर मरीजों को अस्पताल तक लाने को लेकर सीएम समीक्षा के बाद सभी अस्पताल को कई निर्देश दिए गए हैं। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत एक पीड़ित पिता खुद बयां कर रहा।



अमित कुमार की रिपोर्ट।
Last Updated : Jun 27, 2019, 8:54 PM IST
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