समस्तीपुर: चौदह वर्षो तक करीब तेरह हजार से अधिक शवों का पोस्टमार्टम करने वाली मंजू को फिर से पोस्टमार्टम हाउस की जिम्मेदार (New Post Mortem Worker Appointed) मिली है. यह फैसला विभाग ने शव के लिए परिजन से पैसे मांगने के वाले पोस्टमार्टम कर्मी को सस्पेंड किए जाने के बाद लिया गया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्ष 2019 में कुछ ऐसे ही मामला सामने आने के बाद तत्कालीन डीएम के आदेश पर मंजू को हटाया गया था.
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दो दशकों से मंजू का परिवार यहां तैनात: मंजू को एक बार फिर से पोस्टमार्टम विभाग का कमान सौंपा गया है. मंजू और उसका परिवार करीब दो दशकों तक इस पोस्टमार्टम हाउस की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. अपने ससुर, सास और पति के बाद 2005 में मंजू को यहां बतौर अस्थायी दैनिक कर्मी बहाल किया गया. पांच बच्चों की माँ मंजू 2019 तक मुख्य असिस्टेंट के तौर पर काम करतीं रही. एक महिला होने के बावजूद अपने चौदह वर्षों के कार्यकाल में करीब तेरह हजार के करीब शवों का पोस्टमार्टम किया है.
2019 में मंजू का डीएम ने हटाया: महज 108 रूपये दैनिक मजदूरी के तौर पर काम कर रही मंजू को वर्ष 2019 में कुछ ऐसा ही एक मामला सामने आने के बाद तत्कालीन डीएम के आदेश पर हटा दिया गया था. बहरहाल, पोस्टमार्टम हाउस में मुर्दे को लेकर होने वाली सौदेबाजी के सवालों के बीच मंजू को फिर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन सवाल आज भी बना हुआ है कि कर्मचारियों के पोस्टमार्टम के लिए मामूली वेतन दिए जाते हैं. जिसको लेकर विभाग को गंभीर होना चाहिए, ताकि कर्माचारियों का गुजर बसर हो सके.
शव के बदले मांगे थे रुपये: गौरतलब है कि समस्तीपुर में एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें एक माता-पिता अपने मृत बेटे की लाश को अस्पताल से लाने के लिए लोगों से भीख मांगते दिखे. आरोप है कि हॉस्पिटल के पोस्टमार्टम कर्मी ने इनसे 50 हजार रुपये की डिमांड (Post mortem Worker Asked 50 Thousand For Dead Body) की थी. वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने इस मामले को गंभीरता लेते हुए डीएम से रिपोर्ट तलब की थी.
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