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समस्तीपुर: इस पंडाल में भगवान रेवन्त हैं रक्षक, नवरात्र के दिनों में नहीं किया जाता है सुरक्षा इंतजाम

गोला रोड पर बने प्रचीन भगवान भोलेनाथ के भूतनाथ मंदिर में बीते 32 सालों से शारदीय नवरात्र मनाई जाती है. इस पूजा को देखने के लिए जिले भर के हजारों लोग पहुंचते हैं. लेकिन, यहां सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया जाता है.

पंडाल में भगवान रेवन्त हैं रक्षक
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Published : Oct 8, 2019, 9:48 AM IST

समस्तीपुर: दुर्गापूजा की धूम पूरे प्रदेश में देखने को मिल रही है. समस्तीपुर जिले में भी एक से बढ़कर एक मूर्तियां और पंडाल सजाए गए हैं. इस बीच जिला प्रशासन और मंदिर केमिटी की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. लेकिन, जिला मुख्यालय के गोला रोड में बने भूतनाथ मंदिर में कोई इंतजाम नहीं दिखता है.

गोला रोड पर बने प्रचीन भगवान भोलेनाथ के भूतनाथ मंदिर में बीते 32 सालों से शारदीय नवरात्र मनाई जाती है. इस पूजा को देखने के लिए जिले भर के हजारों लोग पहुंचते हैं. लेकिन, यहां सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया जाता है.

देखें वीडियो

विधिवत तरीके से होती है रेवन्त की प्राण प्रतिष्ठा
दरअसल, यह मान्यता है कि माता के दरबार में भगवान खुद पूजा स्थल और भक्तों की रक्षा करते हैं. रक्षक के रुप में यहां भगवान रेवन्त विराजमान किए जाते हैं. जो घोड़े पर सवार होते हैं. यह दुर्गा मां की मूर्ति स्थापना के दिन विधिवत तरीके से भगवान रेवन्त की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.

samastipur
मंदिर पुजारी ने बताई मान्यता

रेवन्त को माना जाता है रक्षक
कहा जाता है कि किसी भी पूजा स्थल पर होने वाले अनुष्ठानों में इन्हें रक्षक माना गया है. यही नहीं सागर मंथन से प्राप्त उच्चश्रव यानी मन की गति से भी तेज दौड़ने वाले घोड़े पर ही रेवन्त विराजमान हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार बीते कई वर्षों से होने वाले इस पूजा स्थल की रक्षा भगवान स्वंय करते हैं. इसलिए यहां सीसीटीवी व अन्य कोई उपकरण नहीं लगाए जाते हैं.

समस्तीपुर: दुर्गापूजा की धूम पूरे प्रदेश में देखने को मिल रही है. समस्तीपुर जिले में भी एक से बढ़कर एक मूर्तियां और पंडाल सजाए गए हैं. इस बीच जिला प्रशासन और मंदिर केमिटी की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. लेकिन, जिला मुख्यालय के गोला रोड में बने भूतनाथ मंदिर में कोई इंतजाम नहीं दिखता है.

गोला रोड पर बने प्रचीन भगवान भोलेनाथ के भूतनाथ मंदिर में बीते 32 सालों से शारदीय नवरात्र मनाई जाती है. इस पूजा को देखने के लिए जिले भर के हजारों लोग पहुंचते हैं. लेकिन, यहां सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया जाता है.

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विधिवत तरीके से होती है रेवन्त की प्राण प्रतिष्ठा
दरअसल, यह मान्यता है कि माता के दरबार में भगवान खुद पूजा स्थल और भक्तों की रक्षा करते हैं. रक्षक के रुप में यहां भगवान रेवन्त विराजमान किए जाते हैं. जो घोड़े पर सवार होते हैं. यह दुर्गा मां की मूर्ति स्थापना के दिन विधिवत तरीके से भगवान रेवन्त की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.

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मंदिर पुजारी ने बताई मान्यता

रेवन्त को माना जाता है रक्षक
कहा जाता है कि किसी भी पूजा स्थल पर होने वाले अनुष्ठानों में इन्हें रक्षक माना गया है. यही नहीं सागर मंथन से प्राप्त उच्चश्रव यानी मन की गति से भी तेज दौड़ने वाले घोड़े पर ही रेवन्त विराजमान हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार बीते कई वर्षों से होने वाले इस पूजा स्थल की रक्षा भगवान स्वंय करते हैं. इसलिए यहां सीसीटीवी व अन्य कोई उपकरण नहीं लगाए जाते हैं.

Intro:नवरात्र के खास मौके पर जंहा आस्था के केंद्र रहे विभिन्न पूजा पंडालों में , भक्तों के सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी समेत कई व्यवस्था किये जाते है । वंही आज भी शहर के भूतनाथ मंदिर में स्थापित माता के दरबार की सुरक्षा , खुद पूजा स्थल के रक्षक भगवान रेवन्त , मन से तेज गति से दौड़ने वाले घोड़े पर बैठ यंहा महजूद होते है ।


Body:जिला मुख्यालय के गोला रोड पर प्रचीन भगवान भोलेनाथ का भूतनाथ मंदिर । यंहा बीते 32 वर्षो से शारदीय नवरात्र में माता स्थापित होती है । खासबात इस पूजा स्थल का यह है की , यंहा माता के कलश स्थापना के साथ ही , घोड़े पर बैठे भगवान रेवंत के प्रतिमा का भी प्राण प्रतिष्ठा दिया जाता है । मान्यताओं के अनुसार , किसी भी पूजा स्थल पर होने वाले अनुष्ठानों का इन्हें रक्षक माना गया है । यही नही सागर मंथन से प्राप्त उच्चश्रव यानी मन की गति से भी तेज दौड़ने वाला घोड़े पर यह बिराजमान है । मंदिर के पुजारी के अनुसार , बीते कई वर्षों से होने वाले इस पूजा स्थल पर , माता के दरबार मे आने वाले सभी भक्तों की रक्षा खुद पूजा स्थल के रक्षक भगवान रेवंत करते है । वंही इस पूजा आयोजन समिति से जुड़े लोगों का भी मानना है की , यंहा सीसीटीवी या अन्य उपकरण नही लगते , हमे स्थल के रक्षक के प्रति पूर्ण आस्था व विश्वास है ।

बाईट - सूर्यकांत झा , पुजारी ।
बाईट - आर्यन कुमार , सदस्य , पूजा समिति ।


Conclusion:गौरतलब है की , पौराणिक मान्यताओं के अनुसार , यज्ञ व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान , किसी भो बाधा व राक्षसों के उत्पाद से उन स्थलों के रक्षा की जिम्मेदारी , भगवान रेवंत को दिया गया था । वंही सभी देवों ने उन्हें सागर मंथन से प्राप्त उच्चश्रव घोड़ा भी दिया था ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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