समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसेड़ा में हुए पत्रकार विकास रंजन ( Journalist Vikas Ranjan Murder Case ) हत्या मामले में एडीजे प्रथम राजीव रंजन सहाय ने 13 दोषियों को बुधवार को आजीवन कारावास ( Life Imprisonment ) की सजा सुनाई. साथ ही 20-20 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया. इससे पूर्व 15 सितंबर को दोषी करार दिया गया था.
13 वर्ष पूर्व की चर्चित घटना से संबंधित सत्र वाद संख्या 205/10 की सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने प्राथमिकी अभियुक्तों को भादवि की धारा 302/34 एवं 120 बी में दोषी करार दिया है. जिसमें हसनपुर थाना के बसतपुर निवासी स्व. रामखेलावन चौधरी के पुत्र उमाकांत चौधरी, स्वर्गीय शत्रुध्न राय के पुत्र विधानचंद्र राय, विधान चंद्र राय के पुत्र राजीव रंजन एवं प्रियरंजन, शिवचंद्र चौधरी के पुत्र मनोज कुमार चौधरी एवं मनेन्द्र कुमार चौधरी तथा बेगूसराय जिला के चेरिया बरियारपुर थाना अंतर्गत नारायणपीपुर निवासी शोभा कांत राय का पुत्र रामउदय राय एवं रामउदय राय का पुत्र राजीव राय तथा संजीव राय शामिल हैं.
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वहीं, पुलिस अनुसंधान में शामिल किए गए मामले के अप्राथमिकी अभियुक्त बिथान थाना के लरझा निवासी सिफैती यादव का पुत्र मोहन यादव एवं उक्त गांव के ही राम स्वार्थ यादव का पुत्र कृष्ण कुमार यादव उर्फ बड़कू यादव के अलावा साहेबपुर कमाल थाना के हरदिया, वर्तमान में रोसड़ा के दामोदरपुर निवासी हीरा सिंह के पुत्र बबलू सिंह, बेगूसराय जिला के चेरिया बरियारपुर के कुंभी निवासी राजेंद्र सिंह के पुत्र संतोष आनंद सिंह तथा महुली के शिव कुमार यादव का पुत्र स्वयंवर यादव को न्यायालय ने भादवि की धारा 302/34 एवं 120 बी तथा 27 आर्म्स एक्ट में दोषी करार दिया है. 12 अभियुक्तों को जेल भेज दिया जबकि न्यायालय से गायब रहे मोहन यादव के विरुद्ध कुर्क वारंट जारी किया गया है.
बता दें कि 13 वर्ष पूर्व 25 नवंबर 2008 को सरेशाम अपराधियों ने उस समय पत्रकार विकास रंजन को गोली मार दी थी, जब वे गायत्री मंदिर रोड स्थित अखबार के दफ्तर से कार्य निष्पादन कर घर जाने के लिए बाइक पर सवार हो रहे थे. इस संबंध में पत्रकार के पिता फुलकांत चौधरी द्वारा दर्ज कराई गई रोसड़ा थाना कांड संख्या 173 /2008 में 13 लोगों को नामजद तथा तीन अज्ञात को आरोपित किया गया था.
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उन्होंने गोली मारने वाले अपराधियों का हुलिया बताते हुए देखने पर पहचानने का दावा किया था. वादी ने घटना के कारणों में अपने पट्टीदारों से पूर्व से चले आ रहे विवाद के साथ-साथ बाजार में अवैध धंधों का पर्दाफाश करना तथा समस्तीपुर के एक संवाददाता का जमानतदार बनना, बताते हुए इससे जुड़े सभी व्यक्तियों द्वारा ही साजिश के तहत अपने पुत्र विकास रंजन की हत्या करने का दावा किया था. वर्ष 2008 के सर्वाधिक चर्चित घटनाओं में शामिल इस हत्याकांड का पर्यवेक्षण तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक विनय कुमार के द्वारा किया गया था.
रोसड़ा थाना कांड संख्या 173/2008 से संबंधित सत्र वाद संख्या 205/10 में कुल 15 गवाहों ने न्यायालय में उपस्थित होकर अपना-अपना बयान दर्ज कराया था. इसमें पांच अनुसंधानकर्ता के अलावा पत्रकार विकास रंजन के पिता व कांड के वादी फुलकांत चौधरी, उनकी विधवा पत्नी कल्पना कुमारी एवं उनके ससुर शेरपुर निवासी प्रवीर चौधरी एवं अन्य शामिल थे.