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समस्तीपुर: सड़क पर उतरे दो साल से बंद जूट मिल के कर्मचारी

सोमवार को जूट मिल के मजदूर परिवार संग सड़क पर उतर आए. यह जूट मिल कभी उत्तर बिहार का गौरव हुआ करता था. इससे वजह से हजारों परिवारों का चूल्हा जलता था. अब उस रामेश्वर जूट मिल के खुलने के सारे रास्ते बंद होते दिख रहे हैं.

रामेश्वर जूट मिल
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Published : Sep 16, 2019, 11:29 PM IST

समस्तीपुर: दो साल से बंद रामेश्वर जूट मिल को चालू कराने की मांग काे लेकर सोमवार को जूट मिल के मजदूर परिवार संग सड़क पर उतर आए. यह जूट मिल कभी उत्तर बिहार का गौरव हुआ करता था. इसकी वजह से हजारों परिवारों का चूल्हा जलता था. अब उस रामेश्वर जूट मिल के खुलने के सारे रास्ते बंद होते दिख रहे हैं. अब हाल यह है कि वर्षों से इस मिल पर लगे ताले खुलवाने को लेकर आंदोलित मजदूर अब अपने पीएफ समेत अन्य बकाए राशि को लेकर प्रबंधन के खिलाफ नई नीति बनाने में जुट गए हैं.

2 वर्षों से लटका हुआ है ताला
सरकारी उदासीनता के कारण जिले के रामेश्वर जूट मील पर बीते 2 वर्षों से ताला लटका हुआ है. वैसे इस मामले में उपश्रमायुक्त ने यहां के मजदूरों को इसे अगस्त में ही चालू करने का भरोसा दिया था. बकायदा इसको लेकर पत्र भी जारी किए गए थे. इससे मजदूरों कि उम्मीदें जगी थीं कि शायद सरकारी पहल से मिल का ताला खुल जाएगा. लेकिन, वक्त बीत गए और मिल को लेकर कोई पहल होती नहीं दिख रही है. मिल प्रबंधन ने पहले ही हाथ खड़े कर लिए थे.

दो साल से बंद जूट मिल के कर्मचारीयों ने इसके खुलने कि उम्मीद छोड़ दी है

लड़ाई लड़ने के मूड में हैं मजदूर
सरकार पर भरोसा भगवान भरोसे चल रहा है. वहीं, अब यहां के श्रमिक भी इसको लेकर नाउम्मीद हो गए हैं. अब वे मिल के ताले खुलवाने से ज्यादा इस मिल पर अपनी ग्रेच्युटी, पीएफ समेत अपने बकाए राशि को लेकर लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. यही नहीं अंदरखाने में तो विभिन्न यूनियन बकाए राशि नहीं मिलने की स्थिति में इस मिल के करीब 84 एकड़ खाली जमीन पर अपना आशियाना और दुकान बनाने की रणनीति भी बना रहे हैं. वहीं, जिले के एक और बड़े उद्योग के खत्म होते आस्तित्व पर विपक्ष ने सवाल उठाते हुए सरकार की उग्योग नीति पर सवाल खड़े किए हैं. इस मिल पर ताला लटकने से लगभग 4,500 से अधिक मजदूर और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं.

समस्तीपुर: दो साल से बंद रामेश्वर जूट मिल को चालू कराने की मांग काे लेकर सोमवार को जूट मिल के मजदूर परिवार संग सड़क पर उतर आए. यह जूट मिल कभी उत्तर बिहार का गौरव हुआ करता था. इसकी वजह से हजारों परिवारों का चूल्हा जलता था. अब उस रामेश्वर जूट मिल के खुलने के सारे रास्ते बंद होते दिख रहे हैं. अब हाल यह है कि वर्षों से इस मिल पर लगे ताले खुलवाने को लेकर आंदोलित मजदूर अब अपने पीएफ समेत अन्य बकाए राशि को लेकर प्रबंधन के खिलाफ नई नीति बनाने में जुट गए हैं.

2 वर्षों से लटका हुआ है ताला
सरकारी उदासीनता के कारण जिले के रामेश्वर जूट मील पर बीते 2 वर्षों से ताला लटका हुआ है. वैसे इस मामले में उपश्रमायुक्त ने यहां के मजदूरों को इसे अगस्त में ही चालू करने का भरोसा दिया था. बकायदा इसको लेकर पत्र भी जारी किए गए थे. इससे मजदूरों कि उम्मीदें जगी थीं कि शायद सरकारी पहल से मिल का ताला खुल जाएगा. लेकिन, वक्त बीत गए और मिल को लेकर कोई पहल होती नहीं दिख रही है. मिल प्रबंधन ने पहले ही हाथ खड़े कर लिए थे.

दो साल से बंद जूट मिल के कर्मचारीयों ने इसके खुलने कि उम्मीद छोड़ दी है

लड़ाई लड़ने के मूड में हैं मजदूर
सरकार पर भरोसा भगवान भरोसे चल रहा है. वहीं, अब यहां के श्रमिक भी इसको लेकर नाउम्मीद हो गए हैं. अब वे मिल के ताले खुलवाने से ज्यादा इस मिल पर अपनी ग्रेच्युटी, पीएफ समेत अपने बकाए राशि को लेकर लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. यही नहीं अंदरखाने में तो विभिन्न यूनियन बकाए राशि नहीं मिलने की स्थिति में इस मिल के करीब 84 एकड़ खाली जमीन पर अपना आशियाना और दुकान बनाने की रणनीति भी बना रहे हैं. वहीं, जिले के एक और बड़े उद्योग के खत्म होते आस्तित्व पर विपक्ष ने सवाल उठाते हुए सरकार की उग्योग नीति पर सवाल खड़े किए हैं. इस मिल पर ताला लटकने से लगभग 4,500 से अधिक मजदूर और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं.

Intro:कभी गौरव हुआ करता था उत्तर बिहार का , हजारों परिवारों का चूल्हा जिसके वजह से जलता था । अब उस रामेश्वर जूट मिल के खुलने के सारे रास्ते बंद होते दिख रहे । अब हाल तो यह है की , वर्षो से इस मिल पर लगे ताले खुलवाने को लेकर आंदोलित मजदूर अब अपने पीएफ समेत अन्य बकाए राशि को लेकर प्रवंधन के खिलाफ नई नीति बनाने में जुट गए है ।


Body:सरकारी उदासीनता के कारण जिले के रामेश्वर जूट मील पर बीते 2 वर्षों से ताला लटका है । वैसे इस मामले में उपश्रमायुक्त दरभंगा ने इसे अगस्त में ही चालू करने का भरोसा यहां के मजदूरों को दिया था । बकायदा इसको लेकर पत्र भी जारी किए गए , उम्मीद जगी कि शायद सरकारी पहल से मिल का ताला खुलेगा । लेकिन वक्त बीत गए , मिल को लेकर कोई पहल होता नहीं दिखा । मिल प्रवंधन ने पहले ही हाथ खड़े कर लिए , वंही सरकारी भरोसा , भगवान भरोसे चल रहा । आखिरकार अब यंहा के श्रमिक भी अब इसको लेकर नाउम्मीद हो गए है । बहरहाल अब वे मिल के ताले खुलवाने से ज्यादा इस मिल पर अपने ग्रेच्युटी , पीएफ समेत अपने बकाये राशि को लेकर लड़ाई लड़ने के मूड में है । यही नही अंदरखाने में तो विभिन्न यूनियन बकाये राशि नही मिलने के स्थिति में , इस मिल के करीब 84 एकड़ खाली जमीन पर अपना आशियाना व दुकान बनाने की रणनीति भी बना रहे । वैसे जिले के एक और बड़े उधोग के खत्म होते आस्तित्व पर विपक्ष ने सवाल उठाते हुए , सरकार के उधोग नीति पर सवाल खड़े किए है ।

बाईट - मजदूर , जूट मिल ।
बाईट - अमरनाथ सिंह , महामंत्री , रामेश्वर जूट मिल कर्मचारी संघ ।
बाईट - विनोद राय , जिला अध्यक्ष , राजद ।


Conclusion:गौरतलब है की , इस मिल पर ताला लटकने से लगभग 4500 से अधिक मजदूर व कर्मचारी बेरोजगार हो गए है ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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