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बाढ़ पीड़ितों की दास्तान: पहले अगलगी ने उजाड़ा आशियाना, अब जल प्रलय ने कर दिया पूरी तरह तबाह - latest flood news samastipur

बाढ़ पीड़ित परिवारों का कहना है कि 15-20 दिनों से हम लोग इसी तरह जिंदगी काट रहे हैं. हम लोगों की सुध लेने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं आया है.

साड़ी पन्नी टांग कर रहने को मजबूर हैं लोग
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Published : Aug 2, 2019, 11:08 AM IST

समस्तीपुर: जिले की सभी नदियां उफान पर है, वहीं गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद नदी की गोद में बसे परिवार अपने बच्चे को लेकर बांध पर तो आ गए हैं. लेकिन इनकी हालात के देखने कोई भी जनप्रतिनिधि या प्रशासन वहां नहीं आया है. जिसकी वजह से ये सभी परिवार बेबसी और लाचारी में अपनी जिंदगी काटने को विवश हैं.

flood in bihar
घरों में घुसा बाढ़ का पानी

लोग साड़ी-पन्नी तानकर रहने को मजबूर
गंडक नदी की गोद में बसा 400 परिवार नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण अपने बच्चों के साथ बांध पर तो आ गया. लेकिन पानी से इनका घर लबालब भरा हुआ है. ये लोग बांध पर साड़ी और पन्नी तानकर किसी तरह अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं. रात के अंधेरे में जमीन पर बोरे पर बच्चे सोते हैं. तो कोई सुबह का बना हुआ खाना रात में खाकर अपने पेट की भूख शांत करता है. इनका कहना है कि प्रशासन के नुमाइंदे भी हमारी सुध लेने के लिए नहीं आए हैं. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम बांध पर रहने वाले इन परिवारों का हाल जानने पहुंची, तो हैरान कर देने वाली सच्चाई सामने आई.

flood in samastipur
जमीन पर बोरे पर सोते हैं बच्चे

क्या कहते हैं पीड़ित
बच्चे बोरा बिछाकर जमीन पर सो रहे थे, तो कई महिलाएं सवेरे का खाना रात में खाकर अपनी पेट की भूख को शांत कर रही थीं. हमारे कैमरे के सामने लाचार बेबस परिवार ने हैरान कर देने वाली दर्दनाक दास्तां बताते हुए कहा कि हम लोग बांध के किनारे गंडक नदी की गोद में बसे हुए हैं. पहले तो अगलगी की घटना ने हम लोगों को तबाह और बर्बाद कर दिया. उससे अभी उबर भी नहीं पाए थे कि गंडक नदी में बाढ़ के पानी और बढ़ते जलस्तर ने हमारे घरों को डुबो दिया. जिसके कारण हम लोग किसी तरह बांध पर रह रहे हैं. लेकिन किसी ने भी हमारी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया. इस हालात को देखने के लिए वार्ड मेंबर से लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक नहीं पहुंचा है.

बांध पर रहने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित

15-20 दिनों से यही हैं हालात
वहीं, सरकारी स्तर पर बाढ़ पीड़ितों के लिए सभी व्यवस्थाएं मुफ्त में की जा रही हैं. दो वक्त के भोजन के साथ-साथ सभी तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. वहीं, इन परिवारों का कहना है कि 15-20 दिनों से हम लोग इसी तरह जिंदगी काट रहे हैं. हम लोगों की सुध लेने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं आया है.

bihar flood
15-20 दिनों से इसी तरह काट रहे जिंदगी

वहीं, दूसरी ओर ये सभी परिवार प्रशासन से भी खासे नाराज दिख रहे हैं. उनका कहना है कि कोई भी हमारी हालात पर तरस खाने को तैयार नहीं है. अब ऐसे में यह देखना लाजमी होगा कि सरकार की तरफ से इन सभी परिवारों की कब तक सुध ली जाती है.

समस्तीपुर: जिले की सभी नदियां उफान पर है, वहीं गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद नदी की गोद में बसे परिवार अपने बच्चे को लेकर बांध पर तो आ गए हैं. लेकिन इनकी हालात के देखने कोई भी जनप्रतिनिधि या प्रशासन वहां नहीं आया है. जिसकी वजह से ये सभी परिवार बेबसी और लाचारी में अपनी जिंदगी काटने को विवश हैं.

flood in bihar
घरों में घुसा बाढ़ का पानी

लोग साड़ी-पन्नी तानकर रहने को मजबूर
गंडक नदी की गोद में बसा 400 परिवार नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण अपने बच्चों के साथ बांध पर तो आ गया. लेकिन पानी से इनका घर लबालब भरा हुआ है. ये लोग बांध पर साड़ी और पन्नी तानकर किसी तरह अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं. रात के अंधेरे में जमीन पर बोरे पर बच्चे सोते हैं. तो कोई सुबह का बना हुआ खाना रात में खाकर अपने पेट की भूख शांत करता है. इनका कहना है कि प्रशासन के नुमाइंदे भी हमारी सुध लेने के लिए नहीं आए हैं. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम बांध पर रहने वाले इन परिवारों का हाल जानने पहुंची, तो हैरान कर देने वाली सच्चाई सामने आई.

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जमीन पर बोरे पर सोते हैं बच्चे

क्या कहते हैं पीड़ित
बच्चे बोरा बिछाकर जमीन पर सो रहे थे, तो कई महिलाएं सवेरे का खाना रात में खाकर अपनी पेट की भूख को शांत कर रही थीं. हमारे कैमरे के सामने लाचार बेबस परिवार ने हैरान कर देने वाली दर्दनाक दास्तां बताते हुए कहा कि हम लोग बांध के किनारे गंडक नदी की गोद में बसे हुए हैं. पहले तो अगलगी की घटना ने हम लोगों को तबाह और बर्बाद कर दिया. उससे अभी उबर भी नहीं पाए थे कि गंडक नदी में बाढ़ के पानी और बढ़ते जलस्तर ने हमारे घरों को डुबो दिया. जिसके कारण हम लोग किसी तरह बांध पर रह रहे हैं. लेकिन किसी ने भी हमारी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया. इस हालात को देखने के लिए वार्ड मेंबर से लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक नहीं पहुंचा है.

बांध पर रहने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित

15-20 दिनों से यही हैं हालात
वहीं, सरकारी स्तर पर बाढ़ पीड़ितों के लिए सभी व्यवस्थाएं मुफ्त में की जा रही हैं. दो वक्त के भोजन के साथ-साथ सभी तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. वहीं, इन परिवारों का कहना है कि 15-20 दिनों से हम लोग इसी तरह जिंदगी काट रहे हैं. हम लोगों की सुध लेने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं आया है.

bihar flood
15-20 दिनों से इसी तरह काट रहे जिंदगी

वहीं, दूसरी ओर ये सभी परिवार प्रशासन से भी खासे नाराज दिख रहे हैं. उनका कहना है कि कोई भी हमारी हालात पर तरस खाने को तैयार नहीं है. अब ऐसे में यह देखना लाजमी होगा कि सरकार की तरफ से इन सभी परिवारों की कब तक सुध ली जाती है.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट : बाढ़ पीड़ित के रात का सच समस्तीपुर जिले में सभी नदियां अपने उफान पर है। वही गंडक नदी के जलस्तर बढ़ने के बाद गंडक नदी के गोद में बसे परिवार सुरक्षित अपने बच्चे सहित निकल कर बांध पर तो आ गए ।लेकिन इनके हालात पर कोई जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन तरस खाने को तैयार नहीं है। जिसको लेकर यह सभी परिवार बेबसी और लाचारी में अपनी जिंदगी काटने को विवश हैं।


Body:गंडक नदी के गोद में बसे 400 परिवार गंडक नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण सुरक्षित अपने बच्चे के साथ बांध पर तो आ गए ।लेकिन गंडक नदी के पानी से इनका घर लबालब भरा हुआ है ।ये लोग बांध पर साड़ी और पन्नी टांग कर किसी तरह अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं। रात के अंधेरे में जमीन पर बोरे पर बच्चे सोते हैं ।तो कोई सवेरे के खाना बना हुआ रात में खा कर अपने पेट की भूख को शांत करते है ।वहीं इन परिवारों का बताना है कि 15,20 दिनों से हम लोग इसी तरह जिंदगी काट रहे हैं। हम लोगों की सुधि लेने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं आए हैं। जबकि हमारे एक एक वोट से विधायक और सांसद बनकर जाते हैं ।लेकिन कोई भी हमारे हालात पर तरस खाने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी ओर ये सभी परिवार प्रशासन से भी खासे नाराज दिख रहे हैं ।इनका कहना है कि प्रशासन के नुमाइंदे भी हमारी सुध लेने के लिए नहीं आए हैं। ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बांध पर सारी पन्नी टांग कर रहने वाले परिवारों का जायजा लेने रात में जब पहुंचे तो, हैरान कर देने वाली सच्चाई सामने आई। बच्चे बोड़ा बिछाकर जमीन पर सो रहे थे ।तो कई महिलाएं सवेरे का खाना रात में खा कर अपनी पेट की भूख को शांत कर रही थी। हमारे कैमरे के सामने लाचार बेबस परिवार ने हैरान कर देने वाली दर्दनाक दास्तां बताते हुए बोली कि हम लोग बांध के किनारे गंडक नदी के गोद में बसे हुए हैं ।पहले तो अगलगी की घटना ने हम लोगों को तबाह और बर्बाद कर दिया। उससे उबर नहीं पाए कि गंडक नदी में बाढ़ के पानी और बढ़ते जलस्तर ने हम लोगों के घरो को डुबो दिया। जिसके कारण हम लोग सुरक्षित किसी तरह बांध पर रह रहे है ।लेकिन किसी ने भी हम लीगो के मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। हम लोग सारी और पन्नी टांग कर अपने बाल बच्चे को लेकर किसी तरह जिंदगी की गाड़ी चला रहे हैं। हम लोगों के इस हालात को देखने के लिए वार्ड मेंबर से लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक नहीं पहुंचे हैं।


Conclusion:वही सरकारी स्तर पर बाढ़ पीड़ितों के लिए सभी व्यवस्थाएं मुक्त में की जा रही है ।दो वक्त के भोजन के साथ साथ सभी तरह की सुविधाएं दी जा रही है ।लेकिन बांध पर रहने वाले इन शरणार्थी को किसी तरह की सुविधा नहीं मिलने से प्रशासन से भी खासे नाराज दिख रहे हैं ।वहीं इन सभी लोगों का बताना है कि हम लोग किसी तरह अपनी जिंदगी को चला रहे हैं। लेकिन कोई भी हमारे हालात पर तरस खाने को तैयार नहीं है ।अब ऐसे में देखना लाजमी होगा कि प्रशासन के द्वारा इन सभी परिवारों की कब सुध ली जाती है । बाईट : अनिता देवी बाईट: सुनीता देवी बाईट:प्रमिला वाकथ्रो
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