समस्तीपुरः 2014 में बिहार सरकार (Bihar Government) ने भूमिहीन परिवारों (Landless Families) को पांच-पांच डिसमिल जमीन देने के लिए अभियान बसेरा की शुरूआत की थी. जमीन से वंचित परिवारों का कहना है कि यहां अभियान पूरी तरह से फेल हो गया है.
बंदोबस्ती पर्चा मिला, जमीन नहीं
समस्तीपुर का हाल ये है कि यहां वर्षो से शुरू इस अभियान बसेरा के तहत चयनित करीब 70 फीसदी परिवारों को जिला प्रशासन (District Administration) बंदोबस्ती का पर्चा देने में असफल रहा है. अभियान बसेरा के तहत सर्वेक्षित करीब 1711 परिवारों में सिर्फ 695 परिवारों को ही प्रशासन की ओर से जमीन उपलब्ध कराई जा सकी है.
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अधर में लटका अभियान बसेरा
समस्तीपुर में विभागीय जानकारी के अनुसार करीब 1016 परिवारों को जमीन उपलब्ध कराने का मामला अधर में अटका है. कुछ प्रखंडों को छोड़ दें तो बाकी सभी जगहों का हाल एक जैसा ही है. लाभुक ने आवेदन दिए, सर्वे भी हुआ लेकिन इसके बाद वर्षों बीत गए, लेकिन इन लोगों को वास भूमि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी.
असली लाभुकों को नहीं मिलता लाभ
सरकार की ओर से बेघर परिवारों को लेकर कई कल्याणकारी योजनाएं जरूर चलाई जाती है. लेकिन लाभ जरूरतमंद लोगों को नहीं मिलता. जिले में कई ऐसे उदहारण मिलेंगे. जिनमें सिस्टम के अंदर पैठ रखनेवाले लोगों ने नियमों को ताख पर रखकर इन योजनाओं का लाभ लिया है. लेकिन वहीं सिस्टम के पेचीदगी के सामने असल लाभुक फंसे नजर आ रहे हैं.
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क्या है अभियान बसेरा?
बिहार के महादलित, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग वन एंड टू के लिए बिहार सरकार ने इस कल्याणकारी योजना की शुरूआत की थी. इसके तहत सरकार वैसे लोगों जिनके पास वास भूमि नहीं है. उसे 5 डिसमिल जमीन खरीद कर देती है. इसके लिए महादलित विकास योजना व गृह स्थल योजना के अंतर्गत रैयती भूमि की क्रय नीति के तहत सभी वास रहित परिवारों सर्वेक्षण कराकर उन्हें वास युक्त भूमि उपलब्ध कराने का प्रावधान है.
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अभियान के तहत सर्वेक्षण के बाद राज्य के 57 हजार परिवारों को जमीन उपलब्ध कराने की बात कही गई है. इस योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित जाति के लोगों को सीओ कार्यालय में जाकर आवेदव देना होता है. आवेदन के बाद प्रशासन की ओर से सर्वे किया जाता है और उसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू होती है.