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सूरत अग्निकांड से भी नहीं सीखा प्रशासन, तंग गलियों में धड़ल्ले से चल रहे कोचिंग सेंटर्स

जिले के अनेकों संस्थान, घरों में चल रहे हैं. जहां फायर सेफ्टी जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्या उपाय अपनाए जाएंगे, इसका कुछ पता नहीं है.

तंग गलियों में खुले संस्थान
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Published : May 27, 2019, 7:14 PM IST

समस्तीपुर: हाल ही में सूरत स्थित कोचिंग सेंटर में अगलगी हुई, जिसमें 20 मासूमों की जान चली गई. लेकिन, हमारा सिस्टम इस हादसे से सीख नहीं ले रहा है. अब भी धड़ल्ले से प्रदेश की तंग गलियों में बगैर एहतियात के कोचिंग संस्थान चलाए जा रहे हैं. प्रशासन भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए मौन है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले से लेकर पढ़ाने वालों तक की जान भगवान भरोसे है.

समस्तीपुर जिले में 300 से ज्यादा कोचिंग संस्थान होंगे. जिसमें महज 15 से 20 संस्थान ही रजिस्टर्ड हैं. इससे साफ जाहिर है कि जिले में सिस्टम बेसुध है. यह संस्थान छात्रों के भविष्य और जान को लेकर लापरवाह है. इनका मकसद केवल पैसे कमाना रह गया है. कुछ ऐसी ही उदासीनता सूरत की उस कोचिंग संस्थान में भी थी, जिसका खामियाजा मासूमों को जान गंवाकर भुगतना पड़ा.

बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव

जिला मुख्यालय के तंग गलियारों में सैंकड़ों कोचिंग संस्थान खुलेआम चल रहे हैं. जिसमें बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव देखा जा सकता है. सैकड़ों छात्रों से भरे इन कोचिंग संस्थानों में आने-जाने के लिए तंग रास्ता है. जहां पैदल चलना भी मुश्किल है तो गाड़ियों का आवागमन असंभव ही है. ऐसे में किसी आपात स्थिति में क्या हालात होंगे, इसे सहज ही समझा जा सकता है. फायर ब्रिगेड अधिकारी भी साफ कह रहे हैं कि इन तंग गलियों में आग पर काबू पाना असंभव है.

जानकारी देते अधिकारी

सवाल से बचते दिखे DEO
यही नहीं जिले के अनेकों संस्थान घरों में चल रहे हैं. जहां फायर सेफ्टी जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्या उपाय अपनाए जाएंगे, इसका कुछ पता नहीं है. इस बाबत जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो वह बचते दिखे.

क्या कहता है नियम?
गौरतलब है कि नियम के अनुसार कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी के साथ-साथ प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था होनी चाहिए. लेकिन, जब सैकड़ों कोचिंग सेंटर बगैर रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं तो ऐसे में इनसे नियम पालन की उम्मीद करना बेमानी ही होगी.

समस्तीपुर: हाल ही में सूरत स्थित कोचिंग सेंटर में अगलगी हुई, जिसमें 20 मासूमों की जान चली गई. लेकिन, हमारा सिस्टम इस हादसे से सीख नहीं ले रहा है. अब भी धड़ल्ले से प्रदेश की तंग गलियों में बगैर एहतियात के कोचिंग संस्थान चलाए जा रहे हैं. प्रशासन भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए मौन है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले से लेकर पढ़ाने वालों तक की जान भगवान भरोसे है.

समस्तीपुर जिले में 300 से ज्यादा कोचिंग संस्थान होंगे. जिसमें महज 15 से 20 संस्थान ही रजिस्टर्ड हैं. इससे साफ जाहिर है कि जिले में सिस्टम बेसुध है. यह संस्थान छात्रों के भविष्य और जान को लेकर लापरवाह है. इनका मकसद केवल पैसे कमाना रह गया है. कुछ ऐसी ही उदासीनता सूरत की उस कोचिंग संस्थान में भी थी, जिसका खामियाजा मासूमों को जान गंवाकर भुगतना पड़ा.

बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव

जिला मुख्यालय के तंग गलियारों में सैंकड़ों कोचिंग संस्थान खुलेआम चल रहे हैं. जिसमें बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव देखा जा सकता है. सैकड़ों छात्रों से भरे इन कोचिंग संस्थानों में आने-जाने के लिए तंग रास्ता है. जहां पैदल चलना भी मुश्किल है तो गाड़ियों का आवागमन असंभव ही है. ऐसे में किसी आपात स्थिति में क्या हालात होंगे, इसे सहज ही समझा जा सकता है. फायर ब्रिगेड अधिकारी भी साफ कह रहे हैं कि इन तंग गलियों में आग पर काबू पाना असंभव है.

जानकारी देते अधिकारी

सवाल से बचते दिखे DEO
यही नहीं जिले के अनेकों संस्थान घरों में चल रहे हैं. जहां फायर सेफ्टी जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्या उपाय अपनाए जाएंगे, इसका कुछ पता नहीं है. इस बाबत जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो वह बचते दिखे.

क्या कहता है नियम?
गौरतलब है कि नियम के अनुसार कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी के साथ-साथ प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था होनी चाहिए. लेकिन, जब सैकड़ों कोचिंग सेंटर बगैर रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं तो ऐसे में इनसे नियम पालन की उम्मीद करना बेमानी ही होगी.

Intro:हमारा सिस्टम किसी हादसों से खुद को सीख लेने के बजाए उसे दरकिनार कर , आगे होगा तो देखा जायेगा जैसी सोच रखता है । अगर यह बात नही होती तो , जिले के तंग गलियारों में सैंकड़ो यैसी कोचिंग संस्थान पर कार्यवाही शुरू हो जाती , जंहा आग जैसी आपदा के वक्त किसी भी तरह के सहायता पंहुचना काफी मुश्किल है । तो क्या जिला शिक्षा व्यवस्था व जिला प्रशासन ने सूरत के कोचिंग में हुई घटना से कोई सीख नही लिया ।


Body:वैसे तो जिले में चलने वाले लगभग 300 कोचिंग संस्थान में महज 15 से 20 संस्थान ही रजिस्टर्ड है । जाहिर सी बात है जब उन्हें सिस्टम का कोई कौफ नही तो , वह छात्रों से जुड़े नियमों व उनके जरूरत को लेकर कितने गंभीर होंगे यह बताने की जरूरत नही । कुछ यही उदासीनता सूरत के उस कोचिंग संस्थान में भी था , जो करीब दो दर्जन छात्रों के आकाल मौत का कारण बना । अगर हम सूरत की घटना को गंभीरता से समस्तीपुर को ध्यान में रखकर गौर करे तो , जिले के सुदूर इलाके तो जाने दे , जिला मुख्यालय के तंग गलियारों में सैंकड़ों कोचिंग संस्थान चल रहे । सैंकड़ो - सैंकड़ो छात्रों के शिप्ट में चलने वाले इस कोचिंग संस्थानों में आने जाने के तंग रास्तों में पैदल चलना भी मुश्किल है । कयास लगाईये किसी आपात स्थिति में क्या हालात होंगे। यही नही जिले के अनेको संस्थान यैसे आवासीय घरों में चल रहे , जंहा आप फायर सेफ्टी जैसी कोई व्यवस्था का कल्पना भी नही कर सकते । सवाल क्या यैसे संस्थानों के प्रति जिला शिक्षा विभाग की कोई जवाबदेही नही । और क्यों विभाग को इन सैकड़ो छात्रों के जान की कोई फिक्र नही । वैसे सूरत जैसी हालात पर क्या विभाग ने गंभीरता से लिया , और क्या जिले के यैसे कोचिंग संस्थान में सुरक्षा के मद्देनजर कोई ब्लू प्रिंट तैयार हो रहा । वैसे जिला शिक्षा पदाधिकारी , इन मामलों पर बहुत स्पष्ट नही बोल रहे ।

बाईट - सतेंद्र झा , डीईओ , समस्तीपुर ।

वीओ - वैसे अपने कामों के कारण हमेशा सवालों में रहे इस विभाग पर बहुत उम्मीद भी नही । जंहा विभागीय नियम के कब्र पर 300 से अधिक कोचिंग संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे , वह सुरक्षा मानकों को लेकर विभाग के हुड़की से क्या डरेगा । वैसे आग जैसे गंभीर आपदा के वक्त सीमित संसाधनों में इससे लड़ने वाले फायर सेफ्टी के लोगो का मानना है की , जिला मुख्यालय में तंग गालियों के बीच अगर सूरत जैसी घटना इन संस्थानों में घटती है तो , इन बच्चों का भगवान ही मालिक ।

बाईट - अधिकारी , फायर बिग्रेड ।


Conclusion:गौरतलब है की , नियम के अनुरूप इन कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी की व्यवस्था के साथ साथ प्राथमिक उपचार की माकूल व्यवस्था जरूरी है । लेकिन जब नियम ही नही तो इन कोचिंग संस्थानों में आने वाले इन सैंकड़ो छात्रों के जान की परवाह ही किसे । सरकारी सिस्टम फाइलों में तो ये संस्थान अपने फायदों में लगे है। बहरहाल अगर सूरत जैसी घटना जिले के घटती है तो , इन छात्रों का भगवान ही मालिक ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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