समस्तीपुर: शिक्षा विभाग द्वारा संचालित केंद्रीय पुस्तकालय का हाल बेहाल है. दो कमरों में संचालित इस लाइब्रेरी में दुर्लभ पांडुलिपियां हैं. जो रख रखाव के अभाव में बर्बाद हो रहे हैं. यहां अभी दस हजार से अधिक पुस्तकें हैं.
कबाड़खाने में तब्दील हुआ केंद्रीय पुस्तकालय
यहां दस हजार से अधिक पुस्तकें हैं. वहीं कई दुर्लभ पांडुलिपि भी इस लाइब्रेरी में उपलब्ध है. लेकिन इन कमरों का हाल ऐसा है कि अब उन किताबों को संरक्षित रखना भी बड़ी समस्या है. सीलन और टूटे फूटे कमरों में रखीं किताबें रद्दी में तब्दील होती जा रहीं हैं.
प्रभारी लाइब्रेरियन के अनुसार..
व्यवस्था के आभाव में इस पुस्तकालय के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. कोई सुविधा नहीं होने के कारण पाठकों ने भी यहां आना बंद कर दिया है. बच्चे किताबों से दूर हो रहे है. ऐसे में विभाग को डिजिटलाइजेशन के बारे में सोचना चाहिए. पाठकों के बैठने की व्यवस्था नहीं है. पुस्तकालय को सबसे पहले एक जगह चाहिए.
विभागीय उदासीनता का शिकार लाइब्रेरी
मुख्य बाजार में सड़क के किनारे यह पुस्तकालय सरकारी भवन में स्थित है. अभी भी यहां कई हजार वर्ग फीट खाली जमीन है. वहीं धीरे धीरे कर इसके भवन जर्जर और ढहते चले गए. अब महज दो कमरे बचे है , लेकिन वह भी कब धराशाई हो जाये कुछ पता नहीं.
लाइब्ररी के निगरानी के लिए कमेटी गठित
वैसे लाइब्रेरी के विकास और निगरानी को लेकर शिक्षा विभाग ने पांच सदस्यीय कमेटी बना रखी है. इस कमेटी के अध्यक्ष जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं. लेकिन पुस्तकालय के हाल के सवाल का वे भी माकूल जवाब नहीं दे पाये.
लाइब्रेरी से पाठकों ने बनायी दूरी
बहरहाल डिजीटलाइजेशन के इस युग में वैसे ही पुस्तकालय से पाठक दूर होते जा रहे हैं. और ऊपर से ये पुस्तकालय तो अपनी हालत पर ही आंसु बहा रहा है. जरुरत है इसे दुरुस्त करने की और बदलते वक्त के साथ शिक्षा के इन केंद्रों का कायाकल्प करने की.