ETV Bharat / state

शिक्षक संघ ने सरकार को याद दिलाई अपनी मांगें, सेवा शर्त की गिनाई खामियां

author img

By

Published : Aug 23, 2020, 3:25 PM IST

शिक्षकों का कहना है कि उनकी मांग पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने की थी, लेकिन इस सेवा शर्त के तहत शिक्षकों पर स्थानीय निकायों का शिकंजा पहले से अधिक कसेगा.

patna
patna

पटना: बिहार में सेवा शर्त जारी करके सरकार ने एक तरह से शिक्षकों की नाराजगी मोल ले ली है. सेवा शर्त के प्रावधानों से शिक्षक खासे नाराज हैं और इसे तुरंत वापस लेने की मांग कर रहे हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने एक बार फिर सरकार को पत्र लिखकर सेवा शर्त की खामियां गिनाई है. साथ ही अपनी मांगों को याद दिलाते हुए तुरंत वार्ता के लिए बुलाने का अनुरोध किया है.

शिक्षक संध ने गिनाई नई सेवा शर्त नियमावली की खामियां
राज्य के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का कहना है कि सरकार उनकी रत्ती भर मांग भी पूरी नहीं की है. पहले से ही शिक्षकों को कई वर्गों में विभक्त कर उनकी एकता को खंडित करने का प्रयास किया है. वहीं अब महिला, दिव्यांग और पुरुष शिक्षकों में फूट डालने की भी साजिश रची गई है. पूर्ण वेतनमान न देकर उसकी जगह अप्रैल, 2021 से वेतन में मामूली बढ़ोत्तरी और भावी प्रभाव और आधू-अधूरे ईपीएफ का लाभ देने का ढिढ़ोरा पीट रही है. पूर्व से मिल रही कई सुविधाओं व सहूलियतों को भी हटा दिया गया है. नियोजित शब्द हटाने के नाम पर पंचायती राज व्यवस्था की दलदल में और ढकेल दिया गया है. विद्यालय में चपरासी से लेकर प्रधानाध्यापक/प्राचार्य के पदों को समाप्त कर नियोजन वाद की ओर ढकेल दिया गया है. प्रधानाध्यापक व प्राचार्य की जगह बड़ी ही चालाकी से प्रधान अध्यापक का पद, लिपिक की जगह विद्यालय सहायक और आदेशपाल की जगह विद्यालय परिचारी का पद बना कर सभी की नियुक्ति और प्रोन्नति की जिम्मेवारी नियोजन इकाई के अंतर्गत कर दिया है.

शिक्षकों का कहना है कि पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने की हमारी मांग थी. परंतु इस सेवा शर्त के तहत स्थानीय निकायों का शिकंजा शिक्षकों पर पहले से अधिक कसेगा. वरीयता का निर्धारण स्थानीय निकायें होंगी. अधिकांश अवकाशों की स्वीकृति पंचायतीराज संस्थानों से होगी, जबकि पूर्व के नियमावली के अनुसार लगभग सभी अवकाश प्रधानाध्यापक को ही स्वीकृत करने का अधिकार था. महिलाओं के मातृत्व अवकाश की स्वीकृति के लिए भी अब नियोजन इकाई का चक्कर लगानाा पड़ेगा. जिससे उनको अनावश्यक परेशानी के साथ-साथ मानसिक और आर्थिक शोषण भी झेलना पड़ सकता है.

शिक्षक संध का कहना है कि सरकार ने पूर्व से मिल रहे 10 वर्षों के सेवा के उपरांत एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि का लाभ भी समाप्त कर दिया है तो वहीं प्रधानाध्यापक को सेवापुस्तिका संधारण का अधिकार भी छीन लिया गया. अब इन परिस्थितियों में स्वच्छता प्रमाण पत्र लेने में शिक्षकों को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा.

'किए गए गए हैं भयादोहन के उपाय'
इस सेवा शर्त के नाम पर शिक्षकों के भयादोहन के सभी उपाय किए गए हैं. नियोजन इकाई के अध्यक्षों के सहमति के बिना अब अधिकारी कार्यवाई का डंडा चलाने के बहाने शोषण करेंगे. मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार शिक्षकों के लिए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल 7 और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल 8 देने की हमारी मांग के नाम हमें झुनझुना पकड़ा दिया गया. वह भी अप्रैल 2021 से मिलेगा.

शिक्षकों का कहना है कि इस सेवाशर्त में कालबद्ध प्रोन्नित (एमएसीपी) का कोई जिक्र नहीं किया गया है और सेवा निरंतरता का लाभ भी भावी प्रभाव (प्रोसपक्टिव इफेक्ट) यानी वर्तमान के शिक्षकों को इसका लाभ न मिल कर भविष्य में नियोजित होने वाले शिक्षकों को ही इसका लाभ मिल सकेगा. इस सेवा शर्त नियमावली में पुरुषों के लिए कभी फलीभूत न होने वाला म्यूच्यूवल ट्रांसफर का प्रावधान किया गया है. जिसके अंतर्गत एक से दूसरे जिले में अदला-बदली करने वाले शिक्षक मिल भी जायेंगे लेकिन उसी विषय का मिलना असंभव सा लगता है.

जहां तक प्रोन्नति का सवाल है तो संबंधित नियोजन ईकाई में उस विषय में रिक्त पद होने पर ही उच्च माध्यमिक (+2) शिक्षक पद पर प्रोन्नति होगी. मगर प्लस टू की प्रोन्नति कैसी होगी इसका कोई प्रावधान नहीं है तो वहीं शारिरिक शिक्षकों और पुस्तकल्याध्यक्षों की प्रोन्नति की व्यवस्था भी नहीं है. उच्च माध्यमिक में 50 प्रतिशत पद प्रोन्नति से तथा 50 प्रतिशत पर सीधी नियुक्ति करने का प्रावधान है. जिससे छोटे नियोजन इकाईयों में रिक्तियां नहीं होने के कारण माध्यमिक शिक्षकों की प्रोन्नति संभव नहीं हो सकेगा.

सुविधाओं में की गई कटौती
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडे और महासचिव शत्रुघ्न सिंह का कहना है कि हमें पूर्व से मिल रही सुविधा में कटौती की गई है. 30 दिनों का असाधारण अवकाश के अलावा पंचांग वर्ष में 30 दिनों का अवैतनिक अवकाश का भी प्रावधान था. मगर अब 30 दिनों का अवैतनिक अवकाश को समाप्त कर दिया. इसके अलावा अर्जित अवकाश जो पूर्व से शिक्षकों के लिए 300 दिनों का देय था, उसे मात्र 120 दिन ही दिया गया है.

पटना: बिहार में सेवा शर्त जारी करके सरकार ने एक तरह से शिक्षकों की नाराजगी मोल ले ली है. सेवा शर्त के प्रावधानों से शिक्षक खासे नाराज हैं और इसे तुरंत वापस लेने की मांग कर रहे हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने एक बार फिर सरकार को पत्र लिखकर सेवा शर्त की खामियां गिनाई है. साथ ही अपनी मांगों को याद दिलाते हुए तुरंत वार्ता के लिए बुलाने का अनुरोध किया है.

शिक्षक संध ने गिनाई नई सेवा शर्त नियमावली की खामियां
राज्य के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का कहना है कि सरकार उनकी रत्ती भर मांग भी पूरी नहीं की है. पहले से ही शिक्षकों को कई वर्गों में विभक्त कर उनकी एकता को खंडित करने का प्रयास किया है. वहीं अब महिला, दिव्यांग और पुरुष शिक्षकों में फूट डालने की भी साजिश रची गई है. पूर्ण वेतनमान न देकर उसकी जगह अप्रैल, 2021 से वेतन में मामूली बढ़ोत्तरी और भावी प्रभाव और आधू-अधूरे ईपीएफ का लाभ देने का ढिढ़ोरा पीट रही है. पूर्व से मिल रही कई सुविधाओं व सहूलियतों को भी हटा दिया गया है. नियोजित शब्द हटाने के नाम पर पंचायती राज व्यवस्था की दलदल में और ढकेल दिया गया है. विद्यालय में चपरासी से लेकर प्रधानाध्यापक/प्राचार्य के पदों को समाप्त कर नियोजन वाद की ओर ढकेल दिया गया है. प्रधानाध्यापक व प्राचार्य की जगह बड़ी ही चालाकी से प्रधान अध्यापक का पद, लिपिक की जगह विद्यालय सहायक और आदेशपाल की जगह विद्यालय परिचारी का पद बना कर सभी की नियुक्ति और प्रोन्नति की जिम्मेवारी नियोजन इकाई के अंतर्गत कर दिया है.

शिक्षकों का कहना है कि पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने की हमारी मांग थी. परंतु इस सेवा शर्त के तहत स्थानीय निकायों का शिकंजा शिक्षकों पर पहले से अधिक कसेगा. वरीयता का निर्धारण स्थानीय निकायें होंगी. अधिकांश अवकाशों की स्वीकृति पंचायतीराज संस्थानों से होगी, जबकि पूर्व के नियमावली के अनुसार लगभग सभी अवकाश प्रधानाध्यापक को ही स्वीकृत करने का अधिकार था. महिलाओं के मातृत्व अवकाश की स्वीकृति के लिए भी अब नियोजन इकाई का चक्कर लगानाा पड़ेगा. जिससे उनको अनावश्यक परेशानी के साथ-साथ मानसिक और आर्थिक शोषण भी झेलना पड़ सकता है.

शिक्षक संध का कहना है कि सरकार ने पूर्व से मिल रहे 10 वर्षों के सेवा के उपरांत एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि का लाभ भी समाप्त कर दिया है तो वहीं प्रधानाध्यापक को सेवापुस्तिका संधारण का अधिकार भी छीन लिया गया. अब इन परिस्थितियों में स्वच्छता प्रमाण पत्र लेने में शिक्षकों को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा.

'किए गए गए हैं भयादोहन के उपाय'
इस सेवा शर्त के नाम पर शिक्षकों के भयादोहन के सभी उपाय किए गए हैं. नियोजन इकाई के अध्यक्षों के सहमति के बिना अब अधिकारी कार्यवाई का डंडा चलाने के बहाने शोषण करेंगे. मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार शिक्षकों के लिए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल 7 और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल 8 देने की हमारी मांग के नाम हमें झुनझुना पकड़ा दिया गया. वह भी अप्रैल 2021 से मिलेगा.

शिक्षकों का कहना है कि इस सेवाशर्त में कालबद्ध प्रोन्नित (एमएसीपी) का कोई जिक्र नहीं किया गया है और सेवा निरंतरता का लाभ भी भावी प्रभाव (प्रोसपक्टिव इफेक्ट) यानी वर्तमान के शिक्षकों को इसका लाभ न मिल कर भविष्य में नियोजित होने वाले शिक्षकों को ही इसका लाभ मिल सकेगा. इस सेवा शर्त नियमावली में पुरुषों के लिए कभी फलीभूत न होने वाला म्यूच्यूवल ट्रांसफर का प्रावधान किया गया है. जिसके अंतर्गत एक से दूसरे जिले में अदला-बदली करने वाले शिक्षक मिल भी जायेंगे लेकिन उसी विषय का मिलना असंभव सा लगता है.

जहां तक प्रोन्नति का सवाल है तो संबंधित नियोजन ईकाई में उस विषय में रिक्त पद होने पर ही उच्च माध्यमिक (+2) शिक्षक पद पर प्रोन्नति होगी. मगर प्लस टू की प्रोन्नति कैसी होगी इसका कोई प्रावधान नहीं है तो वहीं शारिरिक शिक्षकों और पुस्तकल्याध्यक्षों की प्रोन्नति की व्यवस्था भी नहीं है. उच्च माध्यमिक में 50 प्रतिशत पद प्रोन्नति से तथा 50 प्रतिशत पर सीधी नियुक्ति करने का प्रावधान है. जिससे छोटे नियोजन इकाईयों में रिक्तियां नहीं होने के कारण माध्यमिक शिक्षकों की प्रोन्नति संभव नहीं हो सकेगा.

सुविधाओं में की गई कटौती
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडे और महासचिव शत्रुघ्न सिंह का कहना है कि हमें पूर्व से मिल रही सुविधा में कटौती की गई है. 30 दिनों का असाधारण अवकाश के अलावा पंचांग वर्ष में 30 दिनों का अवैतनिक अवकाश का भी प्रावधान था. मगर अब 30 दिनों का अवैतनिक अवकाश को समाप्त कर दिया. इसके अलावा अर्जित अवकाश जो पूर्व से शिक्षकों के लिए 300 दिनों का देय था, उसे मात्र 120 दिन ही दिया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.