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समस्तीपुर: बिना शिक्षक के दो सालों से चल रहा है इंटर कृषि कोर्स

काफी मशक्कत के बाद जिले के आरएसबी इंटर स्कूल में इसकी शुरुआत की गई. बीते दो वर्षों से यह कोर्स तो जरूर चल रहा है. लेकिन, इसके लिए शिक्षक बहाल नहीं हैं.

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Published : Aug 21, 2019, 11:13 PM IST

समस्तीपुर: बिहार के स्कूल-कॉलेजों की दशा किसी से छिपी नहीं है. जिले में पिछले दो वर्षों से इंटर कृषि की पढ़ाई हो रही है लेकिन बिना शिक्षकों के. इस कोर्स को लेकर यहां आजतक शिक्षक बहाल नहीं हुए हैं. ऐसे में यहां से कोर्स पूरा करने वाले छात्र आगे जाकर कृषि के क्षेत्र में क्या शोध करेंगे, यह सहज ही समझा जा सकता है.

samastipur
कॉलेज की बदहाली

कृषि क्षेत्र में बेहतर विकास और रोजगार के मकसद से प्रदेश में कई वर्षों से कृषि में इंटर की पढ़ाई हो रही. गौरतलब है कि काफी मशक्कत के बाद जिले के आरएसबी इंटर स्कूल में भी इसकी शुरुआत की गई. बीते दो वर्षों से यह कोर्स तो जरूर चल रहा है. लेकिन, इसके लिए शिक्षक बहाल नहीं हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

नहीं है लैब और संसाधन
हर साल इस कोर्स के चालीस सीट जरूर फुल हो जाते हैं. लेकिन, इन छात्रों को पढ़ाने के लिए कृषि विषय के एक भी शिक्षक नहीं है. बदहाली केवल इतनी ही नहीं है यहां बने एकमात्र इंटर कृषि केंद्र में एक लैब तक नहीं है, तो संसाधन दूर की बात है. जिस कारण यहां एडमिशन लेने वाले छात्र कभी कॉलेज नहीं आते हैं.

samastipur
भूपनेश्वर राम, प्रिंसिपल

इस मामले पर आरएसबी इंटर स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा कि इस कोर्स को लेकर शिक्षक की बहाली नहीं हुई है. हाल ही में यहां के छात्रों को पढ़ाने के लिए एक कृषि समन्वयक बहाल किया गया है.

समस्तीपुर: बिहार के स्कूल-कॉलेजों की दशा किसी से छिपी नहीं है. जिले में पिछले दो वर्षों से इंटर कृषि की पढ़ाई हो रही है लेकिन बिना शिक्षकों के. इस कोर्स को लेकर यहां आजतक शिक्षक बहाल नहीं हुए हैं. ऐसे में यहां से कोर्स पूरा करने वाले छात्र आगे जाकर कृषि के क्षेत्र में क्या शोध करेंगे, यह सहज ही समझा जा सकता है.

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कॉलेज की बदहाली

कृषि क्षेत्र में बेहतर विकास और रोजगार के मकसद से प्रदेश में कई वर्षों से कृषि में इंटर की पढ़ाई हो रही. गौरतलब है कि काफी मशक्कत के बाद जिले के आरएसबी इंटर स्कूल में भी इसकी शुरुआत की गई. बीते दो वर्षों से यह कोर्स तो जरूर चल रहा है. लेकिन, इसके लिए शिक्षक बहाल नहीं हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

नहीं है लैब और संसाधन
हर साल इस कोर्स के चालीस सीट जरूर फुल हो जाते हैं. लेकिन, इन छात्रों को पढ़ाने के लिए कृषि विषय के एक भी शिक्षक नहीं है. बदहाली केवल इतनी ही नहीं है यहां बने एकमात्र इंटर कृषि केंद्र में एक लैब तक नहीं है, तो संसाधन दूर की बात है. जिस कारण यहां एडमिशन लेने वाले छात्र कभी कॉलेज नहीं आते हैं.

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भूपनेश्वर राम, प्रिंसिपल

इस मामले पर आरएसबी इंटर स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा कि इस कोर्स को लेकर शिक्षक की बहाली नहीं हुई है. हाल ही में यहां के छात्रों को पढ़ाने के लिए एक कृषि समन्वयक बहाल किया गया है.

Intro:जिले में दो वर्षों से चल रहा इंटर कृषि की पढ़ाई , लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा , इसको लेकर शिक्षक आज तक बहाल नही हुए । सवाल क्या बिन शिक्षक ही बनेंगे ये छात्र कृषि वैज्ञानिक ।


Body:कृषि व उस क्षेत्र में बेहतर बिकास व रोजगार के मकसद से , सूबे में कई वर्षों से कृषि में इंटर की पढ़ाई हो रही । काफी मशक्कत के बाद जिले के आरएसबी इंटर स्कूल में भी इसकी शुरुआत की गई । बीते दो वर्षों से चल रहे इस कोर्स के चालीस सीट फूल तो जरूर रहते है , लेकिन आज तक इन छात्रों को पढ़ाने के लिए कृषि विषय के एक भी शिक्षक बहाल नही हुए । यही नही जिले के एकमात्र इंटर कृषि के इस केंद्र में न लैब है और न ही इससे जुड़े कोई संसाधन । यही वजह है की , सीट तो जरूर भरे है , लेकिन आपको यंहा इसके एक भी छात्र नही मिलेंगे । वैसे इस मामले पर इस आरएसबी इंटर स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा की , इस कोर्स को लेकर शिक्षक की बहाली नही हुई है । वैसे यंहा के छात्रों को पढ़ाने के लिए एक कृषि समन्वयक बहाल किया गया है , वंही अन्य विषय यंहा के शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा ।

बाईट - भूपनेश्वर राम , प्रधानाध्यापक , आरएसबी इंटर स्कूल ।


Conclusion:वैसे प्रधानाध्यापक इस बात को नही समझा सके की , अगर शिक्षक है तो इस कोर्स के छात्र पूरी तरह नदारद क्यों । दरअसल बिन शिक्षक इस कोर्स के सभी सीट फूल होने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है की , इन छात्रों को आगे किसी भी कृषि विश्वविद्यालय में नामांकन के लिए 50 फीसदी का आरक्षण मिल जायेगा ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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