सहरसा: बिहार के सहरसा के लाल ने कमाल कर दिया है. एक साधारण परिवार के बेटे ने जज बनकर (Chhola Bhatura seller son became judge in Saharsa) सहरसा का नाम रोशन किया है. बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले कमलेश कुमार ने Bihar Judiciary Exam में 64वीं रैंक हासिल की है. उनके पिता चन्द्रशेखर यादव दिल्ली में रहकर ठेले पर छोला भटूरा बेचते थे. कमलेश मूल रूप से सहरसा के सत्तोर पंचायत के बरुवाही वार्ड नं 12 के रहने वाले हैं.
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कमलेश ने अपनी कोशिशें जारी रखी : बिहार के सहरसा जिले के कमलेश कुमार ने 12वीं पास की. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई शुरू कर दी. कमलेश ने अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन रात एक कर दिया. साल 2017 में यूपी न्यायिक सेवा और फिर बिहार न्यायिक सेवा की परीक्षा दी. लेकिन, कोरोना की वजह से कमलेश के तीन साल बर्बाद हो गए. इसके बावजूद कमलेश ने हार नहीं मानी और कोशिश की. कमलेश की इस खुशी में आज पूरा सहरसा गर्व कर रहा है.
'मेरे पिता दिल्ली में सड़क किनारे छोले-भटूरे बेचते थे' : वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए कमलेश कुमार ने जज बनने के अपने सफर को साझा किया. कमलेश ने कहा, “मेरे पिता दिल्ली में सड़क के किनारे छोले-भटूरे बेचते थे और अतिक्रमण अभियान के दौरान एक पुलिस अधिकारी ने मेरे पिता को थप्पड़ मारा था और जल्द से जल्द ठेले को हटाने के लिए कहा था. घटना के बाद मैं बहुत गुस्से में था और उस अधिकारी को पीटने का मन कर रहा था. मैं सोच रहा था कि मेरे सामने मेरे पिता के साथ को ऐसा कैसे कर सकता है. लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि उसे हरा पाना संभव नहीं है. उसी समय मैंने जज बनने का फैसला किया.
"मेरे पिता ने मुझे कभी जज बनने के लिए नहीं कहा और मैं पढ़ाई में कमजोर था. लेकिन हां मुझमें कुछ बनने का जज्बा था. एक दिन मेरे पिता अदालत गए थे क्योंकि उन्होंने अवैध अतिक्रमण अभियान के लिए एमसीडी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. अदालत में जज साहब पुलिस अधिकारी पर चिल्ला रहे थे. मेरे पिता ने मुझे बताया कि कैसे एक न्यायाधीश पुलिस अधिकारी को चुप करा सकता है. उस समय मैं वकील बनने की सोच रहा था लेकिन इस घटना को सुनने के बाद मैंने सोचा कि क्यों न मैं जज बनूं और मेहनत करने लगा.'' - कमलेश कुमार
'मेरी दोस्त पूर्णिमा ने फोन कर बताया, तुम पास हो गए' : यह पूछे जाने पर कि उन्हें रिजल्ट की खबर कैसे मिली, कमलेश ने कहा, “मुझे यह जानकारी एक टेलीग्राम समूह पर मिली, जिसमें एक पीडीएफ फाइल थी. मेरे दोस्त कमलेश कुमार की जगह कमल यादव से मेरा नाम तलाशने रहे थे. मैंने कमलेश कुमार से उस पीडीएफ में अपना नाम भी खोजा लेकिन नहीं मिला. जिसके बाद मैंने अपनी मां को फोन किया और कहा कि मेरा चयन नहीं हुआ है. बाद में मेरी एक दोस्त पूर्णिमा गुप्ता ने मुझे फोन किया और कहा कि मेरा चयन हो गया है और मुझे 64वां रैंक मिला है. फिर मैंने अपनी मां को फोन किया और कहा कि मैंने परीक्षा पास कर ली है.
जज बना ठेले वाले का बेटा, कहानी कर देगी हैरान! : सहरसा के लाल कमलेश कुमार उर्फ कमल यादव ने कर दिखाया है. जिले के नवहट्टा प्रखंड के सत्तोर पंचायत के बरुवाही वार्ड नं 12 के रहने वाले कमलेश यादव ने दिल्ली में रहकर लॉ की पढ़ाई करते हुए न्यायिक सेवा में 64 वीं रैंक लाकर जज बनने में सफलता पाई है. उनकी इस सफलता से पैतृक गांव में खुशी की लहर है.
कमलेश की सफलता के पीछे पिता की मेहनतः कमलेश की सफलता के पीछे उनके पिता चन्द्रशेखर यादव का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने दिल्ली में झुग्गी झोपड़ी में रहते हुए छोले-भटूरे की दुकान चलाकर अपने बेटे को पढ़ाया और इस काबिल बनाया. गांव में कमलेश के चाचा दया कांत यादव ने बताया कि शुरुआती दौर में आज से कई वर्ष पहले कमलेश के पिता रोजगार की तलाश में दिल्ली चले गए थे. वहां वो एक झुग्गी झोपड़ी ली और फिर छोले भटूरे की दुकान चलाने लगे. 1992 ई में कमलेश के पिता गांव आए और अपने परिवार को लेकर दिल्ली चले गए.
पुलिस वाले ने पिता को मारा था थप्पड़: कमलेश के चाचा बताते हैं कि कमलेश जब चार साल के थे तो वो अपने पिता के छोले भटूरे की दुकान में पिता का हाथ बटाते थे. इसी दौरान एक दिन उनके पिता से एक पुलिस वाले कि झड़प हुई और पुलिस वाले ने कमलेश के सामने उनके पिता थप्पड़ जड़ दिया. उसके बाद कमलेश कुमार को बहुत गुस्सा आया था और कमलेश के पिता ने अपने बेटे से यह कहा कि बेटा पुलिस वाले जज को सैल्यूट करते हैं. इसके बाद कमलेश ने जज बनने की ठान ली और कड़ी मेहनत करके इस पद के लिए सफलता पाई.
'मेरा भतीजा के जज बनने से हमलोग बहुत खुश हैं. हमलोग सब भाई दिल्ली गए. छोला-भटूरा का दुकान खोले. वहां रहकर वह पढ़ा और आज जज बना. एक बार दुकान लगाने के दौरान पुलिस से उसके पिता की हाथापाई हुई थी. उस समय लोगों ने कहा था कि पुलिस से भी बड़ा जज होता है. तभी कमलेश ने कहा था कि बड़ा होकर जज बनूंगा' - दया कांत यादव, कमलेश के चाचा
मुश्किल भरा था कामयाबी का सफर : घरवालों ने बताया कि जज बनने की राह इतनी आसान नहीं थी. काफी मेहनत करके कमलेश ने लॉ की पढ़ाई की और जज बनने की तैयारी शुरू की. इस बीच उन्हें एक दो बार निराश भी होना पड़ा, लेकिन अंत में उन्हें यह कामयाबी मिल ही गई. वाकई में कमलेश कुमार लोगों के लिए मिशाल बने हुए हैं और यह संदेश दे रहे हैं कि परिस्थिति कुछ भी रहे, लेकिन इंसान को हार नहीं माननी चाहिए.
"मैं बहुत खुश हूं कि कमलेश जी जज बन गए और उनके परिवार के प्रति सहानुभूति प्रकट करता हूं. उनके पिता ने छोला-भटूरा की दुकान लगाकर बेटे को पढ़ाया और इस लायक बनाया कि बेटा जज बनकर हमारे गांव का नाम रोशन किया. इसके लिए कमलेश और उनके पिता को धन्यवाद देता हूं"- तेज नारायण यादव, वर्तमान मुखिया पति