सहरसा: रासायनिक खाद मुक्त खेती करने के बिहार के सीएम के सपने को सहरसा के सत्तर कटैया प्रखंड में मूर्त रूप दिया जा रहा है. विभिन्न प्रजाति की सब्जी उपजा कर तेजेन्द्र ने साबित कर दिया कि खेती सिर्फ रासायनिक खाद की बदौलत ही नहीं बल्कि जैविक खाद का उपयोग कर भी की जा सकती है. इसके लिए इन्होंने घर पर ही जैविक खाद, गूगल की मदद से तैयार किया है.
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गूगल के सहारे बदली तकदीर
सहरसा में गूगल के सहारे किसान अपनी तकदीर बदल रहे हैं. प्रखंड के मकुना गांव के तेजेंद्र राय अब सब्जी की खेती कर किसानों के लिए मिसाल बन गये हैं. इनकी देखरेख में यहां ही नहीं आसपास के कई गांव के दर्जनों किसान सब्जी की खेती कर आर्थिक रूप से संपन्न हो रहे हैं. विभिन्न प्रजाति के सब्जी उपजा कर इन्होंने साबित कर दिया कि सिर्फ रासायनिक खाद के बदौलत ही नहीं बल्कि जैविक खाद का उपयोग कर भी अच्छी खेती की जा सकती है.
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देसी तकनीक से खेती
गूगल के सहारे यहां किसान खेती कर रहे हैं. रासायनिक खाद और कीटनाशक की जगह जैविक खाद का प्रयोग किया जा रहा है. देसी तकनीक से खेतों में रंग बिरंगे सब्जी उपजाई जा रही है. वहीं गेहूं और दलहन की भी खेती की जा रही है.
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'इस तरह की प्रेरणा पिता की गंभीर बीमारी से हुई मौत से मिली. चूंकि उनको कोई गलत लत नहीं थी फिर भी वो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गये. चिकित्सक ने इसकी वजह रासायनिक खाद युक्त सब्जी या अनाज का उपयोग बताया था. सेवानिवृत्त होने के बाद गांव पहुंचकर इस तरह की खेती शुरू किया.'- तेजेन्द्र राय, किसान
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गोबर और गोमूत्र से तैयार किया जा रहा खाद
खेतों में रासायनिक खाद के बजाय स्वनिर्मित जैविक खाद का उपयोग कर खेती की जा रही है. इसके लिये ड्रम में गोमूत्र और गोबर के अलावे विभिन्न तरह के पत्तों को मिलाकर खाद तैयार किया जा रहा है. जब यह तैयार हो जाता है फिर इसे खेतों में जरूरत के हिसाब से डाला जाता जाता है.
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नहीं डगमगाये कदम
शुरुआत में तेजेन्द्र ने विभिन्न प्रकार की सब्जी का उत्पादन किया. इसमें शिमला मिर्च और तरबूज की खेती शामिल थे. फसल भी अच्छी हुई लेकिन लॉकडाउन के कारण काफी क्षति हुयी थी. फिर भी इनका हौसला कम नहीं हुआ.तेजेन्द्र राय ने गेहूं के बीज मध्यप्रदेश से मंगवाये हैं. इसके अलावे विभिन्न रंगों की गोभी की खेती भी कर रहे हैं.
हाइब्रिड बीज का उपयोग
देसी बीज के अभाव में हाइब्रिड बीज का भी उपयोग किया जा रहा है. इस प्रकार की खेती के साथ ही इस क्षेत्र के लोगों को भी इस तरह की खेती करने के लिये न सिर्फ प्रोत्साहित किया जा रहा है बल्कि उन्हें प्रशिक्षित भी कर रहे हैं.
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'रासायनिक खाद के उपयोग से इस क्षेत्र के लोग गंभीर रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं. ऐसे में इन्होंने रासायनिक खाद मुक्त खेती की शुरुआत की है जो सराहनीय है.'- वीरेंद्र यादव,ग्रामीण
माननीय मुख्यमंत्री का यह सपना है कि समूचा बिहार रासायनिक खाद से मुक्त हो और जैविक खाद से खेती हो. उनके सपना को साकार करने वाले इस किसान को सरकार प्रायोजित जो भी सुविधा होगी प्रदान किया जायेगा.'- गूंजेश्वर साह, स्थानीय विधायक
किसानों को उम्मीदें
तेजेन्द्र के प्रयास से सहरसा के किसानों के बीच महंगे रासायनिक खाद के बजाय देसी तकनीक से बने जैविक खाद से खेती कर एक नई उम्मीद जगा दी है. साथ ही इस पद्धति को सभी अपना रहे हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस तरह की खेती का लाभ ज्यादा से ज्यादा किसान उठाएंगे.