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Anand Mohan: 'सहरसा को यूनिवर्सिटी, ओवर ब्रिज, एयरपोर्ट कुछ भी नहीं मिला.. AIIMS तो लेकर रहेंगे'

सहरसा में एम्स की मांग को लेकर सोमवार को बंद बुलाया गया था. इस दौरान पूर्व सांसद आनन्द मोहन पूरे बाजार में पैदल मार्च करते और बाइक से घूम-घूमकर नारेबाजी करते दिखे थे. इसी बाबत उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जिला को यूनिवर्सिटी, ओवरब्रिज, एयरपोर्ट कुछ भी नहीं मिला. इसलिए शहर में एम्स बनवाने को लेकर आंदोलन किया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 1, 2023, 8:21 PM IST

पूर्व सांसद आनंद मोहन का बयान

सहरसा: बिहार में सहरसा बंद को लेकर पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि बंद को लेकर मुख्य मुद्दा एम्स था. एम्स के बहाने हमने सहरसा की उन तमाम मांगों को लेकर जो लोगों में आक्रोश था. उस आक्रोश का सोमवार को प्रस्फुटन हुआ है. अब यह आंदोलन दलों और पार्टियों से ऊपर एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है. क्योंकि हमलोगों ने सहरसा के लिए जो कुछ भी मांगा वह दूसरी जगह चला गया. बीते दशकों में सहरसा से सभी क्षेत्रीय कार्यलय बाहर चले गए.

ये भी पढ़ें : Saharsa Bandh: AIIMS की मांग को लेकर सहरसा बंद, सड़कों पर उतरे आनंद मोहन.. प्रशासन अलर्ट

एम्स की मांग को लेकर बंद किया गया था सहरसा : बता दें कि सोमवार को एम्स निर्माण संघर्ष समिति की ओर से सहरसा बंद का आह्वान किया गया था. इसमें पूर्व सांसद आनन्द मोहन, पूर्व सांसद लवली आनन्द , बीजेपी विधायक डॉ आलोक रंजन सहित विभिन्न संगठनों की ओर से सहरसा बंद का समर्थन किया गया था. इसी बाबत मंगलवार को पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया और एम्स सहित अन्य मांगों को लेकर अपनी बातें रखी.

प्रेसवार्ता में मौजूद पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद
प्रेसवार्ता में एक साथ पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद

"हमने मांगा विश्वविद्यालय, हमको नहीं मिला दूसरे जगह चला गया. हम मांग रहे है ओवरब्रिज, हमारे यहां नहीं बन रहा है और अगल बगल के जिले में बन रहा है. हम एयरपोर्ट मांगते रह गए, लेकिन वहां बन गया जहां कमरभर पानी भरा रहता था. क्योंकि वह किसी राजा जी का निजी एयरपोर्ट था. तो यह सब सहरसा के साथ भेदभाव होता रहा. यहां की पार्टियां और नेता मूक दर्शक बनी बैठी रही. उसके खिलाफ आक्रोश था और स्वतःस्फूर्त आंदोलन था यह." - आनंद मोहन, पूर्व सांसद

'सहरसा के साथ हो रहा भेदभाव' : आनंद मोहन ने कहा कि सहरसा की जो विरासतें थी जिसको पुरखों ने स्थापित किया था. धीरे धीरे सब यहां से हटता चला गया. इसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश था और कल उस आक्रोश का प्रस्फुटन हुआ. जबतक पार्टियां सड़क पर निकली तबतक चप्पा चप्पा सहरसा बंद था. उन्होंने ये भी कहा कि एयर पोर्ट की लड़ाई लड़ते रहे यहां सारी शर्तें पूरी हो रही है. अंतर्देशीय उड़ानों की शर्ते भी यहां पूरी की गई. फिर भी एयरपोर्ट कहां बना जहां कमर भर पानी रहता है.

'सिर्फ वोट मांगने वालों को सबक सिखाएगी जनता': आनंद मोहन ने कहा कि आज जब चुनाव आता है तो पार्टियां वोट मांगने जाती है. पार्टियों ने जन सरोकारों से अपने आप को दूर कर लिया है. कल सहरसा वासियों ने और जिला वासियों ने पार्टियों को आईना दिखाने का काम किया है और ये कहा है जन सरोकारों से, जन सवालों से जो पार्टियां विमुख हो जाएगी. जनता उसको धूल चटाएगी, जनता उसको समय आने पर सबक सिखाएगी.

पूर्व सांसद आनंद मोहन का बयान

सहरसा: बिहार में सहरसा बंद को लेकर पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि बंद को लेकर मुख्य मुद्दा एम्स था. एम्स के बहाने हमने सहरसा की उन तमाम मांगों को लेकर जो लोगों में आक्रोश था. उस आक्रोश का सोमवार को प्रस्फुटन हुआ है. अब यह आंदोलन दलों और पार्टियों से ऊपर एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है. क्योंकि हमलोगों ने सहरसा के लिए जो कुछ भी मांगा वह दूसरी जगह चला गया. बीते दशकों में सहरसा से सभी क्षेत्रीय कार्यलय बाहर चले गए.

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एम्स की मांग को लेकर बंद किया गया था सहरसा : बता दें कि सोमवार को एम्स निर्माण संघर्ष समिति की ओर से सहरसा बंद का आह्वान किया गया था. इसमें पूर्व सांसद आनन्द मोहन, पूर्व सांसद लवली आनन्द , बीजेपी विधायक डॉ आलोक रंजन सहित विभिन्न संगठनों की ओर से सहरसा बंद का समर्थन किया गया था. इसी बाबत मंगलवार को पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया और एम्स सहित अन्य मांगों को लेकर अपनी बातें रखी.

प्रेसवार्ता में मौजूद पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद
प्रेसवार्ता में एक साथ पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद

"हमने मांगा विश्वविद्यालय, हमको नहीं मिला दूसरे जगह चला गया. हम मांग रहे है ओवरब्रिज, हमारे यहां नहीं बन रहा है और अगल बगल के जिले में बन रहा है. हम एयरपोर्ट मांगते रह गए, लेकिन वहां बन गया जहां कमरभर पानी भरा रहता था. क्योंकि वह किसी राजा जी का निजी एयरपोर्ट था. तो यह सब सहरसा के साथ भेदभाव होता रहा. यहां की पार्टियां और नेता मूक दर्शक बनी बैठी रही. उसके खिलाफ आक्रोश था और स्वतःस्फूर्त आंदोलन था यह." - आनंद मोहन, पूर्व सांसद

'सहरसा के साथ हो रहा भेदभाव' : आनंद मोहन ने कहा कि सहरसा की जो विरासतें थी जिसको पुरखों ने स्थापित किया था. धीरे धीरे सब यहां से हटता चला गया. इसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश था और कल उस आक्रोश का प्रस्फुटन हुआ. जबतक पार्टियां सड़क पर निकली तबतक चप्पा चप्पा सहरसा बंद था. उन्होंने ये भी कहा कि एयर पोर्ट की लड़ाई लड़ते रहे यहां सारी शर्तें पूरी हो रही है. अंतर्देशीय उड़ानों की शर्ते भी यहां पूरी की गई. फिर भी एयरपोर्ट कहां बना जहां कमर भर पानी रहता है.

'सिर्फ वोट मांगने वालों को सबक सिखाएगी जनता': आनंद मोहन ने कहा कि आज जब चुनाव आता है तो पार्टियां वोट मांगने जाती है. पार्टियों ने जन सरोकारों से अपने आप को दूर कर लिया है. कल सहरसा वासियों ने और जिला वासियों ने पार्टियों को आईना दिखाने का काम किया है और ये कहा है जन सरोकारों से, जन सवालों से जो पार्टियां विमुख हो जाएगी. जनता उसको धूल चटाएगी, जनता उसको समय आने पर सबक सिखाएगी.

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