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कोसी नदी के जलस्तर में कमी होने के साथ तेज हुआ कटाव.. घर खाली कर ऊंचे स्थान पर जाने को लोग मजबूर

सहरसा में कोसी नदी के जलस्तर में कमी होने के साथ कटाव तेज हो गया है. जिसको लेकर ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. नदी के आसपास के लोग घर खाली कर ऊंचे स्थान पर जाना शुरू कर दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर..

कोसी नदी में कटाव तेज
कोसी नदी में कटाव तेज
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Published : Aug 19, 2022, 8:21 PM IST

सहरसा: कोसी नदी में बाढ़ (Flood In Koshi River) की तबाही के मंजर से लोग वर्षों से जूझते आ रहे हैं. हर साल कोसी में बाढ़ तबाही मचाती है, ना जाने कितने लोगों का घर कोसी में समा जाती है. कोसी नदी में आई बाढ़ के कारण उस इलाके में बसे लोगों को दो-दो मुसीबत झेलनी पड़ती है. एक मुसीबत जब नदी में पानी का जलस्तर बढ़ता है, तब इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ा देती है. वहीं, जब नदी के जलस्तर में कमी (Erosion intensified in Koshi river) होने पर कटाव तेज हो जाती है. जिससे लोगों का घर कोसी नदी में समा जाता है.

ये भी पढ़ें-कोसी का कहर: लाल पानी आने से तटबंध के भीतर कटाव तेज, 41 घर नदी में विलीन, देखें VIDEO

कोसी का कहर जारी: कोसी नदी के आसपास के इलाके में बसे लोगों को हर साल इस समस्या से जुझना पड़ता है. आलम यह होती है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में बसे लोग अपने आशियाने को उजाड़ कर ऊंचे स्थान पर जाने को विवश हो जाते हैं. ऐसी ही तस्वीर सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड क्षेत्र के नौला पंचायत के रसलपुर गांव से सामने आई है. जहां नोहटा प्रखंड के नौला पंचायत में तकरीबन 20 घर कोसी नदी में समा गया है. वहीं, नोहटा प्रखंड क्षेत्र के ऐसे कई पंचायत है, जहां अब तक 60 से 70 घर कोसी में समा चुका है. इलाके के लोग दाने-दाने को मोहताज हो चुके हैं.

पीड़ितों ने प्रशासन से लगाई गुहार: ईटीवी भारत की टीम जब बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंची तो लोगों का दर्द छलक उठा. लोगों ने कहा कि वे सब क्या कर सकते हैं. कोसी में जब बाढ़ आती है, तो सभी दिन रात डरे रहते हैं, ना जाने कब किसका घर कोसी में समा जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. लोगों ने कहा कि प्रशासन के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं होती है. सरकार का कोई ध्यान भी नहीं जाता है. सभी लोग अपने घर को उजाड़ कर ऊंचे स्थान को ढूंढने का प्रयास करते हैं. पीड़ित लोगों ने प्रशासन से राहत देने की मांग की है.

"हमलोगों को समस्या कोसी लेकर है. कोसी काट रही है, इसलिए हमलोगों को जाना जरूरी थी नहीं तो सब घर भस जाता पानी में. लगभग 60-70 घर यहां से भीतर रसलपुर चला गया. प्रशासन से हमलोग यही मदद चाहते हैं कि वर्तमान में जो लोगों को होना चाहिए सुख सुविधा, वो मिलना चाहिए. इससे पहले यहां आया था कर्मचारी वो कर्मचारी बिना प्लॉट देखे प्लास्टिक बांट दिया. बहुत लोगों को मिला. जिसका घर नहीं कटा वो ले लिया और यहां पर जिसका घर कटा उसमें से किसी को नहीं मिला. बहुत आदमी को अभी तक नहीं मिला प्लास्टिक. इसलिए कर्मचारी को चाहिए की प्लॉट पर आकर ऑन स्पॉट आकर वितरन करना चाहिए था. ये सब समस्या है यहां." फुलेस्वर यादव, ग्रामीण

"कोसी के कटाव से यहां दिक्कत हुआ है. घर काट रहा है. हमारा आश्रम भी कटने के मोड़ पर है. 40 घर कट गये हैं. सब अपना सामान उठा-उठाकर ऊपर रख रहे हैं. अपना सामान बचा रहे हैं."- दीपनारायण दास, ग्रामीण

ये भी पढ़ें-भागलपुर में बाढ़ से तबाही, लोग अपने घरों को तोड़ने को हुए मजबूर

सहरसा: कोसी नदी में बाढ़ (Flood In Koshi River) की तबाही के मंजर से लोग वर्षों से जूझते आ रहे हैं. हर साल कोसी में बाढ़ तबाही मचाती है, ना जाने कितने लोगों का घर कोसी में समा जाती है. कोसी नदी में आई बाढ़ के कारण उस इलाके में बसे लोगों को दो-दो मुसीबत झेलनी पड़ती है. एक मुसीबत जब नदी में पानी का जलस्तर बढ़ता है, तब इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ा देती है. वहीं, जब नदी के जलस्तर में कमी (Erosion intensified in Koshi river) होने पर कटाव तेज हो जाती है. जिससे लोगों का घर कोसी नदी में समा जाता है.

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कोसी का कहर जारी: कोसी नदी के आसपास के इलाके में बसे लोगों को हर साल इस समस्या से जुझना पड़ता है. आलम यह होती है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में बसे लोग अपने आशियाने को उजाड़ कर ऊंचे स्थान पर जाने को विवश हो जाते हैं. ऐसी ही तस्वीर सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड क्षेत्र के नौला पंचायत के रसलपुर गांव से सामने आई है. जहां नोहटा प्रखंड के नौला पंचायत में तकरीबन 20 घर कोसी नदी में समा गया है. वहीं, नोहटा प्रखंड क्षेत्र के ऐसे कई पंचायत है, जहां अब तक 60 से 70 घर कोसी में समा चुका है. इलाके के लोग दाने-दाने को मोहताज हो चुके हैं.

पीड़ितों ने प्रशासन से लगाई गुहार: ईटीवी भारत की टीम जब बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंची तो लोगों का दर्द छलक उठा. लोगों ने कहा कि वे सब क्या कर सकते हैं. कोसी में जब बाढ़ आती है, तो सभी दिन रात डरे रहते हैं, ना जाने कब किसका घर कोसी में समा जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. लोगों ने कहा कि प्रशासन के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं होती है. सरकार का कोई ध्यान भी नहीं जाता है. सभी लोग अपने घर को उजाड़ कर ऊंचे स्थान को ढूंढने का प्रयास करते हैं. पीड़ित लोगों ने प्रशासन से राहत देने की मांग की है.

"हमलोगों को समस्या कोसी लेकर है. कोसी काट रही है, इसलिए हमलोगों को जाना जरूरी थी नहीं तो सब घर भस जाता पानी में. लगभग 60-70 घर यहां से भीतर रसलपुर चला गया. प्रशासन से हमलोग यही मदद चाहते हैं कि वर्तमान में जो लोगों को होना चाहिए सुख सुविधा, वो मिलना चाहिए. इससे पहले यहां आया था कर्मचारी वो कर्मचारी बिना प्लॉट देखे प्लास्टिक बांट दिया. बहुत लोगों को मिला. जिसका घर नहीं कटा वो ले लिया और यहां पर जिसका घर कटा उसमें से किसी को नहीं मिला. बहुत आदमी को अभी तक नहीं मिला प्लास्टिक. इसलिए कर्मचारी को चाहिए की प्लॉट पर आकर ऑन स्पॉट आकर वितरन करना चाहिए था. ये सब समस्या है यहां." फुलेस्वर यादव, ग्रामीण

"कोसी के कटाव से यहां दिक्कत हुआ है. घर काट रहा है. हमारा आश्रम भी कटने के मोड़ पर है. 40 घर कट गये हैं. सब अपना सामान उठा-उठाकर ऊपर रख रहे हैं. अपना सामान बचा रहे हैं."- दीपनारायण दास, ग्रामीण

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