सहरसा: चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत ने प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है. जिले के सदर अस्पताल में भी स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है. यहां चिकित्सकों की घोर कमी है. यह अस्पताल कहने के लिए कोशी का सबसे बड़ा अस्पताल है. लेकिन यहां एक भी महिला चिकित्सक तक नहीं है.
सहरसा सदर अस्पताल में हर दिन इलाज के लिए हजारों मरीज आते हैं. लेकिन यहां अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां पिछले एक सालों से एक महिला डॉक्टर की तैनाती तक नहीं की गई है. इससे महिला मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है. इसके साथ ही अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
'इसे कोशी का पीएमसीएच कहा जाता है'
इसको लेकर मरीजों का कहना है कि यहां सहरसा से ही नहीं सुपौल और मधेपुरा से भी मरीज आते हैं. इसे कोशी का पीएमसीएच कहा जाता है. लेकिन इस अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक नहीं है. यह बहुत ही शर्मनाक बात है. स्वास्थ्य विभाग यहां खाली पदों पर महिला चिकित्सक का तुरंत बहाली करें.
'यहां महिला महिला डॉक्टर नहीं हैं'
वहीं, सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा कि इस सदर अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं हैं. एक महिला डॉक्टर हैं जो अनुमंडलीय अस्पताल सिमरीबख्तियारपुर में पदस्थापित हैं. उन लोगों को यहां एडिशल ड्यूटी पर लगाया गया है. इसके साथ ही यहां एक कॉन्ट्रैक्ट पर भी डॉक्टर को रखा गया है.