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सहरसा: कोशी के इस सबसे बड़े अस्पताल की हालत बदतर, नहीं हैं एक भी महिला डॉक्टर - Bihar News

सहरसा अस्पताल को कोशी का सबसे बड़ा अस्पताल कहा जाता है. लेकिन यहां महिला मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर की तैनाती नहीं है.

सहरसा
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Published : Jul 7, 2019, 12:55 PM IST

सहरसा: चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत ने प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है. जिले के सदर अस्पताल में भी स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है. यहां चिकित्सकों की घोर कमी है. यह अस्पताल कहने के लिए कोशी का सबसे बड़ा अस्पताल है. लेकिन यहां एक भी महिला चिकित्सक तक नहीं है.

सहरसा सदर अस्पताल में हर दिन इलाज के लिए हजारों मरीज आते हैं. लेकिन यहां अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां पिछले एक सालों से एक महिला डॉक्टर की तैनाती तक नहीं की गई है. इससे महिला मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है. इसके साथ ही अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

स्थानीय और सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह का बयान

'इसे कोशी का पीएमसीएच कहा जाता है'
इसको लेकर मरीजों का कहना है कि यहां सहरसा से ही नहीं सुपौल और मधेपुरा से भी मरीज आते हैं. इसे कोशी का पीएमसीएच कहा जाता है. लेकिन इस अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक नहीं है. यह बहुत ही शर्मनाक बात है. स्वास्थ्य विभाग यहां खाली पदों पर महिला चिकित्सक का तुरंत बहाली करें.

'यहां महिला महिला डॉक्टर नहीं हैं'
वहीं, सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा कि इस सदर अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं हैं. एक महिला डॉक्टर हैं जो अनुमंडलीय अस्पताल सिमरीबख्तियारपुर में पदस्थापित हैं. उन लोगों को यहां एडिशल ड्यूटी पर लगाया गया है. इसके साथ ही यहां एक कॉन्ट्रैक्ट पर भी डॉक्टर को रखा गया है.

सहरसा: चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत ने प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है. जिले के सदर अस्पताल में भी स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है. यहां चिकित्सकों की घोर कमी है. यह अस्पताल कहने के लिए कोशी का सबसे बड़ा अस्पताल है. लेकिन यहां एक भी महिला चिकित्सक तक नहीं है.

सहरसा सदर अस्पताल में हर दिन इलाज के लिए हजारों मरीज आते हैं. लेकिन यहां अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां पिछले एक सालों से एक महिला डॉक्टर की तैनाती तक नहीं की गई है. इससे महिला मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है. इसके साथ ही अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

स्थानीय और सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह का बयान

'इसे कोशी का पीएमसीएच कहा जाता है'
इसको लेकर मरीजों का कहना है कि यहां सहरसा से ही नहीं सुपौल और मधेपुरा से भी मरीज आते हैं. इसे कोशी का पीएमसीएच कहा जाता है. लेकिन इस अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक नहीं है. यह बहुत ही शर्मनाक बात है. स्वास्थ्य विभाग यहां खाली पदों पर महिला चिकित्सक का तुरंत बहाली करें.

'यहां महिला महिला डॉक्टर नहीं हैं'
वहीं, सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा कि इस सदर अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं हैं. एक महिला डॉक्टर हैं जो अनुमंडलीय अस्पताल सिमरीबख्तियारपुर में पदस्थापित हैं. उन लोगों को यहां एडिशल ड्यूटी पर लगाया गया है. इसके साथ ही यहां एक कॉन्ट्रैक्ट पर भी डॉक्टर को रखा गया है.

Intro:सहरसा...सहरसा सदर अस्पताल कोशी कमिश्नरी का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र है,लेकिन बीते कई वर्षों से यह अस्पताल सरकार और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का शिकार बना हुआ है,हालात यह है कि इस प्रमंडलीय अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक पदस्थापित नही है,जिससे प्रसव सहितंय स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर यहां आने वाली महिला रोगी को काफी परेशानी होती है।


Body:सहरसा सदर अस्पताल जहां प्रतिदिन हजारों मरीज आते है,उनमे से लगभग आधी संख्या महिला मरीज की होती है।लेकिन लगभग बीते एक वर्ष से यहां एक भी महिला डॉक्टर नही है।सिमरीबख्तियारपुर अनुमंडलीय अस्पताल में पदस्थापित तीन महिला चिकित्सक से यहां काम लिया जाता है।महिला डॉक्टर नही होने से प्रसव पीड़ा सहित अन्य बीमारी से ग्रसित महिला मरीज को डॉक्टर के आने का इंतज़ार करना पड़ता है,या बिना इलाज कराये वापस लौट जाती है।या फिर निजी क्लिनिक की और जाना पड़ता है।इस बाबत समाजसेवी अजय सिंह ने बताया कि इस सदर अस्पताल में सहरसा ही नही सुपौल और मधेपुरा से भी मरीज रैफर होकर आते है।यह कोशी का पीएमसीएच कहा जाता है और इस अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक नही है यह बहुत ही शर्मनाक बात है।सहरसा के नागरिक होते हुए मुझे लगता है कि मैं अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा हू।इस अस्पताल में महिला डॉक्टर नही है और कागजो पर देखेंगे तो हर महीने यहां हजारो मरीज की डिलीवरी होती है।तो यह डिलिवरी कौन करवा रहा है?क्या यह डिलीवरी कागजो पर हो रहा है यह जांच का विषय है।मैं सरकार से मांग करता हूँ कि यहां महिला चिकित्सक के साथ ही रिक्त खाली पदों पर तुरंत बहाली करे।


Conclusion:वही सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह ने भी स्वीकार करते हुए कहा कि यहां इस सदर अस्पताल में महिला डॉ नही है।यहां एक गायनॉलॉजिस्ट है डॉ रविन्द्र मोहन,फिर भी हमलोग महिला डॉ जो अनुमंडलीय अस्पताल सिमरीबख्तियारपुर में पदस्थापित है उनलोगों को एडिशनल ड्यूटी पर लेबर रूम में दिए हुए है।
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