सहरसा: बिहार में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है. सरकारी दावे के बाद भी शव को ढोने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिला. जिले के सदर अस्पताल में परिजन शव को मोटरसाइकिल से पर ढोते नजर आए. इस घटना ने सरकारी महकमे की पोल खोल कर रख दी. शव वाहन नहीं मिलने से परिजन अपने मासूम बच्चे का शव एक जगह से दूसरी जगह ढोते रहे.
दरअसल बनमा इटहरी प्रखंड के सर्वेला निवासी दिलीप ठाकुर पूरे परिवार संग सदर थाने के मत्स्यगंधा में रहते हैं. बीती रात अचानक आंधी में घर का पिलर गिर गया. इसकी चपेट में आने से दस वर्षीय आयुष गंभीर रूप से घायल हो गया. आनन-फानन में उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसकी मौत हो गयी.
अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता
बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता सबके सामने आ गयी. अपने लाल को खो चुके परिजन को अस्पताल प्रबंधन की तरफ से शव वाहन तक उपलब्ध नहीं हुआ. परिजन शव को मोटरसाइकिल से ही थाना ले गए. जहां रिपोर्ट दर्ज कराकर पोस्टमार्टम के लिए शव को अस्पताल लाया. परिजनों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि बच्चे के शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिल पाया. मजबूरन मोटरसाइकिल से शव को ले जाना पड़ा.
'हड़ताल पर हैं एम्बुलेंसकर्मी'
वहीं, सिविल सर्जन डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने बताया कि 102 के एम्बुलेंसकर्मी अभी हड़ताल पर हैं. हालांकि शव वाहन हर अस्पताल में है. अस्पताल प्रबंधन को शव वाहन मुहैया कराना चाहिए था. सिविल सर्जन ने मामले को लेकर जांच की बात कही और दोषी पर कार्रवाई करने का भरोसा भी दिया.
थमने का नाम नहीं ले रही ऐसी घटनाएं
गौरतलब है कि इस तरह का घटनाएं पहली बार नहीं हुई है. एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण कई बार परिजन मृतक के शव को कभी कांधे पर तो कभी साइकिल और मोटरसाइकिल से घर ले जाते रहे हैं. जबकि सरकार की तरफ से सख्त आदेश है कि मृतक के शव को हर हाल में एम्बुलेंस मुहैया कराना है. इसके बाद भी मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करने वाली घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रहीं.