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सहरसा: बाइक पर और हाथों में ढोते रहे मासूम का शव, अस्पताल की ओर से नहीं मिला एम्बुलेंस

मृतक के परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने पोस्टमर्टम कराने के लिए शव वाहन नहीं दिया. किसी तरह शव को मोटरसाइकिल पर लाद कर पोस्टमॉर्टम कराने ले गए परिजन.

शव वाहन नहीं मिलने के कारण खुद शव ले जाते परिजन
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Published : Aug 13, 2019, 5:13 PM IST

सहरसा: बिहार में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है. सरकारी दावे के बाद भी शव को ढोने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिला. जिले के सदर अस्पताल में परिजन शव को मोटरसाइकिल से पर ढोते नजर आए. इस घटना ने सरकारी महकमे की पोल खोल कर रख दी. शव वाहन नहीं मिलने से परिजन अपने मासूम बच्चे का शव एक जगह से दूसरी जगह ढोते रहे.

एम्बुलेंस नहीं मिलने पर शव को मोटरसाइकिल से ढोते परिजन

दरअसल बनमा इटहरी प्रखंड के सर्वेला निवासी दिलीप ठाकुर पूरे परिवार संग सदर थाने के मत्स्यगंधा में रहते हैं. बीती रात अचानक आंधी में घर का पिलर गिर गया. इसकी चपेट में आने से दस वर्षीय आयुष गंभीर रूप से घायल हो गया. आनन-फानन में उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसकी मौत हो गयी.

sarhasa
शव वाहन नहीं मिलने पर शव को ढोते परिजन

अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता
बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता सबके सामने आ गयी. अपने लाल को खो चुके परिजन को अस्पताल प्रबंधन की तरफ से शव वाहन तक उपलब्ध नहीं हुआ. परिजन शव को मोटरसाइकिल से ही थाना ले गए. जहां रिपोर्ट दर्ज कराकर पोस्टमार्टम के लिए शव को अस्पताल लाया. परिजनों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि बच्चे के शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिल पाया. मजबूरन मोटरसाइकिल से शव को ले जाना पड़ा.

lalan prasad singh
सिविल सर्जन डॉ ललन प्रसाद सिंह

'हड़ताल पर हैं एम्बुलेंसकर्मी'
वहीं, सिविल सर्जन डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने बताया कि 102 के एम्बुलेंसकर्मी अभी हड़ताल पर हैं. हालांकि शव वाहन हर अस्पताल में है. अस्पताल प्रबंधन को शव वाहन मुहैया कराना चाहिए था. सिविल सर्जन ने मामले को लेकर जांच की बात कही और दोषी पर कार्रवाई करने का भरोसा भी दिया.

sarhasa
मोटरसाइकिल पर शव लाद कर पोस्टमॉर्टम कराने ले जाते परिजन

थमने का नाम नहीं ले रही ऐसी घटनाएं
गौरतलब है कि इस तरह का घटनाएं पहली बार नहीं हुई है. एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण कई बार परिजन मृतक के शव को कभी कांधे पर तो कभी साइकिल और मोटरसाइकिल से घर ले जाते रहे हैं. जबकि सरकार की तरफ से सख्त आदेश है कि मृतक के शव को हर हाल में एम्बुलेंस मुहैया कराना है. इसके बाद भी मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करने वाली घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रहीं.

सहरसा: बिहार में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है. सरकारी दावे के बाद भी शव को ढोने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिला. जिले के सदर अस्पताल में परिजन शव को मोटरसाइकिल से पर ढोते नजर आए. इस घटना ने सरकारी महकमे की पोल खोल कर रख दी. शव वाहन नहीं मिलने से परिजन अपने मासूम बच्चे का शव एक जगह से दूसरी जगह ढोते रहे.

एम्बुलेंस नहीं मिलने पर शव को मोटरसाइकिल से ढोते परिजन

दरअसल बनमा इटहरी प्रखंड के सर्वेला निवासी दिलीप ठाकुर पूरे परिवार संग सदर थाने के मत्स्यगंधा में रहते हैं. बीती रात अचानक आंधी में घर का पिलर गिर गया. इसकी चपेट में आने से दस वर्षीय आयुष गंभीर रूप से घायल हो गया. आनन-फानन में उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसकी मौत हो गयी.

sarhasa
शव वाहन नहीं मिलने पर शव को ढोते परिजन

अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता
बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता सबके सामने आ गयी. अपने लाल को खो चुके परिजन को अस्पताल प्रबंधन की तरफ से शव वाहन तक उपलब्ध नहीं हुआ. परिजन शव को मोटरसाइकिल से ही थाना ले गए. जहां रिपोर्ट दर्ज कराकर पोस्टमार्टम के लिए शव को अस्पताल लाया. परिजनों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि बच्चे के शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिल पाया. मजबूरन मोटरसाइकिल से शव को ले जाना पड़ा.

lalan prasad singh
सिविल सर्जन डॉ ललन प्रसाद सिंह

'हड़ताल पर हैं एम्बुलेंसकर्मी'
वहीं, सिविल सर्जन डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने बताया कि 102 के एम्बुलेंसकर्मी अभी हड़ताल पर हैं. हालांकि शव वाहन हर अस्पताल में है. अस्पताल प्रबंधन को शव वाहन मुहैया कराना चाहिए था. सिविल सर्जन ने मामले को लेकर जांच की बात कही और दोषी पर कार्रवाई करने का भरोसा भी दिया.

sarhasa
मोटरसाइकिल पर शव लाद कर पोस्टमॉर्टम कराने ले जाते परिजन

थमने का नाम नहीं ले रही ऐसी घटनाएं
गौरतलब है कि इस तरह का घटनाएं पहली बार नहीं हुई है. एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण कई बार परिजन मृतक के शव को कभी कांधे पर तो कभी साइकिल और मोटरसाइकिल से घर ले जाते रहे हैं. जबकि सरकार की तरफ से सख्त आदेश है कि मृतक के शव को हर हाल में एम्बुलेंस मुहैया कराना है. इसके बाद भी मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करने वाली घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रहीं.

Intro:सहरसा... बिहार के सहरसा में मानवता को शर्मशार करने वाली एक घटना सामने आई है।जहाँ की मृत बच्चे के परिजन को अस्पताल प्रबंधन के द्वारा पोस्टमार्टम कराने के लिए शव वाहन नही दिया गया,फिर परिजन ने शव को मोटरसाइकिल पर लाद कर पोस्टमार्टम कराने ले गया।


Body:दरअसल घटना सहरसा सदर थाना क्षेत्र के मत्स्यगंधा के पास मुहल्ला की है जहाँ बनमा इटहरी प्रखंड के सर्वेला निवासी दिलीप ठाकुर अपने परिवार के साथ रहता है, बीती रात अचानक आये आंधी से घर का पिलर गिरने से उनका दस वर्षीय पुत्र आयुष गंभीर रूप से घायल हो गया,जिसे आनन फानन में सदर अस्पताल लाया गया जहाँ उसकी मौत हो गयी।आज सुबह जब पोस्टमार्टम के ले जाना था,तो उसे अस्पताल प्रबंधन के द्वारा शव वाहन भी उपलब्ध नही करवाया गया तत्पश्चात परिजन के द्वारा शव को पहले तो गोद मे उठाया गया फिर मोटरसाइकिल पर लाद कर पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया।वही इस बाबत मृत बच्चे के पिता दिलीप ठाकुर ने बताया कि कल शाम में आंधी में घर का पिलर मेरे बेटे पर गिर गया था,आनन फानन में अस्पताल लाये जहाँ उसकी मौत हो गयी,फिर डॉक्टर साहब बोले थाना ले जाये तो हम एम्बुलेंस मांगे तो उन्होंने कहा की एम्बुलेंस नही है तो मोटरसाइकिल से ही थाना ले गए,फिर हॉस्पिटल आये तो बोला गया कि सुबह में पोस्टमार्टम होगा,रात भर हॉस्पिटल में ही रहे।आज सुबह भी एम्बुलेंस के लिए बोले नही दिया गया तो मोटरसाइकिल से ही पोस्टमार्टम के लिए ले गए।वही इस बाबत सिविल सर्जन डॉ ललन प्रसाद सिंह ने पूछा तो उन्होंने बताया कि एम्बुलेंस का अभी हड़ताल है,लेकिन शव वाहन तो अस्पताल प्रबंधन के द्वारा मुहैया कराना चाहिए था,इसकी जाँच की जायेगी जो भी दोषी होंगे उनपर कारवाई करेंगे।


Conclusion:सच मायने में यह घटना मानवता को शर्मशार करने के लिए काफी है।एक तरफ सुशासन बाबू बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने का डंका पिट रही है वही मोटरसाइकिल पे शव ले जाने वाला दृश्य सुशासन की पोल खोलने के ये काफी है।आखिर में हम इतना जरूर कहेंगे कि यह दृश्य सरकारी इंतजामात और गरीबो को लेकर तरह तरह की दावे करने वाली सरकार और उसके नुमाइंदे की न केवल कलई खोल रही है बल्कि उन्हें कटघरे में भी खड़ी कर रही है।
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