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रोहतास: बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला कर मां दुर्गा को दी विदाई

रोहतास में बंगाली समाज (Bengali Society in Rohtas) की महिलाओं ने मां दुर्गा को नम आखों से विदाई दी है. इस खास मौके पर महिलाओं ने सिंदूर की होली खेलकर खुशी मनाई. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 5, 2022, 7:31 PM IST

सिंदूर की होली
सिंदूर की होली

रोहतास: बिहार के रोहतास में बंगाली समाज की महिलाओं ने आज मां दुर्गा को विदाई (Maa Durga Vidai in Rohtas) दी. इस मौके पर बंगाली समुदाय की महिलाओं ने ढोल-नगाड़े की थाप पर एक दूसरे को सिंदूर लगाते हुए मनमोहक नृत्य भी किया और कहा कि हे मा दुर्गा आप अगले बरस फिर आना.

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रोहतास में सिंदूर खेला: रोहतास स्थित डेहरी के बंगाली आश्रम में मां दुर्गे की प्रतिमा स्थापित की गई थी. वहीं आज विसर्जन के मौके पर बंगाली समाज के लोगों ने मां को विदाई दी. इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला की परंपरा को निभाया. इस खास मौके पर मां दुर्गा को विदाई देते समय सभी श्रद्धालुओं की आंखें नम रही.


"दुर्गा पूजा हम बंगाली समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है. नवरात्र के पांचवें दिन पंडालों में मां विराजमान होती हैं. वह उस दिन मायके आती हैं और दशमी के दिन उनकी विदाई होती है. पिछले दो सालों से कोविड के कारण महापर्व नहीं मना पाए पर इस बार हमलोगों ने खूब एन्जॉय किया और मां से कहा कि हे मां आप अगले बरस फिर आना."-मोना भट्टाचार्य, श्रद्धालु

"दुर्गा पूजा को लेकर इस बार खासा उत्साह रहा, आज मां का विसर्जन है इस मौके पर हम महिलाओं ने सिंदूर खेला किया, क्योंकि यह हमारी परंपरा रही है. साथ ही सिंदूर खेला में एक दूसरे को लाल रंग का सिंदूर लगाया जाता है क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक होता है और मां से कामना की जाती है कि आप हर्ष और उल्लास के साथ अगले बरस फिर आएंगी." -झुमुर भट्टाचार्य, श्रद्धालु

क्या है सिंदूर खेला: बंगाली समाज के लिए दशहरा पर्व खास उत्सव होता है मां दुर्गा की विदाई के मौके पर सुहागिन महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर आशीर्वाद लेती हैं महिलाएं सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श कर उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है. शेर और मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है इस दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को खुश करने के लिए पारंपरिक नृत्य करती हैं. बता दें कि सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक महत्व भी है कहा जाता है कि लगभग साढे 400 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था तभी से यह मान्यता है.

ये भी पढ़ें- पटना गांधी मैदान में पहुंचे कमिश्नर और SSP, रावण दहन स्थल का किया निरीक्षण

रोहतास: बिहार के रोहतास में बंगाली समाज की महिलाओं ने आज मां दुर्गा को विदाई (Maa Durga Vidai in Rohtas) दी. इस मौके पर बंगाली समुदाय की महिलाओं ने ढोल-नगाड़े की थाप पर एक दूसरे को सिंदूर लगाते हुए मनमोहक नृत्य भी किया और कहा कि हे मा दुर्गा आप अगले बरस फिर आना.

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रोहतास में सिंदूर खेला: रोहतास स्थित डेहरी के बंगाली आश्रम में मां दुर्गे की प्रतिमा स्थापित की गई थी. वहीं आज विसर्जन के मौके पर बंगाली समाज के लोगों ने मां को विदाई दी. इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला की परंपरा को निभाया. इस खास मौके पर मां दुर्गा को विदाई देते समय सभी श्रद्धालुओं की आंखें नम रही.


"दुर्गा पूजा हम बंगाली समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है. नवरात्र के पांचवें दिन पंडालों में मां विराजमान होती हैं. वह उस दिन मायके आती हैं और दशमी के दिन उनकी विदाई होती है. पिछले दो सालों से कोविड के कारण महापर्व नहीं मना पाए पर इस बार हमलोगों ने खूब एन्जॉय किया और मां से कहा कि हे मां आप अगले बरस फिर आना."-मोना भट्टाचार्य, श्रद्धालु

"दुर्गा पूजा को लेकर इस बार खासा उत्साह रहा, आज मां का विसर्जन है इस मौके पर हम महिलाओं ने सिंदूर खेला किया, क्योंकि यह हमारी परंपरा रही है. साथ ही सिंदूर खेला में एक दूसरे को लाल रंग का सिंदूर लगाया जाता है क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक होता है और मां से कामना की जाती है कि आप हर्ष और उल्लास के साथ अगले बरस फिर आएंगी." -झुमुर भट्टाचार्य, श्रद्धालु

क्या है सिंदूर खेला: बंगाली समाज के लिए दशहरा पर्व खास उत्सव होता है मां दुर्गा की विदाई के मौके पर सुहागिन महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर आशीर्वाद लेती हैं महिलाएं सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श कर उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है. शेर और मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है इस दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को खुश करने के लिए पारंपरिक नृत्य करती हैं. बता दें कि सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक महत्व भी है कहा जाता है कि लगभग साढे 400 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था तभी से यह मान्यता है.

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