रोहतास: जिला मुख्यालय सासाराम के सदर अस्पताल में स्थित एसएनसीयू विभाग (स्पेशल नियोनेटल केयर यूनिट) के उपकरण खराब होने का मामला सामने आया हैं. बताया जा रहा हैं कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण B13 उपकरण खराब हो गए, जिसके बाद सभी नवजात बच्चों को एसएनसीयू विभाग से बाहर निकाला गया. वहीं, इससे परिजनों में दहशत का माहौल कायम हो गया है. परिजनों ने बच्चों को आनन-फानन में बेहतर इलाज के लिए पास के ही प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराया है.
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से खराब हुए उपकरण
गौरतलब है कि सासाराम सदर अस्पताल में नवजात बच्चों की देखभाल के लिए एसएनसीयू वार्ड बनाया गया था, जहां बच्चों को आईसीयू में रखकर बेहतर इलाज मुहैया कराया जाता था, लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण B13 उपकरण खराब होने से सभी बच्चों को एसएनसीयू से बाहर निकाला गया है. इस दौरान कई बच्चों की हालत भी खराब हो गई. वहीं आनन-फानन में परिजनों ने बच्चों को बेहतर इलाज के लिए पास के ही प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराया है.
अस्पताल में उपकरण खराब होने से परिजनों की बढ़ी मुश्किलें
वहीं, इस घटना के बारे में एक नवजात बच्चे की मां ने बताया कि बीती रात अचानक एसएनसीयू के सभी उपकरण खराब हो गए. जिसके चलते सभी नवजात बच्चों को एसएनसीयू से बाहर निकाला गया. इसके बाद आनन-फानन में बच्चों कि जान बचाने के लिए पास के अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां 5,000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चुकता करना पड़ रहा है.
एसएनसीयू विभाग में कई उपकरण खराब
बता दें कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण एसएनसीयू में चार वार्मर के अलावे ऑक्सिमिटर और 7 सीरीज पंप खराब है. एक के बाद एक उपकरण खराब हो रहे हैं. अब तक एसएनसीयू में करीब 16 उपकरण खराब हो चुके हैं. एसएनसीयू की कई लाइटें भी बंद है. खराब उपकरणों को बनाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने पत्राचार भी किया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. एसएनसीयू में प्रयोग की जाने वाली सभी पांचों प्रकार की दवाएं उपलब्ध है, लेकिन इलाज के लिए आने वाले औसतन 15 फीसद नवजात बच्चों की मौत हो जाती है.
3 महीने में हुई 41 बच्चों की मौत
इस पर घटना पर जानकारी देते हुए एसएनसीयू प्रभारी ने बताया कि विगत जुलाई महीने में 15 बच्चों को भर्ती किया गया था, जिसमें 12 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी.वहीं, सितंबर महीने में 66 नवजात बच्चे भर्ती हुए थे, जिसमें से 12 बच्चों की मौत हो गई थी. जबकि, अगस्त महीने में 57 बच्चों को भर्ती किया गया था, जिसमें से 17 बच्चों की मौत हो गई थी.