सासारामः सासाराम के चंदन पहाड़ी पर मौजूद अशोक के शिलालेख पर मजार (Mazar built on inscription of Ashoka at Sasaram) बनाने के मामला तूल पकड़ रहा है. इस मामले का विरोध जताने शनिवार काे विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी सासाराम पहुंचे. सम्राट अशोक के लघु शिलालेख को मजार बना दिए जाने के विरोध में वे समाहरणालय के समक्ष धरना दिया. उनके साथ भाजपा सांसद सुशील सिंह, एमएलसी संतोष सिंह के अलावे कई नेता और कार्यकर्ता भी धरने पर बैठे रहे. सम्राट चौधरी ने कहा कि चंदन पहाड़ी पर मौजूद अशोक का शिलालेख 23 सौ वर्ष पुराना है और वहां पर कुछ समुदाय के लोगों ने मजार बना लिया है. प्रशासन को सब कुछ पता है, इसके बावजूद जिला प्रशासन अशोक के शिलालेख पर बनी मजार को नहीं हटा रहा है.
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सासाराम के समाहरणालय के समक्ष धरना स्थल ओझा टाउन हॉल के प्रांगण में उन्होंने धरना को संबोधित करते हुए बिहार सरकार पर निशाना साधा. कहा कि बिहार सरकार तुष्टीकरण की नीति को अपनाई हुई है, जिसे जल्द से जल्द खत्म करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि समय रहते अगर जिला प्रशासन सम्राट अशोक के शिलालेख को मुक्त नहीं कराता है तो आगे भी आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने जिलाधिकारी धर्मेन्द्र कुमार को एक ज्ञापन भी सौंपा. उसके बाद उन्होंने बताया कि प्रशासन से उन्हें आश्वासन मिला है कि त्योहार का समय है, ऐसे में आने वाले कुछ समय के अंदर इसे मुक्त करा लिया जाएगा.
"बिहार सरकार तुष्टीकरण की नीति को अपनाई हुई है, जिसे जल्द से जल्द खत्म करने की आवश्यकता है. समय रहते अगर जिला प्रशासन सम्राट अशोक के शिलालेख को मुक्त नहीं कराता है तो आगे भी आंदोलन किया जाएगा"-सम्राट चौधरी, नेता प्रतिपक्ष, विधान परिषद
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शिलालेख को अतिक्रमणमुक्त कराने की मांगः बता दें कि रोहतास की चंदन पहाड़ी ( Inscription Of Emperor Ashoka On Chandan Hill) में स्थित महान मौर्य सम्राट अशोक के ऐतिहासिक शिलालेख पर मजार (Mazar Built On Inscription Of Emperor Ashoka) बना दिया गया है. पूरे देश में अशोक के ऐसे आठ शिलालेख हैं, जिनमें बिहार में केवल एक ही है. इस शिलालेख को चूने से पोत दिया गया है और अब चादर चढ़ाई जाती है. अशोक के लघु शिलालेख को कजरिया बाबा का मजार बता कर उसे एक ताले में बंद कर दिया गया है. सम्राट अशोक के 2300 साल पुराने शिलालेख को अतिक्रमण कर मजार बना दिए जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. स्थानीय बुद्धिजीवियों से लेकर अन्य लोगों ने इसे जल्द से जल्द अतिक्रमणमुक्त कराने की मांग की है.
क्या है विवाद: 2300 साल पहले सम्राट अशोक ने रोहतास के मुख्यालय सासाराम शहर पर एक शिलालेख उत्कीर्ण कराया था. यह शिलालेख पुरानी जीटी रोड और नए बाइपास के मध्य स्थित कैमूर पहाड़ी में अवस्थित है. ब्राह्मी लिपि में सामाजिक और धार्मिक सौहार्द के संदेश लिखे देश में ऐसे मात्र आठ शिलालेख हैं. बिहार में यह एकमात्र शिलालेख है. फिर भी सरकार और शासन के नाक के नीचे 2300 साल पुरानी विरासत को मात्र 20 साल में मिटा दिया गया. इस दौरान जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिख कर बताया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. वर्ष 2008, 2012 और 2018 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुरोध पर अशोक शिलालेख के पास अतिक्रमण हटाने के लिए तत्कालीन DM ने SDM सासाराम को निर्देशित किया था. तत्कालीन एसडीएम ने मरकजी मोहर्रम कमेटी से मजार की चाबी तत्काल प्रशासन को सौंपने का निर्देश भी दिया, लेकिन कमेटी ने आदेश को नहीं माना. आज यहां बड़ी इमारत बन गई है. अब कोई पर्यटक या शोधकर्ता चाहकर भी इस शिलालेख को नहीं देख सकता है क्योंकि यहां एक लोहे की गेट लगवा दी गई है जिसमें ताला लगा रहता है.