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रोहतास: जर्जर पुल से जारी है परिचालन, कभी भी हो सकता है हादसा - administration negligence

जिला मुख्यालय से पचास किलोमीटर नासरीगंज प्रखंड में ब्रिटिश जमाने का बना पुल लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. ब्रिटिशकाल का यह पुल पूरी तरह से जर्जर हो गया है पर लोग अभी भी इसका इस्तेमाल आवाजाही के लिए करते हैं.

जर्जर पुल
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Published : Apr 12, 2019, 11:35 PM IST

रोहतास: जिला मुख्यालय से पचास किलोमीटर नासरीगंज प्रखंड में ब्रिटिश जमाने का बना पुल लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. ब्रिटिशकाल का यह पुल पूरी तरह से जर्जर हो गया है पर लोग अभी भी इसका इस्तेमाल आवाजाही के लिए करते हैं. इससे लोगों के ऊपर हमेशा खतरा बना रहता है.


गौरतलब है कि नासरीगंज और राजपुर प्रखंड को जोड़ने वाला यह ब्रिटिशकाल का पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. इसकी सूचना प्रशासन ने पुल के दोनों छोर पर बैनर लगाकर दे दिया है कि यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. लिहाजा इस पर किसी भी बड़े वाहन का चलना मना है. इतना ही नहीं विभाग के द्वारा इस पर बैरियर तक लगा दिया गया है. बावजूद इसके लोग जान को जोखिम में डालकर पुल से मौत का सफर कर रहे हैं.

स्थानीय लोगों का बयान


बरसात के दिनों में होती है काफी दिक्कत
सबसे अहम सवाल यह है कि महज तीन सौ मीटर की दूरी पर नासरीगंज प्रखंड का ब्लॉक है. जहां प्रशासन के बड़े बड़े अधिकारी बैठा करते हैं. लेकिन इस पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय की दूरी तीन किलोमीटर अधिक हो गई है. लिहाजा गर्मी के दिनों में तो वहां नदी पार करके पहुंचा जा सकता है लेकिन बरसात के दिनों में नदी में पानी भर जाने के कारण वह भी रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है. हालांकि पुल के क्षतिग्रस्त की सूचना प्रशासन ने आला अधिकारियों को तलब कर दिया है. उसके बावजूद पुल की मरम्मत के लिए कोई काम शुरू नहीं किया गया है.


ब्रिटिश शासन काल में ही बना था पुल
लिहाजा इस रास्ते से गुजरने वाले तमाम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. इसमें स्कूली बच्चे से लेकर वैसे तमाम लोग हैं जो रोज इसी मौत के पुल से गुजरते हैं. सिंचाई विभाग के गेज रीडर कर्मी ने बताया कि यह फूल आजादी के पहले ब्रिटिश शासन काल में ही बना था. लिहाजा अधिक दिन हो जाने के बाद यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. इसकी सूचना यहां के तमाम लोगों को भी है. लेकिन इसके बावजूद लोग इसी पुल से जान को जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं.


प्रशासन की लापरवाही
बहरहाल प्रशासन की लापरवाही के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्षतिग्रस्त पुल को प्रशासन क्यों नहीं ठीक करा पा रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है. स्थानीय लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान हो.

रोहतास: जिला मुख्यालय से पचास किलोमीटर नासरीगंज प्रखंड में ब्रिटिश जमाने का बना पुल लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. ब्रिटिशकाल का यह पुल पूरी तरह से जर्जर हो गया है पर लोग अभी भी इसका इस्तेमाल आवाजाही के लिए करते हैं. इससे लोगों के ऊपर हमेशा खतरा बना रहता है.


गौरतलब है कि नासरीगंज और राजपुर प्रखंड को जोड़ने वाला यह ब्रिटिशकाल का पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. इसकी सूचना प्रशासन ने पुल के दोनों छोर पर बैनर लगाकर दे दिया है कि यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. लिहाजा इस पर किसी भी बड़े वाहन का चलना मना है. इतना ही नहीं विभाग के द्वारा इस पर बैरियर तक लगा दिया गया है. बावजूद इसके लोग जान को जोखिम में डालकर पुल से मौत का सफर कर रहे हैं.

स्थानीय लोगों का बयान


बरसात के दिनों में होती है काफी दिक्कत
सबसे अहम सवाल यह है कि महज तीन सौ मीटर की दूरी पर नासरीगंज प्रखंड का ब्लॉक है. जहां प्रशासन के बड़े बड़े अधिकारी बैठा करते हैं. लेकिन इस पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय की दूरी तीन किलोमीटर अधिक हो गई है. लिहाजा गर्मी के दिनों में तो वहां नदी पार करके पहुंचा जा सकता है लेकिन बरसात के दिनों में नदी में पानी भर जाने के कारण वह भी रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है. हालांकि पुल के क्षतिग्रस्त की सूचना प्रशासन ने आला अधिकारियों को तलब कर दिया है. उसके बावजूद पुल की मरम्मत के लिए कोई काम शुरू नहीं किया गया है.


ब्रिटिश शासन काल में ही बना था पुल
लिहाजा इस रास्ते से गुजरने वाले तमाम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. इसमें स्कूली बच्चे से लेकर वैसे तमाम लोग हैं जो रोज इसी मौत के पुल से गुजरते हैं. सिंचाई विभाग के गेज रीडर कर्मी ने बताया कि यह फूल आजादी के पहले ब्रिटिश शासन काल में ही बना था. लिहाजा अधिक दिन हो जाने के बाद यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. इसकी सूचना यहां के तमाम लोगों को भी है. लेकिन इसके बावजूद लोग इसी पुल से जान को जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं.


प्रशासन की लापरवाही
बहरहाल प्रशासन की लापरवाही के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्षतिग्रस्त पुल को प्रशासन क्यों नहीं ठीक करा पा रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है. स्थानीय लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान हो.

Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय से पचास किलोमीटर नासरीगंज प्रखंड में ब्रिटिश जमाने का बना पुल लोगों के लिए जान का दुश्मन बना हुआ है।


Body:गौरतलब है कि नासरीगंज और राजपुर प्रखंड को जोड़ने वाला यह ब्रिटिशकाल का पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। इसकी सूचना प्रशासन के द्वारा पुल के दोनों छोर पर बैनर लगाकर भी बता दिया गया है कि यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। लिहाजा इस पर किसी भी बड़े वाहन का चलना मना है। इतना ही नहीं विभाग के द्वारा इस पर बैरियर तक लगा दिया गया है। उसके बावजूद लोग जान को जोखिम में डालकर पुल से मौत का सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। सबसे आम सवाल यह है कि महज तीन सौ मीटर की दूरी पर नासरीगंज प्रखंड का ब्लॉक है। जहां प्रशासन के बड़े बड़े अधिकारी वहां बैठा करते हैं। लेकिन इस पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय की दूरी तीन किलोमीटर अधिक हो गई है। लिहाजा गर्मी के दिनों में तो वहां नदी पार करके पहुंचा जा सकता है लेकिन बरसात के दिनों में नदी में पानी भर जाने के कारण वह भी रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है। हालांकि पुल के क्षतिग्रस्त की सूचना प्रशासन ने आला अधिकारियों को तलब कर दिया है। उसके बावजूद पुल की मरम्मत के लिए कोई काम शुरू नहीं किया गया है। लिहाजा इस रास्ते से गुजरने वाले तमाम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। इसमें स्कूली बच्चे से लेकर वैसे तमाम लोग हैं जो रोज इसी मौत के फूल से गुजरते हैं। सिंचाई विभाग के गेज रीडर कर्मी ने बताया कि यह फूल आजादी के पहले ब्रिटिश शासन काल में ही बना था। लिहाजा अधिक दिन हो जाने के बाद यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। इसकी सूचना यहां के तमाम लोगों को भी है। लेकिन इसके बावजूद लोग इसी पुल से जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हो रहे हैं।


Conclusion:बहरहाल प्रशासन की लापरवाही के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्षतिग्रस्त पुल को प्रशासन क्यों नहीं ठीक करा पा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है।

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