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रोहतास: महापर्व छठ की तैयारियां शुरू, सोन नदी के तट पर महिलाओं ने सुखाया गेहूं

नहाए खाए के साथ ही कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से ही लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है. इस दिन व्रती नदी स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर छठी मईया की पूजा करते हैं. व्रती के भोजन के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन करते हैं.

सोन नदी के तट पर महिलाओं ने गाया छठी मईया का गीत
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Published : Oct 30, 2019, 10:34 PM IST

रोहतास: लोक आस्था का महापर्व छठ गुरुवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की तैयारियां शुरू हो गई है. सोन नदी के तट पर छठ पर्व की तैयारी को लेकर महिलाएं गेहूं सुखाते हुए छठी मईया के पावन गीत को गया. छठ व्रतियों के अनुसार सोन नदी के पावन पानी से गेहूं को धोकर सुखाने की परंपरा यहां कई वर्षों से चली आ रही है.

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महापर्व छठ की तैयारियां शुरू

'बनी रहती है छठी मईया की कृपा'
छपरा की रहने वाली सोना देवी कहती हैं कि वह कई सालों से छठ व्रत करती आ रही हैं. छठी मईया से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. सोन नदी के पावन तट पर छठ व्रत करना काफी सुखद होता है. उनका कहना है कि सोन नद के तट पर पिछले कई सालों से छठ व्रत करती आ रही हैं. छठी मईया की कृपा हमेशा लोगों पर बनी रहती है. इसलिए वह हर साल छठ व्रत करती हैं.

सोन नदी के तट पर महिलाओं ने गाया छठी मईया का गीत

छठ महापर्व का महत्व
बता दें कि नहाए खाए के साथ ही कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से ही लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है. इस दिन व्रती नदी स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर छठी मईया की पूजा करते हैं. व्रती के भोजन के बाद ही घर के बाकी सदस्य भी भोजन करते हैं. दूसरे दिन पंचमी को खरना पूरे दिन व्रत रखकर किया जाता है. शाम को वृत्ति चावल और गुड़ की खीर ग्रहण करने को खरना कहा जाता है. तीसरे दिन सुबह से ही छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है. जिसमें ठेकुआ विशेष होता है. वहीं अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. जिसके साथ इस महापर्व का समापन होता है.

रोहतास: लोक आस्था का महापर्व छठ गुरुवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की तैयारियां शुरू हो गई है. सोन नदी के तट पर छठ पर्व की तैयारी को लेकर महिलाएं गेहूं सुखाते हुए छठी मईया के पावन गीत को गया. छठ व्रतियों के अनुसार सोन नदी के पावन पानी से गेहूं को धोकर सुखाने की परंपरा यहां कई वर्षों से चली आ रही है.

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महापर्व छठ की तैयारियां शुरू

'बनी रहती है छठी मईया की कृपा'
छपरा की रहने वाली सोना देवी कहती हैं कि वह कई सालों से छठ व्रत करती आ रही हैं. छठी मईया से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. सोन नदी के पावन तट पर छठ व्रत करना काफी सुखद होता है. उनका कहना है कि सोन नद के तट पर पिछले कई सालों से छठ व्रत करती आ रही हैं. छठी मईया की कृपा हमेशा लोगों पर बनी रहती है. इसलिए वह हर साल छठ व्रत करती हैं.

सोन नदी के तट पर महिलाओं ने गाया छठी मईया का गीत

छठ महापर्व का महत्व
बता दें कि नहाए खाए के साथ ही कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से ही लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है. इस दिन व्रती नदी स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर छठी मईया की पूजा करते हैं. व्रती के भोजन के बाद ही घर के बाकी सदस्य भी भोजन करते हैं. दूसरे दिन पंचमी को खरना पूरे दिन व्रत रखकर किया जाता है. शाम को वृत्ति चावल और गुड़ की खीर ग्रहण करने को खरना कहा जाता है. तीसरे दिन सुबह से ही छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है. जिसमें ठेकुआ विशेष होता है. वहीं अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. जिसके साथ इस महापर्व का समापन होता है.

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रोहतास - सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ का आगाज आज से ही शुरू हो गया सोन नदी के तट पर छठ पर्व की तैयारी को लेकर महिलाएं गेहूं को धोकर सुखाते हुए छठी मैया के पावन गीत भी गाते देखी गई छठ व्रतियों के अनुसार सोन नदी के पावन पानी से गेहूं को धो कर सुखाने की परंपरा यहां कई वर्षों से इस इलाके के लोगों के बीच में चली आ रही है



Body:छपरा की रहने वाली महिला सोना देवी कहती हैं कि वह कई सालों से छठ व्रत करती आ रही हैं छठी मैया से मन्नत के बाद ही उनके दो बेटों का जन्म हुआ सोन नद के पावन तट पर छठ व्रत करना काफी सुखद होता है वही स्थानीय महिला सुशीला देवी कहती हैं सोन नद के तट पर पिछले कई सालों से छठ व्रत करती आ रही हैं छठी मइया की कृपा हमेशा उन पर बनी रहती है इसलिए वह हर साल छठ व्रत करती हैं

बताते चलें कि नहाए खाए के साथ ही कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से ही लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है इस दिन व्रती नदी स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर छठ मैया की पूजा करते हैं व्रती के भोजन के बाद ही घर के बाकी सदस्य भी भोजन करते हैं दूसरे दिन पंचमी को खरना पूरे दिन व्रत रखकर किया जाता है शाम को वृत्ति चावल व गुड़ की खीर ग्रहण करने को खरना कहा जाता है तीसरे दिन सुबह से ही छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है जिसमें ठेकुआ विशेष होता है वही अस्तगांव सूर्य को अर्घ देने के बाद उदयीमान सूर्य को अर्घ देने के साथ ही आस्था के इस महापर्व का समापन हो जाता है

बाइट सोना देवी महिला छपरा निवासी
बाइट - सुशीला देवी -स्थानीय



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