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रोहतास में भी मनाया जा रहा पोंगल त्योहार, किया गया प्रसाद का वितरण

पोंगल का त्योहार चार दिनों तक चलता है. पहले दिन को भोगी पोंगल कहते हैं. दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहते हैं. पोंगल के हर दिन लोग अलग-अलग परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है.

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पोंगल प्रसाद का किया गया वितरण
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Published : Jan 10, 2021, 1:48 PM IST

रोहतास: राजपुर प्रखण्ड के अमरपुर गांव स्थित जगन्नाथ मठ पर माता गोदा अम्बा का पोंगल प्रसाद वितरण किया गया. इस दौरान मठ के महंथ द्वारा कोविड-19 को देखते हुए एक बार मे दर्जनों भर समूह बनाकर श्रद्धालुओं को माता का प्रसाद ग्रहण करवाया गया. मठ के महंथ श्री सुदर्शनाचार्य जी महाराज के सानिध्य में इस उत्सव पर धनुर्मास में आगामी 14 जनवरी तक पोंगल प्रसाद वितरण होता रहेगा.

''धनुर्मास में लक्ष्मीस्वरूपा माता गोदांबा भगवान रंगनाथ को पति रूप में प्राप्त करने के लिए व्रतशील रहती हैं. भगवान रंगनाथ का विवाह माता गोदांबा के साथ होता है. 14 जनवरी को माता गोदांबा को दुल्हन रूप में विवाह मंडप में प्रवेश कराया जाएगा. इस मास में पोंगल प्रसाद का अलग महत्व है''.- महंत

पोंगल प्रसाद का किया गया वितरण

पोंगल प्रसाद ग्रहण से होती है मनोकामना पूरी
इस मौके पर संतअंजनी स्वामी ने बताया कि पोंगल प्रसाद ग्रहण करने से चतुर्वेद कामनाओं का पूर्णता होती है. इस प्रसाद को सच्चे दिल से ग्रहण करने पर सारे दुख पीड़ा निवारण हो जाते हैं. हिन्दू धर्म का पोंगल महत्वपूर्ण त्योहार है. इस त्योहार को चार दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन को भोगी पोंगल कहते हैं. दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहते हैं. पोंगल के हर दिन लोग अलग-अलग परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है.

रोहतास: राजपुर प्रखण्ड के अमरपुर गांव स्थित जगन्नाथ मठ पर माता गोदा अम्बा का पोंगल प्रसाद वितरण किया गया. इस दौरान मठ के महंथ द्वारा कोविड-19 को देखते हुए एक बार मे दर्जनों भर समूह बनाकर श्रद्धालुओं को माता का प्रसाद ग्रहण करवाया गया. मठ के महंथ श्री सुदर्शनाचार्य जी महाराज के सानिध्य में इस उत्सव पर धनुर्मास में आगामी 14 जनवरी तक पोंगल प्रसाद वितरण होता रहेगा.

''धनुर्मास में लक्ष्मीस्वरूपा माता गोदांबा भगवान रंगनाथ को पति रूप में प्राप्त करने के लिए व्रतशील रहती हैं. भगवान रंगनाथ का विवाह माता गोदांबा के साथ होता है. 14 जनवरी को माता गोदांबा को दुल्हन रूप में विवाह मंडप में प्रवेश कराया जाएगा. इस मास में पोंगल प्रसाद का अलग महत्व है''.- महंत

पोंगल प्रसाद का किया गया वितरण

पोंगल प्रसाद ग्रहण से होती है मनोकामना पूरी
इस मौके पर संतअंजनी स्वामी ने बताया कि पोंगल प्रसाद ग्रहण करने से चतुर्वेद कामनाओं का पूर्णता होती है. इस प्रसाद को सच्चे दिल से ग्रहण करने पर सारे दुख पीड़ा निवारण हो जाते हैं. हिन्दू धर्म का पोंगल महत्वपूर्ण त्योहार है. इस त्योहार को चार दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन को भोगी पोंगल कहते हैं. दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहते हैं. पोंगल के हर दिन लोग अलग-अलग परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है.

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