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भीषण गर्मी में देसी फ्रिज की बढ़ी मांग, कुम्हारों को नहीं मिल रहा मनमाफिक मुनाफा - Pitcher

भीषण गर्मी के बाद देसी फ्रिज की बढी डिमांड से दुकानदारों को काफी मुनाफा हो रहा है. लेकिन कुम्हारों को अपने मनमाफिक फायदा नहीं हो पा रहा.

भीषण गर्मी के बाद देसी फ्रिज की बड़ी डिमांड
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Published : May 9, 2019, 11:34 PM IST

रोहतास: जिले में लगातार भीषण गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जिससे आम लोगों की मुसीबतें बढ़ गई है. लिहाजा बढ़ती गर्मी ने देसी फ्रिज की मांग मार्केट में काफी बढ़ा दी है.

घड़े कि बढ़ी मांग
सूबे में दिन चढ़ते ही पारा 44 डिग्री के पार पहुंच रहा है. आसमान से आग बरस रही है. ऐसे में मिट्टी के घड़े कि मांग बढ़ी हुई है. विक्रेता ने बताया कि गर्मी पड़ने के बाद इसकी मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है. बाजार में 200 से लेकर ढाई सौ रुपए तक के घड़े बाजार में उपलब्ध है.

गर्मियों में राहत का सबब
घड़ें में रखा पानी लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाता. कई घरों में बुजुर्ग फ्रिज का पानी नहीं पी पाते हैं. उनके लिए घड़े का पानी इन गर्मियों में राहत का सबब बनता है. यही कारण है कि हर तबके के लोग देसी फ्रिज खरीदने पहुंच रहे हैं.

भीषण गर्मी के बाद देसी फ्रिज की बड़ी डिमांड

मनमाफिक मुनाफा नहीं
हालांकि घड़ों की मांग बढ़ने के बावजूद इन्हें बनाने वाले कुम्हारों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है. स्थानीय कुम्हार का कहना है कि महीने में महज़ दो तीन हज़ार की ही बचत हो पाती है. साथ ही मिट्टी की कमी के कारण मिट्टी खरीद कर लाने में भी काफी पैसे लग जाते हैं. इनसब के बावूजद जितनी मेहनत और पूंजी लगायी जाती है उस हिसाब से कमाई नहीं हो पाती.

रोहतास: जिले में लगातार भीषण गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जिससे आम लोगों की मुसीबतें बढ़ गई है. लिहाजा बढ़ती गर्मी ने देसी फ्रिज की मांग मार्केट में काफी बढ़ा दी है.

घड़े कि बढ़ी मांग
सूबे में दिन चढ़ते ही पारा 44 डिग्री के पार पहुंच रहा है. आसमान से आग बरस रही है. ऐसे में मिट्टी के घड़े कि मांग बढ़ी हुई है. विक्रेता ने बताया कि गर्मी पड़ने के बाद इसकी मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है. बाजार में 200 से लेकर ढाई सौ रुपए तक के घड़े बाजार में उपलब्ध है.

गर्मियों में राहत का सबब
घड़ें में रखा पानी लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाता. कई घरों में बुजुर्ग फ्रिज का पानी नहीं पी पाते हैं. उनके लिए घड़े का पानी इन गर्मियों में राहत का सबब बनता है. यही कारण है कि हर तबके के लोग देसी फ्रिज खरीदने पहुंच रहे हैं.

भीषण गर्मी के बाद देसी फ्रिज की बड़ी डिमांड

मनमाफिक मुनाफा नहीं
हालांकि घड़ों की मांग बढ़ने के बावजूद इन्हें बनाने वाले कुम्हारों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है. स्थानीय कुम्हार का कहना है कि महीने में महज़ दो तीन हज़ार की ही बचत हो पाती है. साथ ही मिट्टी की कमी के कारण मिट्टी खरीद कर लाने में भी काफी पैसे लग जाते हैं. इनसब के बावूजद जितनी मेहनत और पूंजी लगायी जाती है उस हिसाब से कमाई नहीं हो पाती.

Intro:रोहतास। जिले में लगातार भीषण गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिससे आम लोगों की मुसीबतें बढ़ गई है। लिहाज़ा बढ़ती गर्मी ने देसी फ्रिज की डिमांड मार्केट में काफी बढ़ा दी है।


Body:गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से बिहार समेत रोहतास में भीषण गर्मी ने अपनी दस्तक दे रखी है। लिहाज़ा आम लोगों को इससे खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह होते ही गर्म हवाओं के थपेड़ों से लोगों का रोड पर निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में दिन चढ़ते चढ़ते पारा तकरीबन 44 डिग्री के पार पहुंच जा रहा है। ऐसे में लोगों के लिए गर्मी किसी मुसीबत से कम नहीं है। वहीं बढ़ती गर्मी को देखते हुए बाजार में देसी फ्रिज की डिमांड भी काफी बढ़ गई है। लिहाज़ा मिट्टी के घड़े कि डिमांड इतनी काफी बढ़ गई है कि लोग खुद आकर खरीद रहे हैं। एक दुकानदार ने बताया कि गर्मी पड़ने के बाद इसकी मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है। जहां 200 से लेकर ढाई सौ रुपए तक का घड़ा बाजार में उपलब्ध है। गौरतलब है कि जहां एक तरफ आम लोगों के बीच फ्रिज का क्रेज़ बढ़ने के बाद भी देसी फ्रिज की डिमांड काफी बढ़ गई है। क्योंकि इसमें रखा हुआ पानी लोगों को नुकसान नहीं करता है। बूढ़े हो या बच्चे सभी इस देसी घड़े का मजा गर्मी के दिनों में उठाया करते हैं। वह गर्मी आते ही बिजली की ऑंखमचोलियों से लोगों के घरों का फ्रिज उतना काम नहीं करता है जितना लोगों को उम्मीद होती है। जाहिर है फ्रिज काम नहीं करने के बाद देसी घड़ा ही लोगों को गले का तरावत देता है। वहीं दुकानदार ने बताया कि देसी फ्रिज की डिमांड काफी अधिक बढ़ गई है इससे अच्छा मुनाफा भी कमाया जा रहा है। क्योंकि यहां गरीब से लेकर अमीर परिवार तक देसी फ्रिज खरीदने पहुंच रहे हैं। क्यों देसी फ्रिज का पानी काफी ठंडा होता है जो किसी फ्रिज से कम नहीं होता है। लेकिन देसी फ्रिज की मांग बढ़ने के बावजूद कुम्हार को इसका भरपूर फायदा नहीं मिल रहा है। मिट्टी का कारोबार करने वाले एक कुम्हार ने बताया कि उनके परिवार में पांच सदस्य है। जिनका पालन पोषड इस से चलता है लेकिन महीने में बचत महज़ दो तीन हज़ार का ही कर पाते है। वहीं इसी कारोबार से जुड़ी एक महिला ने बताया कि मिट्टी की काफी कमी हो गई है लिहाज़ा मिट्टी खरीद कर लाने में काफी पैसा लगता है उसके बाद माल तैयार किया जाता है। इनसब के बावूजद जितनी मेहनत और पूंजी लगाया जाता है उसके हिसाब से कमाई नहीं हो पाती है।


Conclusion:बहरहाल भीषण गर्मी ने दुकानदारों के लिए राहत की सांस लेने का मौका दे दिया है। क्योंकि घड़े की बढ़ती डिमांड ने दुकानदार को काफी फायदा हो रहा है। लेकिन डिमांड बढ़ने के बावजूद कुम्हार को इसका अधिक फायदा नहीं मिल पाता है इसकी मुख्य वजह है कि मिट्टी की कमी के कारण उन्हें मिट्टी खरीदना पड़ता है। बाइट। दुकानदार
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