रोहतास: बिहार के रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी पर स्थित वन क्षेत्र को 'टाइगर रिजर्व' घोषित किए जाने के प्रयास का स्थानीय विधायक तथा बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम ने विरोध किया है. मंत्री का मानना है कि टाइगर रिजर्व बन जाने से जनजाति लोगों को परेशानी होगी. मंत्री ने जिलाधिकारी से भी इसको लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है.
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टाइगर अभयारण्य घोषित नहीं किया जाना चाहिएः चर्चा है कि वन विभाग के उच्च अधिकारियों की बैठक हुई. जिसमें रोहतास तथा कैमूर जिला के अधीन वन क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित किया जाने पर चर्चा हुई थी. मंत्री ने बताया कि यह उनका विधानसभा क्षेत्र है और इलाके के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं. ऐसे में स्थानीय वनवासियों की समस्याओं से वह अधिकारियों को अवगत करा दिए हैं. इसलिए इलाके के जंगल को किसी हाल में टाइगर अभयारण्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए.
"जंगलों में सैकड़ों वर्षों से कई जनजाति वर्ग निवास करते हैं. टाइगर अभ्यारण्य घोषित कर दिए जाने के बाद जनजातीय लोगों की जिंदगी तबाह हो जाएगी, क्योंकि पहले से ही पहाड़ के ऊपर बसने वाले लोगों को वन विभाग के कई कानूनों से जीना मुश्किल हो गया है"- मुरारी प्रसाद गौतम, पंचायती राज मंत्री
टाइगर रिजर्व क्षेत्र बन जाएगाः गौरतलब है कि वन विभाग के द्वारा निर्धारित कोर और बफर जोन के निरीक्षण में एनटीसीए की टीम विगत माह पहले यहां पहुंची थी. 3 दिनों तक क्षेत्र का सर्वे करने के बाद टीम ने अपनी स्वीकृति विभाग को सौंप दी है. बता दें कि रोहतास कैमूर पहाड़ी पर टाइगर रिजर्व कॉरिडोर के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की दो सदस्य टीम ने इसके निर्माण पर सहमति जता दी है. वहीं बताया जाता है कि बिहार का दूसरा तथा देश का 54 वां टाइगर रिजर्व क्षेत्र बन जाएगा.