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रोहतास: ट्रकों में भरकर लौट रहे मजदूरों के मार्मिक दृश्य आ रहे सामने - Laborers coming from Maharashtra

छोटे-छोटे बच्चों को लेकर मजदूर महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली से मजबूरी में लौट रहे हैं. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग मानो हवा हो गई हो. जैसे-तैसे लोग ट्रकों में बैठ कर घर पहुंच रहे हैं.

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Published : May 16, 2020, 11:08 PM IST

Updated : May 18, 2020, 2:24 PM IST

रोहतास: लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूर काफी मुश्किलों का सामना करते हुए अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं. रोहतास में नेशनल हाईवे पर ऐसी ही एक तस्वीर दिखी जहां लोग कंटेनर्स में भर कर लौट रहे थे.

श्रमिकों ने बताया कि वापस आने का और कोई साधन नहीं मिला तो उन्होंने कंटेनर को किराए पर लिया और उसमें लदकर किसी तरह मुंबई से वापस लौटे हैं. मजदूर कहते हैं कि एक बार घर पहुंच गए तो दो टाइम भोजन तो जरूर मिल जाएगा.

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मजबूर मजदूर
छोटे-छोटे बच्चों को लेकर ये लोग महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली से मजबूरी में लौट रहे हैं. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग मानो हवा हो गई हो. मजदूरों का कहना है कि फैक्ट्री बंद हो गये, काम बंद हो गए, जो जमा पूंजी थी डेढ़ महीने में वह भी खत्म हो गया. जब मकान का किराया देने का भी पैसा नहीं बचा तो घर लौटने के अलावा कोई चारा न था.

देखें रिपोर्ट

कोई चेकिंग नहीं
बहरहाल बड़ी बात ये है कि इन लोगों की कहीं कोई चेकिंग नहीं हो रही है. न प्रदेश की सीमाओं पर और न ही जिलों के सीमाओं पर. हर रोज हजारों प्रवासी श्रमिक बिना रोकटोक आ रहे हैं. इन लोगों को क्वॉरेंटाइन करने की भी कोई प्रक्रिया नहीं है. इस संबंध में प्रशासन के लोगों का कहना है कि सरकार हर संभव उपाय कर रही है, ताकि प्रवासी श्रमिकों को कोई परेशानी न हो.

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मजदूर.

रोहतास: लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूर काफी मुश्किलों का सामना करते हुए अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं. रोहतास में नेशनल हाईवे पर ऐसी ही एक तस्वीर दिखी जहां लोग कंटेनर्स में भर कर लौट रहे थे.

श्रमिकों ने बताया कि वापस आने का और कोई साधन नहीं मिला तो उन्होंने कंटेनर को किराए पर लिया और उसमें लदकर किसी तरह मुंबई से वापस लौटे हैं. मजदूर कहते हैं कि एक बार घर पहुंच गए तो दो टाइम भोजन तो जरूर मिल जाएगा.

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मजबूर मजदूर
छोटे-छोटे बच्चों को लेकर ये लोग महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली से मजबूरी में लौट रहे हैं. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग मानो हवा हो गई हो. मजदूरों का कहना है कि फैक्ट्री बंद हो गये, काम बंद हो गए, जो जमा पूंजी थी डेढ़ महीने में वह भी खत्म हो गया. जब मकान का किराया देने का भी पैसा नहीं बचा तो घर लौटने के अलावा कोई चारा न था.

देखें रिपोर्ट

कोई चेकिंग नहीं
बहरहाल बड़ी बात ये है कि इन लोगों की कहीं कोई चेकिंग नहीं हो रही है. न प्रदेश की सीमाओं पर और न ही जिलों के सीमाओं पर. हर रोज हजारों प्रवासी श्रमिक बिना रोकटोक आ रहे हैं. इन लोगों को क्वॉरेंटाइन करने की भी कोई प्रक्रिया नहीं है. इस संबंध में प्रशासन के लोगों का कहना है कि सरकार हर संभव उपाय कर रही है, ताकि प्रवासी श्रमिकों को कोई परेशानी न हो.

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मजदूर.
Last Updated : May 18, 2020, 2:24 PM IST
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