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RSS के लोग संविधान के सबसे बड़े दुश्मन- सुभाषिणी अली सहगल - अल्पसंख्यक अधिकार मंच बिहार राज्य स्तरीय सम्मेलन

पूर्व सांसद के मुताबिक वर्तमान में देश का संविधान खतरे में है. क्योंकि सता में आरएसएस विचारधारा के लोग हैं. जो संविधान दिवस मनाने का ढोंग करते हैं, जबकि आरएसएस संविधान के बजाए मनु स्मृति को मानती है.

SUBHASHINI
पूर्व सांसद कुमारी सुभाषिणी अली सहगल
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Published : Nov 29, 2019, 7:41 PM IST

सासारामः माकपा की पूर्व सांसद कुमारी सुभाषणी अली सहगल जिला मुख्यालय पहुंचीं. जहां, सासाराम के ओझा टाउन हॉल में अल्पसंख्यक अधिकार मंच बिहार राज्य स्तरीय सम्मेलन में शिरकत की. इस दौरान पूर्व सांसद ने संविधान दिवस को लेकर आरएसएस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आरएसएस विचारधारा के लोग संविधान दिवस मनाने का ढोंग करते हैं.

संविधान दिवस को लेकर पूर्व सांसद कुमारी सुभाषणी अली सहगल ने आरएसएस और केंद्र सरकार पर तीखी टिप्पणी की. ईटीवी से भारत से बात करते हुए सहगल ने कहा कि आरआरएस के लोग संविधान के दुश्मन हैं. क्योंकि संविधान लागू होने के समय आरआरएस के लोगों ने मानने से साफ इनकार कर दिया था. पूर्व सांसद ने कहा कि आरएसएस के लोग देश की संविधान की जगह मनुस्मृति को मानते हैं.

sasaram
अल्पसंख्यक अधिकार मंच की बैठक में शिरकत करते अतिथि

'धर्म के नाम पर लोगों को डराया जा रहा'
सुभाषिणी अली सहगल ने कहा कि पिछले दिनों देश में संविधान दिवस को लेकर दिखावा किया गया. जो चिंता करने वाली बात है. पूर्व सांसद के मुताबिक वर्तमान समय में संविधान और संवैधानिक दर्जा पर केंद्र सरकार की तरफ से जबरदस्त हमला किया जा रहा है. माकपा नेत्री ने कहा कि इस समय देश में धर्मनिरपेक्ष और समानता खतरे में है. सहगल ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार धर्म के नाम पर लोगों को डरा धमका रही है.

ईटीवी भारत से बातचीत करती पूर्व सांसद

'सरकार के रवैये से खतरे में संविधान'
वहीं, जेएनयू में फीस बढ़ोतरी मामले पर पूर्व सांसद ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. माकपा नेत्री ने कहा कि जेएनयू के छात्र संवैधानिक तरीके से मांगों को लेकर सड़क पर उतरे थे. लेकिन उन पर लाठियां बरसायी गई. पूर्व सांसद ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के रवैए से संविधान खतरे में है. दूसरी तरफ आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान निर्माण के समय ही गोलवलकर ने मानने से इंकार कर दिया था.

यह भी पढ़ेंः JDU सांसद ने संसद में कहा- निचले तबके तक नहीं मिल रहा है आयुष्मान भारत योजना का लाभ

अल्पसंख्यक के साथ खड़ा होना जरुरी- सुभाषणी
पूर्व सांसद के मुताबिक सता में बैठे आरएसएस के विचारधारा के लोग संविधान दिवस मनाने का ढोंग कर रहे हैं. बहरहाल केंद्र सरकार के रवैए को लेकर और आरएसएस की नीति को लेकर पूर्व सांसद ने जमकर निशाना साधा. वहीं यह भी कहा कि इस समय अल्पसंख्यक बुरे दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में अब अल्पसंख्यक के साथ खड़ा होना जरूरी है.

सासारामः माकपा की पूर्व सांसद कुमारी सुभाषणी अली सहगल जिला मुख्यालय पहुंचीं. जहां, सासाराम के ओझा टाउन हॉल में अल्पसंख्यक अधिकार मंच बिहार राज्य स्तरीय सम्मेलन में शिरकत की. इस दौरान पूर्व सांसद ने संविधान दिवस को लेकर आरएसएस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आरएसएस विचारधारा के लोग संविधान दिवस मनाने का ढोंग करते हैं.

संविधान दिवस को लेकर पूर्व सांसद कुमारी सुभाषणी अली सहगल ने आरएसएस और केंद्र सरकार पर तीखी टिप्पणी की. ईटीवी से भारत से बात करते हुए सहगल ने कहा कि आरआरएस के लोग संविधान के दुश्मन हैं. क्योंकि संविधान लागू होने के समय आरआरएस के लोगों ने मानने से साफ इनकार कर दिया था. पूर्व सांसद ने कहा कि आरएसएस के लोग देश की संविधान की जगह मनुस्मृति को मानते हैं.

sasaram
अल्पसंख्यक अधिकार मंच की बैठक में शिरकत करते अतिथि

'धर्म के नाम पर लोगों को डराया जा रहा'
सुभाषिणी अली सहगल ने कहा कि पिछले दिनों देश में संविधान दिवस को लेकर दिखावा किया गया. जो चिंता करने वाली बात है. पूर्व सांसद के मुताबिक वर्तमान समय में संविधान और संवैधानिक दर्जा पर केंद्र सरकार की तरफ से जबरदस्त हमला किया जा रहा है. माकपा नेत्री ने कहा कि इस समय देश में धर्मनिरपेक्ष और समानता खतरे में है. सहगल ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार धर्म के नाम पर लोगों को डरा धमका रही है.

ईटीवी भारत से बातचीत करती पूर्व सांसद

'सरकार के रवैये से खतरे में संविधान'
वहीं, जेएनयू में फीस बढ़ोतरी मामले पर पूर्व सांसद ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. माकपा नेत्री ने कहा कि जेएनयू के छात्र संवैधानिक तरीके से मांगों को लेकर सड़क पर उतरे थे. लेकिन उन पर लाठियां बरसायी गई. पूर्व सांसद ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के रवैए से संविधान खतरे में है. दूसरी तरफ आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान निर्माण के समय ही गोलवलकर ने मानने से इंकार कर दिया था.

यह भी पढ़ेंः JDU सांसद ने संसद में कहा- निचले तबके तक नहीं मिल रहा है आयुष्मान भारत योजना का लाभ

अल्पसंख्यक के साथ खड़ा होना जरुरी- सुभाषणी
पूर्व सांसद के मुताबिक सता में बैठे आरएसएस के विचारधारा के लोग संविधान दिवस मनाने का ढोंग कर रहे हैं. बहरहाल केंद्र सरकार के रवैए को लेकर और आरएसएस की नीति को लेकर पूर्व सांसद ने जमकर निशाना साधा. वहीं यह भी कहा कि इस समय अल्पसंख्यक बुरे दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में अब अल्पसंख्यक के साथ खड़ा होना जरूरी है.

Intro:रोहतास।जिला मुख्यालय सासाराम पहुंची माकपा पोलिट ब्यूरो की पूर्व सांसद कुमारी सुभाषणी अली सहगल ने संविधान दिवस को लेकर आरएसएस पर जमकर निशाना साधा।


Body:गौरतलब है कि सासाराम के ओझा टाउन हॉल में अल्पसंख्यक अधिकार मंच बिहार राज्य स्तरीय सम्मेलन में शिरकत करने के लिए माकपा पोलिट ब्यूरो के पूर्व सांसद कुमारी सुभाषणी अली सहगल पहुंची थी। जहां उन्होंने पिछले दिनों हुए संविधान दिवस को लेकर आरएसएस और केंद्र सरकार पर जमकर तीखी टिप्पणी की। वही ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा किस संविधान के असल दुश्मन आरएसएस के लोग ही है। क्योंकि संविधान लागू होने के बाद संविधान को मानने से इंकार करने वालो आरएसएस के ही लोग थे। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि आरएसएस वाले मनुस्मृति को मानते हैं। ऐसे में पिछले दिनों देश में संविधान दिवस को लेकर जो दिखावा किया जा रहा था वह चिंता करने वाली बात है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में संविधान और संवैधानिक दर्जा पर इस वक्त केंद्र सरकार की तरफ से जबरदस्त हमला किया जा रहा है। वहीं पूर्व सांसद ने कहा कि इस वक्त संविधान में जो सबसे अहम चीज बताई गई गई है जो धर्मनिरपेक्ष और समानता वो खतरे में है। केंद्र सरकार धर्म के नाम पर लोगों को डरा धमका रही है। वहीं पूर्व सांसद ने पिछले दिनों देश के सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जेएनयू में छात्रों के द्वारा फीस बढ़ोतरी को लेकर अनशन किए जाने के सवाल पर भी केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि जेएनयू के छात्र संवैधानिक तरीके से अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे थे। लेकिन सरकार ने उन पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। जाहिर है केंद्र सरकार के इस रवैए से संविधान और संवैधानिक दर्जा खतरे में पड़ गया है। उन्होंने r.s.s. पर निशाना साधते हुए कहा कि गोलवलकर ने उसी समय कह दिया था कि हम इस संविधान को नहीं मानते हैं। हम एक ही संविधान मनु स्मृति को मानते हैं अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जिस आरएसएस के विचारधारा वाले लोग सत्ता में बैठे हैं वह संविधान दिवस मनाने का ढोंग रच रहे हैं।


Conclusion:बहरहाल केंद्र सरकार के रवैए को लेकर और आरएसएस की नीति को लेकर पूर्व सांसद ने जमकर निशाना साधा तो वही अल्पसंख्यकों को लुभाने को लेकर जब सवाल जब किया गया तो उन्होंने कहा कि इस वक्त अल्पसंख्यक भी बुरे दौर से गुजर रहा है। ऐसे में अब संख्या के साथ खड़ा होना जरूरी है।

बाइट। पूर्व सांसद कुमारी सुभाषणी अली सहगल
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