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रोहतास : बदहाली का आंसू बहा रहा है आईटीआई कॉलेज, नदारद हैं छात्र और शिक्षक

कॉलेज के अंदर बिजली की खासी परेशानी है. लिहाजा बच्चों को प्रैक्टिकल कराना मुश्किल हो जाता है. जिसके कारण बच्चे समय से पहले ही घर चले जाते हैं.

आईटीआई डेहरी
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Published : May 20, 2019, 9:24 AM IST

रोहतास: जिले का सबसे पुराना आईटीआई कॉलेज इन दिनों बदहाली का आंसू बहा रहा है. इसकी परवाह ना तो कॉलेज प्रशासन को है और ना ही सरकार को है. गौरतलब है कि रोहतास जिले का सबसे पुराना आईटीआई डेहरी में स्थापित है. बताया जाता है कि यह आईटीआई कॉलेज ब्रिटिश कालीन जमाने का बना हुआ है. यहां से ही देश के कई होनहार एवं स्किल्ड लोगों को ट्रेनिंग मिली है.

आज इस आईटीआई कॉलेज में एक साथ चार कॉलेज चलते हैं. जिसमें महिला आईटीआई कॉलेज के अलावे कई और आईटीआई कॉलेज शामिल हैं. लिहाजा बच्चों की संख्या अधिक होने के बावजूद भी इस कॉलेज में बच्चे नदारद दिखते हैं.

rohtas
कबाड़ की तरह पड़ी मशीन

मशीनें बनी कबाड़
एक तरफ सरकार स्किल इंडिया जैसी योजनाओं को लाकर देश के नौजवानों को स्किल्ड बनाना चाहते हैं. तो वहीं, सरकार की अनदेखी के कारण आज सरकारी आईटीआई कॉलेज में बच्चे ज्ञान से दूर हैं. इस आईटीआई कॉलेज में करोड़ों रुपए की मशीनें कबाड़े के भाव में पड़ी हैं. लेकिन, इसकी परवाह किसी को नहीं है.

आईटीआई कॉलेज की स्थिति

मौजूद हैं आधुनिक मशीनें लेकिन सिखाने वाला कोई नहीं
इन तमाम समस्याओं के बाबत जब आईटीआई के प्रभारी से पूछा तो उन्होंने कहा कॉलेज के अंदर बिजली की खासी परेशानी है. लिहाजा बच्चों को प्रैक्टिकल कराना मुश्किल हो जाता है. जिसके कारण बच्चे समय से पहले ही घर चले जाते हैं. इस सरकारी कॉलेज में टर्नर ट्रेड का सीएनसी मशीन भी मौजूद है ताकि बच्चों को सीएनसी जैसे आधुनिक मशीनों की ट्रेनिंग दी जा सके. लेकिन, अफसोस इस सरकारी आईटीआई में एक भी ऐसे इंस्ट्रक्टर नहीं है जो सीएनसी मशीन की ट्रेनिंग बच्चों को दे सकें. ऐसे में सीएनसी मशीन रहने के बावजूद भी उसे उपयोग में नहीं लाया जा रहा है. जिससे वह मशीन वर्कशॉप की शोभा बनकर पड़ी हुई है.

लाइट नहीं होने के कारण जल्दी घर चले जाते हैं बच्चे
जब फिटर ट्रेड के शिक्षक से पूछा गया कि बच्चे कॉलेज में क्यों नहीं दिख रहे हैं तो उन्होंने कहा कि बच्चे आए थे. लेकिन, बिजली नहीं रहने के वजह से चले गए. जाहिर है शिक्षकों की लापरवाही के वजह से ही बच्चों का भविष्य अंधकार होता दिख रहा है.

रोहतास: जिले का सबसे पुराना आईटीआई कॉलेज इन दिनों बदहाली का आंसू बहा रहा है. इसकी परवाह ना तो कॉलेज प्रशासन को है और ना ही सरकार को है. गौरतलब है कि रोहतास जिले का सबसे पुराना आईटीआई डेहरी में स्थापित है. बताया जाता है कि यह आईटीआई कॉलेज ब्रिटिश कालीन जमाने का बना हुआ है. यहां से ही देश के कई होनहार एवं स्किल्ड लोगों को ट्रेनिंग मिली है.

आज इस आईटीआई कॉलेज में एक साथ चार कॉलेज चलते हैं. जिसमें महिला आईटीआई कॉलेज के अलावे कई और आईटीआई कॉलेज शामिल हैं. लिहाजा बच्चों की संख्या अधिक होने के बावजूद भी इस कॉलेज में बच्चे नदारद दिखते हैं.

rohtas
कबाड़ की तरह पड़ी मशीन

मशीनें बनी कबाड़
एक तरफ सरकार स्किल इंडिया जैसी योजनाओं को लाकर देश के नौजवानों को स्किल्ड बनाना चाहते हैं. तो वहीं, सरकार की अनदेखी के कारण आज सरकारी आईटीआई कॉलेज में बच्चे ज्ञान से दूर हैं. इस आईटीआई कॉलेज में करोड़ों रुपए की मशीनें कबाड़े के भाव में पड़ी हैं. लेकिन, इसकी परवाह किसी को नहीं है.

आईटीआई कॉलेज की स्थिति

मौजूद हैं आधुनिक मशीनें लेकिन सिखाने वाला कोई नहीं
इन तमाम समस्याओं के बाबत जब आईटीआई के प्रभारी से पूछा तो उन्होंने कहा कॉलेज के अंदर बिजली की खासी परेशानी है. लिहाजा बच्चों को प्रैक्टिकल कराना मुश्किल हो जाता है. जिसके कारण बच्चे समय से पहले ही घर चले जाते हैं. इस सरकारी कॉलेज में टर्नर ट्रेड का सीएनसी मशीन भी मौजूद है ताकि बच्चों को सीएनसी जैसे आधुनिक मशीनों की ट्रेनिंग दी जा सके. लेकिन, अफसोस इस सरकारी आईटीआई में एक भी ऐसे इंस्ट्रक्टर नहीं है जो सीएनसी मशीन की ट्रेनिंग बच्चों को दे सकें. ऐसे में सीएनसी मशीन रहने के बावजूद भी उसे उपयोग में नहीं लाया जा रहा है. जिससे वह मशीन वर्कशॉप की शोभा बनकर पड़ी हुई है.

लाइट नहीं होने के कारण जल्दी घर चले जाते हैं बच्चे
जब फिटर ट्रेड के शिक्षक से पूछा गया कि बच्चे कॉलेज में क्यों नहीं दिख रहे हैं तो उन्होंने कहा कि बच्चे आए थे. लेकिन, बिजली नहीं रहने के वजह से चले गए. जाहिर है शिक्षकों की लापरवाही के वजह से ही बच्चों का भविष्य अंधकार होता दिख रहा है.

Intro:रोहतास। जिले का सबसे पुराना आईटीआई कॉलेज इन दिनों बदहाली का आंसू बहा रहा है। लेकिन इसकी परवाह ना तो कॉलेज प्रशासन को है और ना ही सरकार को है।


Body:गौरतलब है कि रोहतास जिले का सबसे पुराना आईटीआई डेहरी में स्थापित है। बताया जाता है कि यह आईटीआई कॉलेज ब्रिटिश कालीन जमाने का बना हुआ है। यहां से ही देश के कई होनहार एवं स्किल्ड लोगों को ट्रेनिंग मिली है। लेकिन बदलते वक्त ने इस आईटीआई कॉलेज को अतीत के पन्ने में लाकर खड़ा कर दिया है। क्योंकि इस आईटीआई में एक ही छत्रछाया के नीचे चार कॉलेजे चलती है। जिसमे महिला आइटीआइ कॉलेज के अलावे कई और आईटीआई कॉलेज संचालित होती है। लिहाजा बच्चों की संख्या अधिक होने के बावजूद भी इस कॉलेज में बच्चे नदारद दिखते हैं। बहरहाल एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्किल इंडिया जैसे योजनाओं को चलाकर देश के नौजवानों को स्किल्ड बनाना चाहते हैं तो वहीं सरकार की अनदेखी के कारण आज गवर्नमेंट आईटीआई कॉलेज में बच्चे स्किल्ड से मजरूम होते दिख रहे हैं। इस आईटीआई कॉलेज में करोड़ों रुपए की मशीनें कबाड़े के भाव में आपको दिख जाएगी। लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं है। सबसे अहम सवाल यह है कि जब एक ही साथ चार कॉलेज के बच्चे एक ही छत्रछाया के नीचे पढ़ाई करते हैं तो जाहिर है बच्चों की तादाद दिखनी चाहिए। लेकिन जब हमारी ईटीवी की टीम इस सरकारी आईटीआई कॉलेज में पहुंची तो एक भी बच्चे दिखाई नहीं दिए। इसकी पड़ताल करने हम आईटीआई के प्रभारी के पास जा पहुंचे तो उन्होंने कहा कॉलेज के अंदर बिजली की खासी परेशानी है। लिहाजा बच्चों को प्रैक्टिकल कराना मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण बच्चे समय से पहले ही घर चले जाते हैं। जाहिर है इस कॉलेज में टर्नर ट्रेड का सीएनसी मशीन भी लाकर रखा गया है ताकि बच्चों को सीएनसी जैसे आधुनिक मशीनों की ट्रेनिंग दी जा सके। लेकिन अफसोस इस सरकारी आईटीआई में एक भी ऐसे इंस्ट्रक्टर नहीं है जो सीएनसी मशीन की ट्रेनिंग बच्चों को दे सकें। जाहिर है सीएनसी मशीन रहने के बावजूद भी उसको किसी भी तरह से उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। जिससे वह मशीन आज भी शोभा की मूर्ति बनकर वर्कशॉप के अंदर पड़ी हुई है। वहीं जब फिटर ट्रेड के शिक्षा से जब पूछा गया कि आज बच्चे कॉलेज में क्यों नहीं दिख रहे हैं तो उन्होंने कहा कि बच्चे आए थे। लेकिन बिजली नहीं रहने की वजह से वह लोग चले गए। जाहिर है शिक्षकों की लापरवाही की वजह से ही बच्चों का भविष्य अंधकार होता दिख रहा है।


Conclusion:बहरहाल सरकारी आईटीआई की हालात देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार जितनी अपनी उपलब्धियां गिनती है उतनी धरातल पर होती नहीं दिखती है। यहां ना तो शिक्षक गंभीर है और न पढ़ने वाले बच्चे हैं। ऐसे में कैसे भारत के नौजवान को स्किल्ड बनाया जा सकेगा यह एक चिंता का विषय है।

बाइट। प्रभारी फिटर ट्रेड
बाइट। प्रभारी टर्नर ट्रेड
बाइट। प्रभारी आइटीआइ कॉलेज डेहरी
पीटीसी
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